एक ही दिन मां-बेटे का जन्मदिन, एक ही दिन उठी अर्थी, पिता अजय बोले- मैंने भी जाना था, छुट्टी ना मिलने पर रद करवाई टिकट
किश्तवाड़ में बादल फटने से एक ही दिन जन्मदिन मनाने वाले मां-बेटे की दर्दनाक मौत हो गई। अजय मेहरा जो परिवार के साथ मचैल यात्रा पर जाने वाले थे छुट्टी न मिलने के कारण नहीं जा पाए। उनकी पत्नी और बेटा यात्रा के दौरान प्राकृतिक आपदा का शिकार हो गए। अजय को चिशौटी में घटना की सूचना मिली उसने घटनास्थल पर पहुंचकर अपनी पत्नी बेटे के शव की पहचान की।

रोहित जंडियाल, जागरण, जम्मू। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि जो मां-बेटे अपना जन्मदिन एक ही दिन मनाते हैं, एक दिन दोनों की अर्थी भी घर से एक साथ निकलेगी। लेकिन कुदरत को शायद ही ऐसा ही मंजूर था।
बेबस पिता के बेटे को लेकर देखे गए सभी सपने चूर हो गए थे। कोई भी ढांढस उसकी आंखों से बहती आंसुओं की धारा को नहीं रोक पा रहा था। बिलखते पिता को देख आसपास के सभी लोगों की आंखें भी नम थी। यह दर्द भरी दास्तां मूलत जम्मू के सीमावर्ती क्षेत्र अरनिया के रहने वाले और वर्तमान में मुट्ठी में रह रहे अजय मेहरा की है।
अजय मेहरा अपने रिश्तेदारों व दोस्तों के साथ अपने परिवार को लेकर मचैल यात्रा में जाने वाला था। उसने सभी की टिकटें भी ले ली थी। लेकिन अंतिम समय में उसे छुट्टी नहीं मिल पाई और उसने अपनी पत्नी मोनिका मेहरा, बेटे नमन मेहरा और बेटी को यात्रा में भेज दिया।
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यह सभी पिछले वर्ष भी माता के दरबार में दर्शन करके आए थे। इस बार भी एक बस में उन्होंने तीनों को भेज दिया लेकिन उसे क्या पता था कि यह यात्रा उनकी पत्नी और बेटे की अंतिम यात्रा होगी।
अजय बोले-त्रासदी में मेरा सब कुछ लुट चुका था
तीनों यात्रा करके वापिस आ रहे थे और लंगर में बैठे थे। लेकिन तभी बादल फटा और मिट्टी, पत्थरों और कीचड़ के ढेर में तीनों आ गए। जब प्राकृतिक का कहर थमा तो अजय का सब कुछ लुट चुका था। अजय ने बताया कि दोपहर को कोई डेढ़ बजा था, जब उसे चिशौटी में हुई इस घटना की जानकारी मिली। वह उस समय दुकान में था जहां पर नौकरी करता था। तुरंत उसने दुकान का शटर बंद किया और गाड़ी लेकर किश्तवाड़ की ओर चला गया। उसने पत्नी को फोन मिलाया, रिंग जा रही थी लेकिन कोई फोन उठा नहीं रहा था। मन में आस थी कि शायद सभी बच गए हों। लेकिन जैसे ही घटनास्थल पर पहुंचा तो सभी उम्मीदें टूट गई।
दागे से हुई बेटे के शव की पहचान
सबसे पहले पत्नी का शव देखा। बेटे के चेहरे पर मिट्टी थी तो पहचाना नहीं जा रहा था। उसने बेटे को एक धागा बांधा हुआ था। जब वह धागा देखा तो मेरी दुनिया ही लुट गई थी। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं। बेटी गंभीर रूप से घायल हुई थी। उसे लेकर जीएमसी जम्मू में पहुंचा। बेटीे को भी गंभीर चोंटे आई हैं। अजय यह कह कर फूट फूट कर रो पड़ा।
अजय ने बताया कि दोनों मां और बेटे का जन्मदिन 13 नवंबर को आता है। लेकिन उसने यह नहीं सोचा था कि दोनों की सांसे भी एक ही दिन टूटेगी। एक दिन पहले ही दोनों का एक साथ संस्कार भी कर आया है और अब अपनी बेटीे के इलाज के लिए जीएमसी में बैठा है।
बेटे को करवाया था अकेडमी में भर्ती
अजय का बेटा नमन छठी कक्षा में पढ़ता था। उसे कि्रकेट का बहुत शौक था। वह कि्रकेट खिलाड़ी ही बनना चाहता था। अजय ने बताया कि उसने बेटे को कहा कि अगर तुम 90 प्रतिशत अंक लाओगे तो तुम्हें अकेडमी में भर्ती करवाउंगा। साइकिल भी दिलाउंगा। उसने 95 प्रतिशत अंक लाए। बेटे को लेकर उसने अभी से बहुत से सपने संजो कर रखे हुए थे। उसके नाम पर जमीन ली थी। अजय यह कहता हुआ बिलख पड़ता है कि वह अपनी पत्नी को अक्सर कहता था कि हम बेटे को उसकी मर्जी की जिंदगी ही जीने देंगे। किसी चीज के लिए मजबूर नहीं करेंगे। उसका कहना है कि अब क्या करूंगा मै सब कुछ। सब बेटे के लिए बनाया था। दोनों पिता-पुत्र एक जैसे कपड़े पहनते थे। अजय का कहना है कि यह पहली बार था कि उसने अपने परिवार को अकेले भेजा।
17 लोग गए थे, तीन की हुई मौत
इस समूह में कुल 17 लोग गए थे। यह सभी रिश्तेदार व दोस्त थे। इसमें 14 तो बच गए। लेकिन तीन की माैैत हो गई। इस समूह में शामिल राजकुमार ने बताया कि हम हर वर्ष यात्रा के लिए जाते है। उस दिन पता ही नहीं चला कि क्या हो गया। अचानक काला धुंआ से उठता हुआ दिखा और चंद मिनटों में ही तबाही मच गई। सभी को गंभीर चोंटें पहुंची। उनके साथ बच्चे भी थे।
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