Jammu Kashmir : सरकारी आवास के मुद्दे पर कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने, बोले- बदले की भावना से न हो कार्रवाई
साहनी ने कहा कि सरकार को सभी को एक समान नजर से देखते हुए किसी भी राजनीतिक पार्टी से संबंधित पूर्व मंत्रियों व पूर्व विधायकों को उनके कार्यकाल के दौरान प्रदान किए गए सरकारी आवास खाली करवाने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर देने चाहिए।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : प्रदेश प्रशासन की ओर से सरकारी आवास खाली कराने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्रियों, पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों को दिए जा रहे नोटिस के बीच सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री योगेश साहनी ने कहा कि सरकारी आवास खाली करवाने के मामले में किसी एक को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने अन्य राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को सरकारी आवास खाली करने को लेकर नोटिस दिया, लेकिन खुद उसके कई नेता अभी भी सरकारी बंगलों में रह रहे हैं, जो साफतौर पर भेदभाव को दर्शाता है। इसपर पलटवार करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि सिर्फ भाजपा नेताओं को ही नहीं बल्कि सभी दलों के कई नेताओं को सरकारी आवास दिए गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों की सलाह पर ही सुरक्षा कारणों से सरकार ने नेताओं को सरकारी आवास दिए हैं।
महबूबा मुफ्ती का जिक्र करते हुए साहनी ने कहा कि किसी एक राजनीतिक पार्टी को निशाना बनाकर अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ अपनी शक्ति को हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया चाहिए। साहनी ने कहा कि सरकार को सभी को एक समान नजर से देखते हुए किसी भी राजनीतिक पार्टी से संबंधित पूर्व मंत्रियों व पूर्व विधायकों को उनके कार्यकाल के दौरान प्रदान किए गए सरकारी आवास खाली करवाने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर देने चाहिए।
सरकार की अनदेखी का शिकार हो रहे जल शक्ति विभाग के अस्थायी कर्मी :
आम आदमी पार्टी (आप) ने लंबे समय से अपने हक के लिए आंदोलन पर उतरे जलशक्ति विभाग के अस्थायी कर्मियों का पक्ष लिया है। कहा कि चाहे जलशक्ति विभाग के अस्थायी कर्मी हो या दूसरे विभागों के, जम्मू-कश्मीर सरकार इनके साथ लगातार अनदेखी कर रही है। प्रदेश प्रवक्ता प्रताप जम्वाल ने कहा कि पिछले 108 दिन से चल रहे आंदोलन के बावजूद सरकार ने जलशक्ति विभाग के इन कर्मियों की ओर कोई ध्यान नही दिया। यह सरकार का असंवेदनशील रवैये को दर्शाता है। यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि जल शक्ति विभाग आवश्यक सेवाओं की श्रेणी में आता है क्योंकि लोगों को पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी इस विभाग के कंधे पर है। नियमित कर्मचारियों की कोई नई भर्ती नहीं होने से सारा काम का बोझ अस्थायी कर्मियों पर है। फिर इनको नियमित क्यों नहीं किया जाता। जम्वाल ने कहा कि पिछले 20 बरस से यह अस्थायी कर्मी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनको नियमित किया जाना चाहिए। इनके बकाया वेतन जारी किए जाने चाहिए और नए नियमों के अनुसार इनको न्यूनतम दिहाड़ी मिलनी चाहिए। मगर कहीं कोई सुनवाई नहीं। वही आगे उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी हमेशा इन कर्मचारियों के साथ है और इनकी जायज मांगों का समर्थन करती है। क्योंकि यह कर्मचारी विभाग की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं। इनके साथ इंसाफ होना चाहिए।प्रताप जम्वाल ने कहा कि केंद्र सरकार व जम्मू-कश्मीर सरकार को इन कर्मचारियों के बारे में सोचना चाहिए और इनको नियमित किए जाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए। जो कर्मी लोगों तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने का काम कर रहे हैं, उनकी बुनियादी सुविधाओं का भी तो ख्याल रखा जाना चाहिए। अगर सरकार ने इन कर्मचारियों के साथ इंसाफ नहीं किया तो आने वाले समय में आम आदमी पार्टी को आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।