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    Jammu Kashmir Election: नेकां-कांग्रेस में गठबंधन होने के बाद आजाद अब बना रहे रणनीति, जल्द बताएंगे प्लान

    जम्मू- कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव (Jammu Kashmir Vidhan Sabha Chunav 2024) के लिए डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के मुखिया गुलाम नबी आजाद जल्द अपनी पार्टी की रणनीति सार्वजनिक करेंगे। चुनावी तैयारी में देरी से डीपीएपी के कार्यकर्ता व नेता असमंजस में थे। बीते दिनों गुलाम नबी आजाद की कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें भी लगाई जा रही थी।

    By satnam singh Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sun, 25 Aug 2024 09:26 AM (IST)
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    जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए आजाद बनाएंगे रणनीति (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। विधानसभा चुनाव के पहले चरण की अधिसूचना जारी होने और नेकां व पीडीपी का चुनावी घोषणापत्र जारी होने के बाद अब गुलाम नबी आजाद ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। विधानसभा चुनाव की घोषणा का आजाद ने स्वागत किया था, लेकिन उसके बाद से पार्टी की गतिविधियां थमी नजर आई।

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    आजाद की कांग्रेस में शामिल होने की थीं अटकलें

    अटकलें लगाई जा रही थी कि आजाद जल्द ही कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सलमान निजामी ने आजाद की तरफ से इन अटकलों को बेबुनियाद बताया।

    आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के कई वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ता कई दिन से असमंजस में थे कि आजाद का अगला कदम क्या होगा? अब आजाद श्रीनगर पहुंच गए हैं। उन्होंने दो दिन से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकें की।

    नेताओं से विचार-विमर्श कर रहे हैं आजाद

    पार्टी सूत्रों ने बताया कि आजाद चुनाव मैदान में उतरने के लिए नेताओं से विचार-विमर्श कर रहे हैं। चूंकि नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन हो चुका है। भाजपा अकेले ही चुनावी मैदान में जा रही है। जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी किसी से गठबंधन नहीं कर रही है।

    पीडीपी भी कह रही है कि अगर उसकी पार्टी का एजेंडा पसंद आता तो वह नेकां-कांग्रेस के गठबंधन का समर्थन कर सकती है। ऐसी स्थिति में आजाद को अकेले ही चुनावी मैदान में जाना है या विभिन्न पार्टियों से टिकट न मिलने पर नाराज नेताओं को अपने साथ मिलना है, इस पर बैठकों में चर्चा की जा रही है।

    एक-दो दिन में सामने आ सकती है रणनीति

    आजाद एक-दो दिन में पूरी रणनीति के साथ सामने आना चाहते हैं, क्योंकि करीब दो साल से लगातार रैलियां व कार्यक्रम कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव की मांग भी जोरशोर से करते आ रहे हैं और अब चुनावी घोषणा के बाद उनकी चुप्पी पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को निराश कर रही है। मनोबल गिर रहा है। सभी पार्टियां प्रचार में जुट गई हैं।

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    आजाद के सामने हैं कई चुनौतियां

    राहुल गांधी का जम्मू कश्मीर दौरा नेशनल कांफ्रेंस व कांग्रेस के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन करवाने में सफल रहा है। ऐसे में आजाद की चुनौतियां बढ़ गई हैं। जैसे पहले चरण में नामांकन पत्र भरने में मात्र तीन दिन का समय बचा है, लिहाजा उम्मीदवारों का नाम फाइनल करना, चुनावी घोषणापत्र बनाना, प्रचार में तेजी दिखाना आदि।

    दरअसल, कई वरिष्ठ नेता कांग्रेस छोड़ कर आजाद की पार्टी में शामिल हुए थे और बाद में कई वापस लौट गए। जो नहीं लौटे, उन नेताओं को अपना राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा महसूस इसलिए हो रहा है, क्योंकि तैयारियां नहीं हो पाई हैं। पार्टी सूत्र बताते हैं कि आजाद जल्द ही पूरी रणनीति के साथ लोगों के बीच जाने की तैयारी कर चुके हैं।

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