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    'खून और पानी एक साथ नहीं बस सकते', एलजी सिन्हा की चेतावनी सिंधु जलसंधि पर रोक पाकिस्तान की बिगाड़ेगी अर्थव्यवस्था

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 07:37 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। उन्होंने सिंधु जल संधि पर बोलते हुए कहा कि इसका असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा क्योंकि वह अपनी खेती के लिए भारत के पानी पर निर्भर है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब अपनी नदियों के पानी का उपयोग जम्मू-कश्मीर और अन्य भागों में करेगा।

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    बुनियादी ढांचे का विकास होगा और जल विद्युत क्षमता का दोहन किया जा सकेगा।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए एक बार फिर दोहराया कि खून और पानी-एक साथ नहीं बह सकते। टेरर एंड टाक- आतंक और वार्ता- साथ साथ नहीं चलेगी। सिंधु जलसंधि पर रोक का असर अभी नहीं आने वाले दिनों में पाकिस्तान में आमजन के जीवन से लेकर उसकी पूरी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह प्रभावित करेगा।

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    आज यहां इंड्स वाटर ट्रीटी-एक मिररिंग आफ फैक्टस का विमोचन करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि अब हमारी नदियों पानी जम्मू कश्मीर और भारत के अन्य भागों में उपयोग होगा। 

    अपने संबोधन में उपराज्यपाल ने संत शर्मा को इंडस वाटर ट्रीटी-मिररिंग आफ फैक्टस लिखने पर बधाई देते हुए कहा कि यह विचारोत्तेजक और सामयिक मोनोग्राफ पाकिस्तान के साथ 'सिंधु जल संधि' और पाकिस्तान प्रायोजित पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संधि को समाप्त करने के निर्णायक कदम पर रोचक जानकारी प्रदान करता है।

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    यह किताब सिंधु जलसंधि पर हस्ताक्षर होने के दिन से लेकर अब तक इस संधि से जम्मू कश्मीर समेत पूरे देश को हुए नुकसान, इस संधि पर हस्ताक्षर के लिए तत्कालीन कांग्रेस नेताओं द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री पर सवाल उठाने और पाकिस्तान द्वारा इस संधि की आड़ में कश्मीर में अपने हस्ताक्षेप को बढ़ाते हुए कश्मीर पर कब्जे के षड्यंत्र जैसे विषयों का विस्तार से उल्लेख किया गया है।

    उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अपने संबोधन में पहलगाम हमले के बलिदानियों को श्रद्धांजलि भी दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों ने हमारे नागरिकों की हत्या की। आपरेशन सिंदूर शुरू किया गया और जो हुआ, वह सभी जानते हैं। उससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था, जो एक ऐतिहासिक फैसला था।

    जैसा कि आप जानते हैं, इस संधि के बाद भारत को तीन युद्ध भी लड़ने पड़े और भारत सिंधु जल संधि को रोक नहीं पाया। उन्होंने कश्मीर में आतंकवाद को प्रायोजित किया, लेकिन प्रधानमंत्री ने यह फैसला लिया।

    प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी और खून साथ-साथ नहीं चल सकते। टेरर एंड ट्रेड, टेरर एंड टाक्स एक साथ नहीं चलेंगे। सिंधु जल संधि को रोकने का यह कदम ऐसा है जिसका खामियाजा पाकिस्तान को आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा।

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    पाकिस्तान अपनी 1.6 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर खेती के लिए भारत के पानी पर निर्भर है। 23.7 करोड़ आबादी इस संधि पर निर्भर है। आने वाले वर्षों में इस संधि का असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। पाकिस्तान में गेहूं, कपास और चावल की खेती के लिए इसी सिंधु जलसंधि के जल पर निर्भरहै।

    प्रधानमंत्री ने कहा है कि अब भारत का पानी केवल भारत के काम आएगा। सिंधु जल संधि' को समाप्त करना पाकिस्तान के लिए एक करारा जवाब है और इसके दूरगामी परिणाम होंगे क्योंकि वह सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है।"

    उपराज्यपाल ने कहा कि इस ऐतिहासिक कदम ने एक नई शुरुआत की है। भारत का पानी अब भारत में ही बहेगा और भारत में ही रहेगा। सिंधु जल संधि की समाप्ति के साथ, अब झेलम और चिनाब नदियों पर हमारा पूर्ण नियंत्रण है।

    सिंधु जल संधि की समाप्ति से जम्मू-कश्मीर को अपार लाभ होगा, जिससे उसकी वास्तविक जल विद्युत क्षमता का दोहन हो सकेगा, जम्मू के बंजर क्षेत्रों की सिंचाई हो सकेगी और जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचे के विकास को नई गति मिलेगी।

    उन्होंने कहा कि भारत अब बुनियादी ढांचा, बिजली संयंत्र और पानी के उपयोग के लिए उचित बुनियादी ढांचे वाले नए क्षेत्रों में जल का प्रवाह करेगा और इससे नए जलाशयों का निर्माण संभव होगा।

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    कुछ लाेग कह रहे हैं कि हमारे पास संसाधन नहीं है कि पानी का इस्तेमाल कर सके। उन्हें बता देता हूं कि हमने आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए तीन सूत्री नीति- जिसमें तत्कालिक, अल्पकालिक और दीर्घकालिक सुविधाएं तैयार की जा रही हैं, अपनायी है।

    उपराज्यपाल ने नवंबर 1960 में संसद में हुई बहस और सदन में प्रमुख नेताओं के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि सिंधु जल संधि एक ऐतिहासिक भूल थी, अनुचित, एकतरफा थी और इसने जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढाँचे के विकास में बाधा डाली और विकास परियोजनाओं के विकास को सीमित कर दिया।

    उन्होंने कहा कि भविष्य में, किसी भी आतंकवादी कार्रवाई को भारत के खिलाफ युद्ध के रूप में लिया जाएगा। हम आतंकवाद मुक्त जम्मू-कश्मीर के बहुत करीब हैं।