Chandrayaan-3: चांद पर चंद्रयान के कदम रखते ही गूंजने लगे भारत माता की जय के जयकारे
चंद्रयान-तीन के कदम जैसे ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर बुधवार शाम छह बजकर चार मिनट पर पड़े तो इस ऐतिहासिक पल का गवाह बने बच्चों व शिक्षा विभाग के अधिकार ...और पढ़ें

जम्मू, जागरण संवाददाता। Chandryaan-3: पूरी दुनिया की निगाह भारत के जिस चंद्रयान-तीन पर थी, उसके कदम जैसे ही चांद के दक्षिणी ध्रुव (South Poll of Moon) पर बुधवार शाम छह बजकर चार मिनट पर पड़े तो इस ऐतिहासिक पल का गवाह बने बच्चों व शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने वंदे मातरम (Vande Mataram) और भारत माता के जय (Bharat Mata ki Jai) के नारे लगाने शुरू कर दिए। गांधी नगर के गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल में भी चंद्रयान की लैंडिंग (Landing Of Chandrayaan-3) को देखने के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। वहां अटल टिंकरिंग लैब में प्रोजेक्टर लगाकर बच्चों को देश की इस उपलब्धि का गवाह बनाया जा रहा था।
दिखाया गया सीधा प्रसारण
इसके अलावा गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल, कैनाल रोड के अलावा अन्य स्कूलों में भी चंद्रयान के लैंडिंग के सीधे प्रसारण को दिखाया गया। वहीं गांधी नगर गर्ल्स हाई स्कूल में मौजूद मुख्य शिक्षा अधिकारी जम्मू सूरज सिंह राठौर ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व का क्षण है। गांधी नगर स्कूल में मुख्य शिक्षा अधिकारी सांबा केवल कृष्ण, कठुआ के मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रकाश लाल थापा, स्कूल की हेड मास्टर सुमन बाला, जम्मू कश्मीर टीचर्स फोरम के चेयरमैन गणेश खजूरिया आदि थे।
शहर के कई स्थानों पर लगाई गई स्क्रीन
चांद पर भारत के कदम पड़ने के ऐतिहासिक पलों को यादगार बनाने के लिए शहर के कई सार्वजनिक स्थलों पर इसके सीधे प्रसारण की व्यवस्था की गई थी जहां लोग इन ऐतिहासिक पलों के साक्षी बने। नरवाल स्थित वेब माल में भी एक बड़ी स्क्रीन पर इसका सीधा प्रसारण किया जहां सैकड़ों लोग एक साथ चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने के साक्षी बने। इसके अलावा शहर की कुछ संस्थाओं की ओर से भी सार्वजनिक स्थलों पर सीधा प्रसारण का प्रबंध किया गया था। शहर के कई निजी स्कूलों व टयूशन सेंटरों में भी बच्चों को चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग का सीधा प्रसारण दिखाया गया।
स्कूल की छात्राओं ने ये कहा
गांधीनगर गर्ल्स हाई स्कूल में चंद्रयान तीन की लैंडिंग देखने पहुंची छात्राओं का कहना था कि उन्हें ऐसा लग रहा था कि वह खुद ही चांद पर पहुंच गई है। उन्हें चंद्रयान को चांद के ऊपर उड़ते देखना भी अच्छा लगा और उसकी लैंडिंग तो कमाल की थी।
छात्राओं ने कहा कि हमने पहली बार चांद को इतने करीब से देखा है। उनका कहना था कि अब वह चाहती हैं कि इसरो का अगला मिशन किसी इंसान को चांद पर भेजने का हो ताकि हम भी अमेरिका के मिशन अपोलो की बराबरी कर सकें। वहीं रूस के मिशन के असफल होने पर इन छात्राओं का कहना था कि हमारी रूस के साथ कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी। अगर रूस पहले भी दक्षिणी ध्रुव पर अपना यान उतारने में सफल हो जाता तो हमारे चंद्रयान की सफलता की खुशी तब भी कम नहीं होती।

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