किश्तवाड़ पीड़ितों को दी जा रही हर संभव राहत, अब तक 36 लाख रुपये सहायता राशि वितरित, सीएम उमर बोले- जो भी आवश्यक होगा, किया जाएगा
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने किश्तवाड़ त्रासदी के पीड़ितों को हर संभव राहत प्रदान करने की बात कही है। उन्होंने बताया कि पीड़ितों को अब तक 36 लाख रूपये की सहायता दी गई है और मुख्यमंत्री राहत कोष से और धनराशि जारी की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लगभग 60 शव बरामद किए जा चुके हैं।

राज्य ब्यूरो, जागरण, किश्तवाड़। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि किश्तवाड़ त्रासदी के पीड़ितों को हर संभव राहत प्रदान की जा रही है।
पीड़ितों को 36 लाख रूपये की सहायता वितरित की जा चुकी है। मुख्यमंत्री राहत कोष से और धनराशि जारी की जा रही है। पीड़ितों की राहत एवं पुनर्वास के लिए जो भी जरुरी है, वह सभी उपाय किए जाएंगे। हर संभव राहत किया जा रहा है।
किश्तवाड़ के चिशौटी गांव में बादल फटने से आई बाढ़ से हुई तबाही का जायजा लेने के बाद एक संक्षिप्त बातचीत में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अभी तक लगभग 60 शव बरामद किए जा चुके हैं। लापता लोगों की संख्या 70 से 80 के बीच है, और यह अभी भी कम या ज़्यादा हो सकती है।
कुछ लोग मुझे बता रहे हैं कि लापता लोगों की संख्या लगभग 600 से 1000 है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह उस संख्या तक इतनी होगी। अभी यह संख्या 80 है, और यह अपने आप में बहुत ज़्यादा है।
जो भी आवश्यक होगा, किया जाएगा
राहत उपायों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों के घर और आश्रय पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, उन्हें राहत प्रदान की गई है। अगर मैं गलत नहीं हूँ, तो संबंधित उपायुक्त द्वारा 3 लाख पहले ही वितरित किए जा चुके हैं, और मैंने अपने कार्यालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव को मुख्यमंत्री राहत कोष से और धनराशि जारी करने का निर्देश दिया है ताकि उन्हें राहत सामग्री उपलब्ध कराई जा सके। जो भी आवश्यक होगा, किया जाएगा।
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प्रभावित परिवारों को स्थानांतिरत करने का अभी नहीं है विचार
संकटग्रस्त क्षेत्रों से परिवारों को स्थानांतरित करने के बारे में पूछे जाने पर, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यहां लोगों की ओर से स्थानांतरित करने की मांग आ रही है, लेकिन हमने अभी तक ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया है क्योंकि जगह उपलब्ध नहीं है। हमें उन्हें स्थानांतरित करने की आवश्यकता है या नहीं और किन परिस्थितियों में, यह केवल विशेषज्ञ ही तय कर सकते हैं।
विशेषज्ञों को स्थिति का आकलन करने दें। अगर हम जल्दबाजी में उन्हें ऐसी जगह स्थानांतरित करते हैं जहाँ फिर से खतरा है, तो यह गलत निर्णय होगा। जल्दबाजी करने के बजाय विशेषज्ञों की सलाह का इंतजार करना बेहतर है।
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