संपत्ति विवाद में बहू ने ससुर व देवरों पर करवाया झूठा मामला दर्ज, न्यायालय ने लगाई कड़ी फटकार, किया मामला रद
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने एक बहू द्वारा अपने ससुर और देवरों के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर को रद्द कर दिया जिसमें मारपीट कपड़े फाड़ने और गहने चोरी करने के आरोप थे। न्यायालय ने माना कि यह मामला पारिवारिक संपत्ति विवाद से जुड़ा है और आपराधिक कानून का दुरुपयोग करके व्यक्तिगत रंजिश निकालने का प्रयास है।

जेएनएफ, जागरण, जम्मू। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने एक बहू की ओर से अपने 85 वर्षीय ससुर व देवरों के खिलाफ दायर करवाई गई नौशहरा थाने में दर्ज एक एफआईआर को रद कर दिया है।
इन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने शिकायतकर्ता पर हमला किया, उसके कपड़े फाड़ दिए, उसका शील भंग करने का प्रयास किया और और उसके घर से गहने व नकदी चोरी की।
न्यायालय ने माना कि आरोप एक पारिवारिक संपत्ति विवाद से उत्पन्न हुए थे और आपराधिक कानून का दुरुपयोग करके व्यक्तिगत रंजिश को निपटाने का एक स्पष्ट प्रयास था। न्यायमूर्ति राजेश सेखरी ने माना कि शिकायतकर्ता, जो याचिकाकर्ता की बहू है, ने एक पारिवारिक विवाद को आपराधिक रंग देने का प्रयास किया है।
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उन्होंने कहा कि कानून में ऐसे दुर्भावनापूर्ण मुकदमेबाजी की अनुमति नहीं दी जा सकती है। न्यायालय ने कहा कि आरोप न केवल बेतुके और अस्वाभाविक, बल्कि दुर्भावना से प्रेरित हैं।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि जब वह अपने घर को ताला लगाकर अपने पति के साथ चली गई, तो वापस आने पर उसने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने घर में घुसकर उस पर हमला किया और उसका शील भंग किया व गहने और नकदी चोरी चुरा लिए।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि एफआईआर झूठी थी और इसका उद्देश्य नानक चंद पर दबाव डालना था, जिन्होंने पहले अपने सबसे बड़े बेटे यानि शिकायतकर्ता के पति के पक्ष में जारी की गई एक पावर ऑफ अटार्नी और वसीयत को रद कर दिया था। याचिकाकर्ता ने 2018 में कानूनी ताैर पर उसे विरासत से वंचित कर दिया था।
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न्यायालय ने माना कि यह मामला अनिवार्य रूप से संपत्ति अधिकारों पर एक पारिवारिक झगड़ा था जिसे गलत तरीके से आपराधिक अपराध के रूप में पेश किया गया था।
न्यायालय ने एफआईआर और इससे उत्पन्न होने वाली सभी कार्यवाही को यह कहते हुए रद्द करने का आदेश दिया कि यह विरासत से वंचित करने की रंजिश को बढ़ाने के लिए दायर किया गया था।
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