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लद्दाख में यादगार है गुरुद्वारा पत्थर साहिब, जानिए क्या है गुरु नानक देव जी से इस स्थान का संबंध!

गुरु जी के 550वें प्रकाशोत्सव पर हम गुरु जी की महिमा का गुणगान कर रहे हैं। हमें उनके दिखाए मार्ग पर चल कर अपना जीवन सफल बनाना चाहिए।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 12:05 PM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 12:05 PM (IST)
लद्दाख में यादगार है गुरुद्वारा पत्थर साहिब, जानिए क्या है गुरु नानक देव जी से इस स्थान का संबंध!
लद्दाख में यादगार है गुरुद्वारा पत्थर साहिब, जानिए क्या है गुरु नानक देव जी से इस स्थान का संबंध!

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। श्री गुरु नानक देव जी के चरणों से जम्मू कश्मीर की धरती भी पावन हुई है। श्री गुरु नानक देव जी अपनी दूसरी यात्रा के दौरान जम्मू कश्मीर और लद्दाख आए थे। लेह से जम्मू तक अनेक ऐसे गुरुद्वारे हैं जो श्री गुरु जी की याद दिलाते हैं। गुरु जी जिस जगह भी ठहरे वहां उनका गुरुद्वारा बन गया।

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इतिहास : ऐतिहासिक जानकारी मिलती है कि श्री गुरु नानक देव जी भूटान, नेपाल, चीन से होते हुए लद्दाख पहुंचे थे। लेह में लोगों का कल्याण करते हुए वह कश्मीर के मट्टन में आए। लेह और मट्टन में गुरुद्वारे श्री गुरु नानक देव जी याद दिलाते हैं। अगर हम बात लेह की करें तो वहां पत्थर साहिब गुरुद्वारा है। गुरुद्वारे का इतिहास काफी अहम है जिसमें गुरु जी ने एक राक्षक को सही रास्ते पर लाकर लोगों का भय दूर किया था। यह गुरुद्वारा लेह से पहले 25 किमी दूर श्रीनगर-लेह रोड पर स्थित है। श्री गुरु नानक देव जी 1517 ई में सुमेर पर्वत पर अपना उपदेश देने के बाद लेह पहुंचे थे। वहां पहाड़ी पर रहने वाला एक राक्षस लोगों को बहुत तंग करता था। लोगों ने अपने दुख को गुरु जी के सामने बयां किया। गुरु नानक देव जी ने नदी किनारे अपना आसन लगा लिया।

एक दिन की बात है कि जब श्री गुरु नानक देव जी प्रभु की भक्ति में लीन थे, तब राक्षस ने गुरु जी को मारने के लिए पहाड़ से बड़ा पत्थर गिरा दिया। गुरु जी से स्पर्श होते ही पत्थर मोम जैसा बन गया। इससे गुरु जी के शरीर का पिछला हिस्सा पत्थर में धंस गया। गुरुद्वारे में पत्थर में धंसा श्री गुरु नानक देव जी के शरीर का निशान आज भी पत्थर पर मौजूद हैं। तब राक्षस पहाड़ से नीचे उतरा और गुरु जी को ङ्क्षजदा देखर हैरान रह गया। गुस्से में आकर राक्षस ने अपना दायां पैर पत्थर पर मारा, लेकिन उसका पैर पत्थर में धंस गया। तब राक्षस को अहसास हुआ कि उससे गलती हुई। राक्षक गुरु जी के चरणों में गिर पड़ा। राक्षस के पैर का निशान भी पत्थर पर देखे जा सकते हैं। गुरु जी ने राक्षक को उपदेश दिया कि बुरे काम मत करो, लोगों को तंग न करो, मानव के कल्याण के लिए काम करो। इस समय गुरुद्वारा पत्थर साहिब की संभाल का जिम्मा भारतीय सेना के पास है।

गुरु जी के दिखाए मार्ग पर चलें : जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी के अतिरिक्त सचिव डॉ. अरविंद्र सिंह अमन का कहना है कि श्री गुरु नानक देव जी ने जम्मू कश्मीर की धरती को पवित्र किया है। राज्य में भी कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं यहां गुरु जी ठहरे थे। गुरु जी के 550वें प्रकाशोत्सव पर हम गुरु जी की महिमा का गुणगान कर रहे हैं। हमें उनके दिखाए मार्ग पर चल कर अपना जीवन सफल बनाना चाहिए।


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