घाटी में आतंक के सफाए के लिए सरकार ने तैयार किया 'घातक' प्लान, पाकिस्तानी आतंकियों को ढूंढ-ढूंढकर मारेगी ये फोर्स
Jammu Kashmir News जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने असम राइफल्स (Assam Rifles in Jammu Kashmir) की दो और वाहिनियों को तैनात करने का फैसला किया है। असम राइफल्स को आतंकवाद विरोधी अभियानों का लंबा अनुभव है और यह घने जंगलों नालों और पहाड़ों में किसी भी सैन्य अभियान के संचालन में कुशल मानी जाती है।
नवीन नवाज, जम्मू। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में आगामी गर्मियों में आतंकी हिंसा के दुष्चक्र को तेज करने के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के षडयंत्र को पूरी तरह विफल बनाने के लिए केंद्र सरकार ने भी अपनी रणनीति को लागू करना शुरू कर दिया है।
इसी रणनीति के तहत जंगल वॉरफेर में पूरी तरह प्रशिक्षित असम राइफल्स की दो और वाहिनियों को जम्मू कश्मीर में तैनात किया जा रहा है। इससे पूर्व गत वर्ष अगस्त-सितंबर में भी असम राइफल्स के कुछ विशेष दस्तों को जम्मू-कश्मीर भेजा गया था।
उल्लेखनीय है कि असम राइफल्स ने 1990 से लेकर करगिल युद्ध तक जम्मू कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में उल्लेखनीय भूमिका निभायी है। इसके बाद वर्ष 2020 में एक बार फिर असम राइफल्स की एक वाहिनी के अलावा असम राइफल्स के महिला दस्ते को कश्मीर में तैनात किया गया।
असम राइफल्स की दो और वाहिनियों को तैनात करने का फैसला
संबधित सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में असम राइफल्स की दो और वाहिनियों को तैनात करने का फैसला उन खुफिया रिपोर्टाे के आधार पर लिया है, जिनमें कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने आगामी गर्मियों में जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा का दुष्चक्र तेज करने के लिए आतंकियों के कुछ दस्तों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया है।
यह आतंकी कश्मीर के कुछेक हिस्सों के अलावा जम्मू प्रांत के राजौरी-पुंछ,रियासी-डोडा ,उधमपुर,किश्तवाड़ व कठुआ में अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं। इन्हीं इलाकों में बीते चार वर्ष के दौरान आतंकियों ने भारतीय सेना व अन्य सुरक्षाबलों पर सनसनीखेज हमले किए हैं।
जम्मू में अभी भी 55 आतंकी सक्रिय हैं
एक सूचना के मुताबिक, राजौरी-पुंछ और डोडा-किश्तवाड़ व उधमपुर के ऊपरी इलाकों में लगभग 50-55 विदेशी आतंकी सक्रिय हैं। सूत्रों के मुताबिक,इनकी संख्या ज्यादा भी हो सकती है और यह आतंकी इन इलाकों में बीते एक वर्ष से भी ज्यादा समय से सक्रिय हैं।
इन आतंकियों द्वारा अपने पक्के ठिकाने बनाएजाने के साथ साथ अपने लिए नए ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क को तैयार किए जाने की आशंका से भी इनकारनहीं किया जा सकता।
सूत्रों के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में मौजूदा समय में सक्रिय आतंकियों की संख्या 160 के आसपास हैं और इनमें से अधिकांश विदेशी आतंकी ही हैं, जो एम-4 कार्बाइन और स्टेयर एयूजी जैसी घातक राइफलों से लैस हैं।
संबधित अधिकारियों ने बताया कि असम राइफल्स को आतंकविरोधी अभियानों के संचालन से लेकर सीमांत इलाकों मे दुश्मन से निपटने का पूरा अनुभव है। इसके अलावा यह घने जंगलों, नालों और पहाड़ों में किसी भी सैन्य अभियान के संचालन में कुशल मानी जाती है।
जम्मू कश्मीर मे इसे जिन इलाकों में तैनात किया जा रहा है,वह पर्वतीय और वनीय क्षेत्र हैं। उन्होंने बताया कि आबादी वाले इलाकों में मुख्यत:आतंकरोधी अभियानों की कमान जम्मू कश्मीर पुलिस औार सीआरपीएफ ही संभालेगी,लेकिन अन्य इलाकों में राष्ट्रीय राइफल्स, असम राइफलस और सीसुब की आतकरोधी अभियानों में उल्लेखनीय भूमिका रहेगी।
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असम राइफल्स की आठ वाहिनियां रहीं तैनात
कश्मीर मामलों के जानकार डॉ. अजय च्रंगू ने कहा कि असम राइफल्स की वाहनियों को जम्मू कश्मीर में बढ़ाने का मतलब सीधा और स्पष्ट है कि केंद्र सरकार अब आतंकियों के बचे खुचे नेटवर्क पर अंतिम प्रहार की तैयारी में है।
वर्ष 1990 से लेकर 1998 तक जम्मू कश्मीर में असम राइफल्स की आठ वाहिनियां तैनात रही हैं और उन्होंने उत्तरी कश्मीर में विशेषकर कुपवाड़ा में आतंकियों के सफाए में अहम भूमिका निभायी है।
सिंतबर 1990 में असम राइफल्स के जवानों ने तुलैल गुरेज में एक सुनियाेजित अभियान चलाकर आतंकियों को विभिन्न जगहों पर घेरा। इस अभियान में एक आतंकी मारा गया और 91 पकड़े गए थे। इसके अलावा हथियारों क एक बड़ी खेप बरामद की गई थी। ऐसे एक नहीं कई ऑपरेशन असम राइपल्स के नाम हैं।
जब 72 आतंकियों का किया था सफाया
उन्होंने कहा कि कश्मीर की आतंकी हिंसा की जब आप कुंडली खंगालेंगे तो आपको जिला कुपवाड़ा में मई 1991 का ऑपरेशन दुधी भी नजर आएगा।
यह भारतीय सेना के इतिहास में अब तक सबसे ज्यादा सफल आतंकरोधी अभियान कहा जाता है। असम राइफल्स के 15जवानों के एक दस्ते ने इस अभियान में 72 आतंकियो को मार गिराने के अलावा 13 आतंकियों को पकड़ा था।
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