J&K News: ड्रोन हमलों ने बदली सुरक्षा की परिभाषा, जम्मूवासी भी हुए असुरक्षित; महसूस हुई बंकर की जरूरत
पहलगाम हमले के बदले में पाकिस्तान ने ड्रोन से शहरों पर हमला करके सुरक्षा की परिभाषा बदल दी है। जम्मू के रिहाड़ी जैसे इलाके भी ड्रोन हमलों से दहल गए। शहरवासियों को बंकरों की कमी महसूस हुई। आईडीआर रिसर्च के अनुसार ड्रोन भविष्य के युद्धों का मारक प्रहार हैं। सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी शहर में बंकर बनाने का मुद्दा उठाया था।

राज्य ब्यूरो, विवेक सिंह, जम्मू। पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले का बदला लेने से तिलमिलाए पाकिस्तान द्वारा शहरों पर किए गए ड्रोन के स्वार्म अटैक ने सुरक्षा की परिभाषा ही बदल दी है। भविष्य और भी भयानक होगा। ऐसे में अब शहरवासी ही उतने ही असुरक्षित हैं जितने की सीमांतवासी।
यह अकल्पनीय था कि युद्ध हुए बिना ही जम्मू शहर के रिहाड़ी, बख्शीनगर , बनतालाब व रूप नगर जैसे इलाके ड्रोन के धमाकों से दहल जाएंगे। पहले गोलाबारी के चलते तनाव सीमांत क्षेत्रों तक ही सीमित रहता था। अब खतरा घर के उपर मंडराता है। दुश्मन के इलाके से विस्फोटक से लैस ड्रोन कंट्रोल करने वाले कैमरे से देेख कर किसी भी घर को निशाना बना सकते हैं।
जम्मू में महसूस हुई बंकर की कमी
दस मई की सुबह शहर के बीचो बीच स्थित इन इलाकों में दशहत का माहौल था। सात मई के बाद ड्रोन हमलों के दौरान शहर में स्थित अपने घरों में खुद को असुरक्षित मानने वाले जम्मू वासियों को भी बचाव के लिए बंकर की कमी महसूस हुई।
भले ही शहर में 54 साल के बाद युद्ध जैसे हालात बने हों लेकिन यह स्पष्ट हो गया कि दुश्मन के ड्रोन कभी भी उन पर कहर बरपा सकते हैं व काेई भी इनसे सुरक्षित नही है।
IDR रिसर्च की सीईओ ने क्या कहा?
दुश्मन पर मारक प्रहार करने में सक्षम नैनो ड्रोन बनाने वाली आईडीआर रिसर्च के संस्थापक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी मयंक प्रताप सिंह का कहना है कि ड्रोन भविष्य के युद्धों का मारक प्रहार है। दुश्मन ने यह दिखा दिया है। भविष्य में ड्रोन और भी अधिक मारक, सटीक व लक्ष्य को भेदने के लिए बेहतर सेंसर्स से लैस होंगे। ऐसे में इनसे बचाव के लिए भी तैयारी करना समय की मांग है।
मंयक प्रताप सिंह का कहना है कि ड्रोन ऑपरेटर दुश्मन के इलाके में आसमान से रोशनी को देख कर उसे निशाना बना सकता है। इसके साथ अटैक करने वाले ड्रोन में कई भी हीट सैसिंग उपकरण भी लगे रहते हैं। पाकिस्तान सुधरने वाला देश नही है। ऐसे में भावी युद्धों में ड्रोन के मारक प्रहारों से बचने के लिए बंकर जैसी सुरक्षित जगह जरूरी हो जाएगी।
CM उमर अब्दुल्ला ने भी उठाया था ये मुद्दा
प्रदेश के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ड्रोन से हमलों के बाद जम्मू शहर में बंकरों की जरूरत होने का मुद्दा सबसे पहले उठाया था। संघर्ष विराम के बाद गोलाबारी प्रभावित से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली बार जम्मू शहर के इलाके भी पाकिस्तान की कार्रवाई में प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि अब हम शहर में बंकर बनाने पर विचार करने को मजबूर हैं। पहले हम ऐसा सोच भी नही सकते थे। वर्ष 1971 के भारत पाकिस्तान के युद्ध के दौरान घर बंकर की जरूरत तब महसूस हुई थी। उस समय युद्ध पैदल सेना लड़ती थी, मैं करीब पच्चीस साल का था।
लोगों का क्या है कहना?
सेवानिवृत इंजीनियर पुरषोत्तम सिंह का कहना है कि हमने रिहाड़ी में अपने घर में बंकर बनाया था। तब भारतीय क्षेत्र में घुस आए पाकिस्तान के विमानों को हमारे भारतीय फाइटर खदेड़ देते थे। लेकिन इतनी दहशत नही थी। हम आसमान में फाइटर विमानों को उड़ता हुए देखते थे। लेकिन दुश्मन द्वारा हमले के लिए ड्रोन इस्तेमाल करने के बाद एक नए तरह की दहशत देखी है। अब तो शहर के घरों में बंकर बनाने की जगह भी नही है।
जम्मू के कई शहरों को निशाना बनाने की कोशिश
पाकिस्तान ने ड्रोन से जम्मू कश्मीर में कई शहरों को निशाना बनाने की कार्रवाई की थी। भले ही उसके ड्रोन तबाह किए गए थे। लेकिन वे सीमा से बहुत अंदर तक घुसने में कामयाब रहे थे। यह बहुत गंभीर है। ऐसे में अब सैन्य दृष्टि से ड्रोन हमले को नाकाम बनाने की तैयारियों के साथ नागरिकों को उनके हमले से सुरक्षित बनाना भी एक बड़ा मुद्दा हो गया है।
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