जम्मू-कश्मीर में लापरवाह शिक्षकों की होगी पहचान, जानें किस तरह गुणवत्ता शिक्षा को यकीनी बनाएगी सरकार!
मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने शिक्षकों की समयनिष्ठा और कक्षाओं में बिताए समय की निगरानी पर जोर दिया है। उन्होंने लापरवाह शिक्षकों की पहचान के लिए तकनीक के इस्तेमाल और शिक्षकों के वेतन को उनकी उपस्थिति से जोड़ने के निर्देश दिए। जम्मू-कश्मीर में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर बल देते हुए उन्होंने आधुनिक बुनियादी ढांचे के उपयोग और विद्यार्थियों को नियमित मार्गदर्शन प्रदान करने की बात कही।

राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने अध्यापकों के समय का पालन करने और कक्षाओं में बिताए गए समय की निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने लापरवाह शिक्षकों की पहचान करने के लिए सूचना तकनीक टूल्स का उपयोग करने का आह्वान किया, जो देर से आते हैं या व्यक्तिगत कारणों से बिना अनुमति के स्कूल छोड़ देते हैं।
उन्होंने निर्देश दिया कि अध्यापकों के वेतन को उनकी स्कूल उपस्थिति और विधिवत स्वीकृत अवकाश से जोड़ा जाए। उन्हें बताया गया कि जेके उपस्थिति ऐप, एक जियो-कोऑर्डिनेट्स-आधारित फेस रिकग्निशन उपस्थिति प्रणाली, पहले से ही लागू की गई है, जिसमें 1.14 लाख कर्मचारी सक्रिय रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं।
मुख्य सचिव ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को स्कूलों का औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया जिसमें फिजिकल और वर्चुअल दोनों तरीके शामिल हैं विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में ताकि स्टाफ की उपस्थिति और शिक्षण प्रभावशीलता का आकलन किया जा सके।
मुख्य सचिव आज स्कूल शिक्षा विभाग की एक व्यापक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की जिसमें शिक्षा परिदृश्य और जम्मू कश्मीर में अन्य शिक्षा सुधारों को लागू करने की समीक्षा की गई। बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव के अलावा समग्र शिक्षा के प्रोजेक्ट निदेशक, स्कूल शिक्षा कश्मीर व जम्मू के निदेशक, स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव और विभाग के अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्य सचिव ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में और सुधार करने पर जोर देते हुए कहा कि विभाग का लगभग 11,000 करोड़ रुपये का बजट शिक्षा की गुणवत्ता के अनुरूप होना चाहिए। किसी भी बुनियादी ढांचे या तकनीकी उन्नयन का कोई फायदा नहीं होगा जब तक शिक्षक अपनी भूमिका का कुशलता से निर्वहन नहीं करते। उन्होंने आगे कहा कि छात्रों को पढ़ाने में शिक्षकों की समर्पण और रचनात्मकता का कोई विकल्प नहीं है।
आधुनिक बुनियादी ढांचे का उपयोग करने पर दिया जोर
मुख्य सचिव ने आईसीटी लैब, कंप्यूटर-एडेड लर्निंग (सीएएल) लैब, स्मार्ट कक्षाओं, अटल टिंकरिंग लैब और अन्य उपलब्ध संसाधनों जैसे आधुनिक बुनियादी ढांचे का उपयोग करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने विभाग की आईटी टीम को प्रत्येक स्कूल में आईटी बुनियादी ढांचे के उपयोग की दैनिक निगरानी के लिए एक डैशबोर्ड विकसित करने का निर्देश दिया।
विद्यार्थियों का नियमित करें मार्गदर्शन
मौजूदा समय में 1420 सीएएल केंद्र और 2036 आईसीटी लैब और 4272 स्मार्ट कक्षाएं जम्मू कश्मीर में पूरी तरह से कार्य कर रही है। व्यावसायिक शिक्षा के संबंध में मुख्य सचिव ने विभाग पर जोर दिया कि वे व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को नियमित रूप से मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करें जब तक वे अपने कौशल में महारत हासिल नहीं कर लेते। उन्हें बताया गया कि कक्षा 9 से 12 तक के 1.41 लाख से अधिक छात्र वर्तमान में स्कूलों में 15 विभिन्न व्यवसायों में नामांकित हैं।
ईसीसीई मॉडल अपनाने से पहले सावधानी बरतें
उन्होंने विभाग को ईसीसीई मॉडल को अपनाने से पहले सावधानी बरतने और गहन तैयारी करने का निर्देश दिया इस बात पर जोर देते हुए कि पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को बचपन की देखभाल के साथ मिलाने के लिए व्यापक आधारभूत कार्य की आवश्यकता है, जिसमें सामाजिक कल्याण विभाग के साथ सहयोग किया जाएगा।
प्रत्येक योजन के लिए नियुक्त करें नोडल अधिकारी
उन्होंने प्रत्येक जोन के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति का अनुरोध किया ताकि इस तरह के विलय की व्यवहार्यता सुनिश्चित की जा सके और प्रवेश लेने वाले बच्चों के लिए कठिनाइयों को रोका जा सके। बताया गया कि 15,550 स्कूलों में पूर्व-प्रथम कक्षाएं शुरू की जानी हैं और 13,804 आयुष व सहायक ईसीसीई वर्गों वाले स्कूलों में लगे हुए हैं।
मुख्य सचिव ने विभिन्न योजनाओं के तहत विभिन्न कार्यों की प्रगति की समीक्षा की, जिनमें कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी), बालिका छात्रावास, आधुनिक बुनियादी ढांचे और विशेष रूप से पीएम श्री योजना के तहत चयनित स्कूलों में कार्य शामिल हैं।
औसतन एक साल में एक विद्यार्थी पर खर्च हाेता है एक लाख
स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव राम निवास शर्मा ने जम्मू-कश्मीर के समग्र शैक्षिक परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि विभाग के कार्यों का प्रबंधन करने के लिए 20 जिलों को 188 शिक्षा जोन जिसमें जम्मू में 97, कश्मीर में 91 में विभाजित किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि साक्षरता दर (केंद्र शासित प्रदेश, एनएसओ सर्वेक्षण 2017) 77.30 प्रतिशत है।
जम्मू-कश्मीर में हैं कुल 24,137 स्कूल
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कुल 24,137 स्कूल हैं (18,724 सरकारी और 5,413 निजी व अन्य), जिनमें प्राथमिक से उच्च माध्यमिक स्तर तक 26,17,817 छात्र (13,56,838 सरकारी और 12,60,979 निजी संस्थानों में) नामांकित हैं। बैठक में यह भी बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभाग के लिए कुल बजटीय आवंटन 11,356.43 करोड़ रुपये है (जिसमें जम्मू कश्मीर क्षेत्र की पूंजीगत व्यय व केंद्र प्रायोजित योजनाओं का बजट शामिल है। यह भी बताया गया कि सरकारी स्कूल में प्रत्येक नामांकित छात्र पर लगभग 1 लाख रुपये प्रति वर्ष का व्यय आता है, जो राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है।
पीएम श्री कार्यक्रम के तहत में 396 स्कूलों का हुआ चयन
आगे यह भी बताया गया कि जम्मू-कश्मीर में 396 स्कूलों का चयन पीएम श्री कार्यक्रम के तहत किया गया है। विद्या समीक्षा केंद्र के संबंध में, यह बताया गया कि जम्मू में इसे पूरी तरह से पूरा कर लिया गया है और यह कार्य कर रहा है, जिससे डाटा-संचालित निर्णय लेने और शैक्षिक परिणामों में सुधार सुनिश्चित होता है। अब तक वहां से चार चैटबॉट (स्मार्ट अटेंडेंस जम्मू-कश्मीर, जम्मू-कश्मीर स्टडी बडी, फील्ड मॉनिटरिंग बॉट, जम्मू-कश्मीर पैरेंट पल्स बॉट) लांच किए गए हैं।
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