कौन हैं जम्मू-कश्मीर के IAS राजीव रंजन? रुपये लेकर अपात्र लोगों को बांटे थे गन लाइसेंस; CBI करेगी मामले की जांच
जम्मू-कश्मीर के चर्चित फर्जी गन लाइसेंस घोटाले में आईएएस अधिकारी कुमार राजीव रंजन के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश। रंजन पर पैसे लेकर नियमों को ताक पर रखकर अपात्र लोगों को बंदूक लाइसेंस जारी करने का आरोप है। हाई कोर्ट ने भी सरकार की ढुलमुल रवैये पर नाराजगी जताई थी। अब कार्मिक मंत्रालय ने रंजन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी है।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर के बहुचर्चित फर्जी गन लाइसेंस घोटाला मामले में केंद्र सरकार ने सीबीआइ को आइएएस अधिकारी कुमार राजीव रंजन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है।
वर्ष 2010 बैच के आइएएस कुमार राजीव रंजन मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर में राजस्व विभाग में सचिव हैं। रंजन उन नौ आइएएस अधिकारियों में शामिल हैं, जिन पर पैसे के बदले नियमों को ताक पर रखकर अपात्र लोगों के नाम पर बंदूक लाइसेंस जारी करने का आरोप है।
जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाई कोर्ट ने पिछले वर्ष 25 नवंबर को संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने पर प्रदेश व केंद्र सरकार के कथित ढुलमुल रवैये पर तीखी टिप्पणी की थी।
हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
कोर्ट ने कहा था कि सरकार आरोपी नौकरशाहों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति जारी करने में पिक एंड चूज की नीति अपना रही है।
कोर्ट ने सरकार को इस मामले में एक माह का समय और देते हुए कहा था कि अगर सीबीआइ को आरोपी अधिकारियों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दायर करने की अनुमति देने संबंधी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो अदालत को मजबूरन कुछ कठोर कार्रवाई करनी पड़ेगी।
कोर्ट ने नाराजगी जताई थी कि आइएएस शाहिद इकबाल चौधरी, नीरज कुमार, यशा मुदगल, पीके पोले, जेकेएएस नसीर अहमद वानी, आइएएस अधिकारी जितेंद्र कुमार सिंह, कठुआ के जिला उपायुक्त रहे जितेंद्र कुमार, जी प्रसन्ना रामास्वामी सहित कइयों पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी नहीं दी गई है।
पहले निलंबित फिर किया गया था बहाल
कुमार राजीव रंजन को पहली मार्च 2020 को सीबीआइ ने गिरफ्तार भी किया था। इसके आधार पर जम्मू-कश्मीर सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था। उस समय वह मेट्रोपालिटन रेगुलेटरी अथॉरिटी के सीईओ और जेडीए के उपाध्यक्ष थे।
लगभग एक वर्ष बाद फरवरी 2021 में समीक्षा समिति की सिफारिशों के बाद उन्हें बहाल किया गया। कुछ समय बाद उन्हें राजस्व विभाग में अतिरिक्त सचिव तैनात किया गया था।
अब कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने कुमार राजीव रंजन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। मंत्रालय ने इस संदर्भ में डिप्टी सालिसिटर जनरल विशाल शर्मा को सूचित भी कर दिया है।
2.74 लाख बंदूकों के लाइसेंस किए गए जारी
यह मामला जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों में वर्ष 2012-16 तक 2.74 लाख बंदूकों के लाइसेंस जारी करने से संबंधित है। सीबीआइ ने अपनी जांच में पाया था कि आइएएस, जेकेएएस के अधिकारियों व कई अन्य सरकारी कर्मचारियों ने बंदूक विक्रेताओं और बिचौलियों के साथ मिलीभगत व नियमों की अवहेलना कर लाइसेंस जारी किए हैं। इस पूरे प्रकरण में बड़े पैमाने पर पैसे का लेनदेन हुआ है।
इस घोटाले का पर्दाफाश राजस्थान पुलिस के ऑपरेशन जुबैदा से हुआ था। राजस्थान एटीएस ने कुछ लोगों के लाइसेंस पर संदेह पर जांच की और पाया था कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों के नाम पर लाइसेंस जारी हो रहे हैं। जांच के घेरे में सबसे पहले कुमार राजीव रंजन ही आए।
उन्होंने कुपवाड़ा में जिलाधिकारी रहते कई लाइसेंस जारी किए थे और आरोप है कि कथित तौर पर बिचौलियों से 20 लाख रुपये लिए थे। सीबीआइ ने वर्ष 2018 में इस संबंध में मामला दर्ज किया था।
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