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    दिल्ली पुलिस भर्ती धांधली का सरगना हरियाणा से गिरफ्तार, केबल बिछाकर हैक किए गए थे कंप्यूटर

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 02:00 AM (IST)

    दिल्ली पुलिस भर्ती में धांधली करने वाले सरगना को हरियाणा से गिरफ्तार किया गया है। इस गिरोह ने कंप्यूटरों को हैक करने के लिए केबल का इस्तेमाल किया था। ...और पढ़ें

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    सांकेतिक तस्वीर

    संवाद सहयोगी, सांबा। दिल्ली पुलिस में चालक भर्ती के फर्जीवाड़े में पुलिस ने गिरोह के सरगना सतीश कुमार को हरियाणा से गिरफ्तार कर लिया है। पानीपत निवासी सतीश कुमार की कंपनी एडुक्यूटी पर ही भर्ती परीक्षा संचालन का जिम्मा था और उसने ही इस सुनसान क्षेत्र में परीक्षा केंद्र चुना था। उन्होंने इस केंद्र को किराये पर लिया था। कंप्यूटर की व्यवस्था और नेटवर्किंग की जिम्मेवारी उसकी ही कंपनी की थी।

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    पुलिस सतीश कुमार को ही मुख्य आरोपित बता रही है और उम्मीद जताई है कि जल्द ही गिरोह से जुड़ी अहम कड़ियां उसके हाथ लगेंगी। पुलिस अधिकारी के अनुसार सतीश ही इस पूरे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड था।

    हुआ यूं कि सांबा जिले के घगवाल स्थित एक स्कूल के खाली पड़े भवन में दिल्ली पुलिस में चालक की भर्ती का परीक्षा केंद्र बनाया गया था। यह भवन सुनसान इलाके में है और आजकल बंद पड़ा है। साल्वर गैंग ने दो माह पहले ही परीक्षा केंद्र के पास एक कमरा किराये पर लिया और 100 फीट तक अंडरग्राउंड केबल बिछाकर परीक्षा के कंप्यूटर को हैक कर लिया।

    17 दिसंबर को परीक्षा के दौरान वहां तैनात पुलिसकर्मियों को इस कमरे से आ रही आवाजों से कुछ संदेह हुआ और वे जांच करने जा पहुंचे। पुलिस को द्वार पर देख साल्वर गैंग के सदस्य पिछले दरवाजे से फरार हो गए।

    स्कूल की इमारत की जांच के दौरान भीतर बनाए गए कंट्रोल रूम में लगाए सभी इलेक्ट्रानिक उपकरण जब्त किए गए और भवन के मालिकों से पूछताछ की तो संदेह की सुई सतीश कुमार पर जा पहुंची। उसकी कंपनी ने ही भवन को 85 हजार रुपये प्रतिमाह के किराये पर लिया हुआ था।

    पुलिस जांच कर रही है कि इसमें कितना लेन-देन हुआ और उसने कितने मुन्नाभाई को परीक्षा पास करने में मदद की। आरोपित को सांबा जिला अस्पताल में स्वास्थ्य जांच के बाद आरोपित में कोर्ट में पेश किया। उसके बाद अदालत ने उसे पुलिस रिमांड पर भेज दिया।

    अन्य राज्यों के थे अभ्यर्थी

    परीक्षा सांबा के सुनसान क्षेत्र में कराने से स्पष्ट तौर पर परीक्षा संचालकों और साल्वर गैंग की मिलीभगत की आशंका जताई गई। परीक्षा में ज्यादातर अभ्यर्थी अन्य राज्यों से आए थे। अर्थात परीक्षा में फर्जीवाड़े की नींव बहुत पहले रखी जा चुकी थी। साल्वर गैंग ने स्कूल से कुछ दूर कमरा भी पहले से किराये पर ले लिया और स्कूल तक अंडरग्राउंड केबल भी बिछा ली। बीच में आ रही सड़क को खोदकर यह केबल बिछाई गई और उसके बाद सड़क की मरम्मत भी कर दी।

    एक अन्य कंपनी भेजती थी एग्जामिनर

    एक अन्य कंपनी पर मिनक्वीक पर परीक्षा केंद्र में एग्जामिनर की नियुक्ति करने की जिम्मेवारी थी। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि इस फर्जीवाड़े में उसकी कोई भूमिका थी या नहीं।