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    सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के समर्थन में आए CM Omar, बोले-सरकारी-निजी स्कूलों की तुलना करने वाले पहाड़ी इलाकों का करें दौरा

    Updated: Tue, 22 Jul 2025 04:12 PM (IST)

    उमर अब्दुल्ला ने सरकारी स्कूलों की तुलना निजी स्कूलों से करने वालों की आलोचना की और दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षकों के समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल उन स्थानों पर स्थापित हैं जहाँ निजी स्कूल नहीं हैं। उन्होंने शिक्षा नीति 2020 पर बोलते हुए शिक्षा जगत के नेताओं से चुनौतियों का सामना करने का आह्वान किया।

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    जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर भी चिंता व्यक्त की और छात्रों द्वारा वर्षा जल संचयन पर खुशी जताई।

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। "कुछ लोग जो हमारे और आपके काम पर टिप्पणी करते हैं, वे अक्सर सरकारी स्कूलों की तुलना निजी स्कूलों से करते हैं। वे यह नहीं देखते कि सरकारी स्कूल ऐसी जगहों पर स्थापित किए गए हैं जहां निजी स्कूल कहीं नहीं हैं।" "अथवाजन चौक या हैदरपोरा में स्कूल खोलना बहुत आसान है। निजी स्कूल वाले गुरेज, करनाह, माछिल, टंगधार और करनाह जाकर अपने स्कूल खोलके बताएं।"

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    जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020: समग्र शिक्षा के लिए शिक्षा जगत के नेताओं का सशक्तिकरण - चुनौतियां विषय पर एक दिवसीय शैक्षिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। शेर-ए-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र (एसकेआईसीसी) में आयोजित इस सम्मेलन में शिक्षा विभाग के शिक्षकों के अलावा अन्य अधिकारी मौजूद थे।

    उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सरकारी स्कूलों की तुलना "बड़े निजी स्कूलों" से की जा रही है। उन्होंने सरकारी स्कूलों पर उंगली उठाने वालों से पहाड़ों पर जाकर सरकारी स्कूलों की हालत देखने की चुनौती दी।

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    "आप वहां हमारे शिक्षकों का समर्पण देखेंगे। ऐसा नहीं है कि हमारे सभी सरकारी शिक्षकों को श्रीनगर या जम्मू में अटैच किया गया है। हमारे शिक्षक दूरदराज के पहाड़ों में भी कठिन परिस्थितियों में पढ़ा रहे हैं। परंतु अफसोस कोई इस बारे में बात नहीं करता।" कोई हमारे सीजनल स्कूलों के बारे में बात नहीं करता, जहां शिक्षक साल के कई महीनों के लिए बच्चों के साथ पहाड़ों में जाते हैं और उनके साथ रहकर उन्हें पढ़ाते हैं।

    उनका एकमात्र मकसद अपने बच्चों को शिक्षित करना और उन्हें रोजगार के योग्य बनाना होता है। जिन बातों पर हम पहले विश्वास करते थे, वे बदल गई हैं। "मैं अपने जीवन में यह बदलाव देख रहा हूं। दिसंबर में हमें लगता था कि गुलमर्ग में बर्फ़ पड़ेगी। आज अगर जनवरी में भी बर्फ़ पड़ जाए, तो यह एक वरदान है।

    श्रीनगर में तापमान 37 डिग्री तक पहुंच जाता है जबकि बचपन में हमारे घरों में पंखे नहीं होते थे। "आज लोग पहलगाम और गुलमर्ग में एयर कंडीशनर लगा रहे हैं। महीनों तक बारिश नहीं होती और जब होती भी है, तो इतनी तेज़ी से कि ऊपर से पानी बहता है और हमें उसका कोई फायदा नहीं होता।"

    छात्रों की प्रदर्शनी का ज़िक्र करते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि स्कूल के बच्चों को वर्षा जल संचयन के बारे में बात करते देखकर उनका दिल खुशी से भर जाता है।

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