झीलों-नदियों और जल निकायों का संरक्षण सभी की सामूहिक जिम्मेदारी, LG मनोज सिन्हा बोले- पिछली गलतियों से लें सीख
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नागरिकों से सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से झीलों और नदियों के संरक्षण का आग्रह किया। उन्होंने श्रीनगर में डल झील स्वच्छता अभियान में भाग लिया और स्वच्छाग्रहियों को सम्मानित किया। सिन्हा ने आर्थिक विकास को पर्यावरणीय संसाधनों के साथ समन्वित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि झीलों और नदियों को उनकी मूल स्थिति में बहाल करने के लिए प्रशासन प्रयास कर रहा है।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नागरिकों से सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से झीलों, नदियों और अन्य जल निकायों के संरक्षण का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमारे प्राकृतिक संसाधन हमें अतीत में की गई गलतियों से सबक सीखने की याद दिला रहे हैं।
हमें प्रकृति के नाजुक संतुलन का सम्मान करना चाहिए और अपनी झीलों और नदियों की सफाई के लिए ठोस प्रयास करने चाहिए। उपराज्यपाल रविवार को श्रीनगर में चल रहे सेवा पर्व के तहत डल झील स्वच्छता अभियान में शामिल हुए। उन्होंने स्वच्छता अभियान में बहुमूल्य योगदान के लिए स्वच्छाग्रहियों को सम्मानित किया।
उपराज्यपाल ने आर्थिक विकास को पर्यावरणीय संसाधनों के साथ समन्वित करने की आवश्यकता पर बल दिया। विकास एकतरफ़ा नहीं हो सकता। अतिक्रमण, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक दोहन हमारी नदियों और झीलों के लिए एक बड़ा खतरा बन रहे हैं।
प्राकृतिक संसाधनों के तेजी से घटते स्तर और हमारी पारिस्थितिकी के क्षरण की प्रमुख चुनौतियों का समाधान सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।आर्थिक विकास और पारिस्थितिक अखंडता को सरकारी नीति में शामिल किया जाना चाहिए। झीलें और नदियां मानवता के लिए आवश्यक जीवनरेखाएं हैं और नागरिकों को सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से इनका संरक्षण करना चाहिए।
उपराज्यपाल ने झीलों, नदियों और अन्य जल निकायों को उनकी मूल स्थिति में बहाल करने के लिए प्रशासन, नागरिकों, झील संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण और स्वयंसेवी संगठनों द्वारा किए गए समर्पित प्रयासों की सराहना की।पिछले पांच वर्षों के दौरान डल निगीन झील और उसके जलग्रहण क्षेत्र के संरक्षण के लिए मिशन मोड में कार्य किया गया है।
डल झील साफ़-सुथरी हो गई है और बड़ी संख्या में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। झील के एक तिहाई से अधिक हिस्से का कायाकल्प किया जा चुका है और विशाल क्षेत्रों से लिली के फूलों को हटा दिया गया है और डल झील का खुला क्षेत्र पहली बार 203 वर्ग किलोमीटर से अधिक हो गया है।
उपराज्यपाल ने कहा कि झील संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा शुरू की गई कई परियोजनाएं भी डल निवासियों के जीवन में बदलाव ला रही हैं। उन्होंने कहा कि अमृत योजना के तहत सभी हाउसबोटों को सीवेज उपचार संयंत्रों से जोड़ने की एक बड़ी पहल चल रही है।
उपराज्यपाल ने कहा कि 306 करोड़ रुपये की लागत से एक नया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट परियोजना निर्माणाधीन है। प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत 212 करोड़ रुपये की पहल डल और निगीन पारिस्थितिकी तंत्र परियोजना के एकीकृत प्रबंधन की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
यह परियोजना न केवल डल निवासियों के जीवन में बदलाव लाएगी बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देगी। डल और निगीन के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण स्वयंसेवी भागीदारी के साथ, झील संरक्षण और प्रबंधन प्राधिकरण का साल भर चलने वाला अभियान लोगों को स्वच्छता अभियान और संरक्षण प्रयासों से जोड़ रहा है।
उपराज्यपाल ने कहा कि लोगों के दैनिक जीवन में पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति बढ़ती जागरूकता उनके दृष्टिकोण में बदलाव ला रही है उन्होंने अधिकारियों, शैक्षणिक संस्थानों, स्कूलों, सरकारी और निजी संस्थानों से यह सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया कि सेवा पखवाड़ा के दौरान नदी और झील सफाई अभियान और उत्पन्न गति दीर्घकालिक स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दे।
उपराज्यपाल के प्रधान सचिव डा. मंदीप के भंडारी, आवास एवं शहरी विकास विभाग की आयुक्त सचिव मंदीप कौर, कश्मीर के मंडलायुक्त अंशुल गर्ग, श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डा. जीवी संदीप चक्रवर्ती, श्रीनगर के उपायुक्त अक्षय लाबरू, श्रीनगर के नगर आयुक्त फज लुल हसीब, झील संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी, नागरिक एवं पुलिस प्रशासन, नागरिक समाज के सदस्य, स्वच्छाग्रही और विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी डल झील सफाई अभियान में भाग लिया।
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