पति की कमाई हो गई बंद, फिर मशरूम की खेती से चमकी किस्मत; कौन हैं महिलाओं को रोजगार देने वाली जम्मू की अनीता
अगर हिम्मत और जज्बा हो तो हम मुश्किल से मुश्किल हालातों से लड़ सकते है और वह सब कुछ पा सकते हैं जिसकी हमने कामना की है। इसका सीधा उदाहरण है जम्मू की अनीता जिन्होंने अपने मुश्किल समय में घर-घर खाना बनाया और मशरूम की खेती की। आज अनीता 15-20 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं वह सेल्फ हेल्प ग्रुप चला रही हैं।

जागरण संवाददाता,जम्मू। जिंदगी में कभी कुछ पल ऐसे आ जाते हैं कि व्यक्ति को बदलना ही पड़ता है और यही बदलाव जिंदगी बदल कर रख देता है। इससे समाज में शोहरत तो मिलती ही है। साथ ही साथ दूसरे लोगों की राह भी निकल आती है।
वर्ष 2017-18 में अखनूर के कोटली टांडा की रहने वाली अनीता देवी की जिंदगी बहुत कठिनाई में आ गई। कारण पारिवारिक थे। पति की कमाई अब नहीं रही। इन हालात में घर पर ऐसा संकट आ गया कि खाने के लाले पड़ने लगे। कमाई के सभी साधन बंद हो गए थे। दो छोटे-छोटे बच्चों को पालने की जिम्मेदारी अब अनीता पर आ गई।
अब उसके पास एक ही चारा था कि वह अपना कुछ ऐसा काम करे कि कुछ कमाई हो सके और घर चल सके। यहीं से उसने घर में ही लोगों के लिए खाना बनाने का काम शुरू किया। साथ ही मशरूम की खेती भी शुरू कर दी।
सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाया, मशरूम की खेती की
जिंदगी से लड़ते हुए वह आगे बढ़ती गई। महिलाओं का ग्रुप बनाया जो कि मशरूम के काम में जुट गया। वहीं खाना बनाने में भी महिलाएं सहयोग करने लगीं। आज स्थिति यह है कि अनीता देवी उम्मीद के तहत अपना सेल्फ हेल्प ग्रुप चला रही हैं। एक ओर अखनूर में डोगरा रसोई के जरिए लोगों तक डोगरा क्षेत्र के व्यंजन पहुंच रहे हैं। वहीं सुबह और शाम को यह महिलाएं मशरूम की खेती देखती हैं।
अनीता देवी ने 100 बैग मशरूम लगाए हैं और महिला सदस्यों के सहयोग से सारा काम किया जाता है। अब इन महिलाओं ने अचार बनाने का काम भी शुरू किया हुआ है। उम्मीद के बैनर तले यह कई तरह के आचार तैयार कर रही हैं और लोगों तक पहुंचा रही हैं।
अब हल्दी की खेती भी शुरू की दी गई
अनीता देवी के नेतृत्व में महिलाएं अब हल्दी की खेती भी करने लगी हैं। इस बार महज एक कनाल भूमि में ही हल्दी लगाई गई है लेकिन आने वाले समय में इसका दायरा और बढ़ाया जाएगा। फिर हल्दी पीसने का यूनिट लगाया जाएगा और पैकिंग में हल्दी मार्केट में उतारी जाएगी।
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200 महिलाओं को रोजगार देने का लक्ष्य
अनीता देवी ने बताया कि आज उनकी डोगरा रसोई बहुत अच्छी चल रही हैं। मशरूम बिक रही है। जो लाभ होता है, इन महिलाओं में उनके कामकाज के हिसाब से वितरित किया जाता है।
उन्होंने कहा कि ''मुझे अभी भी चैन नहीं हैं। अभी हम लोग 15-20 महिलाओं को ही रोजगार दे पा रहे हैं। मेरा दिल चाहता है कि 200 महिलाओं को रोजगार दे सकूं। इसलिए मैं इन महिलाओं को संगठित कर उनको काम में लगा रही हूं। कामकाज से मेरी अपनी जिंदगी बदल गई है। एक समय था कि मेरे पास रोजगार नहीं था। बच्चों की पढ़ाई का खर्च जुटा पाना मुश्किल रहता था। आज मेरी बेटी ऊषा 11 कक्षा में व बेटा सुरेंद्र कक्षा 12 कक्षा में और बड़े स्कूलों में पढ़ रहे हैं।''
घर के कामकाज के साथ आर्थिक स्रोत जरूरी
अनीता देवी ने हर महिला को कहा कि घर के कामकाज से हटकर अपनी जिंदगी के बारे में भी सोचें क्योंकि आने वाला समय कठिन है। महज पति की कमाई से घर नहीं चल सकेगा। महिलाओं को भी कामकाज पर उतरना होगा। इससे घर में खुशहाली बढ़ेगी। महिलाओं का अपना विकास भी होगा। अगर महिलाएं अपनी मेहनत से थोड़ी बहुत कमाई करने लगेंगी तो घर वाले भी खुश रहेंगे। इसलिए अब महिलाएं अपने आप को घर की चहारदीवारी तक ही सीमित न रहें। उसे घर भी देखना है और अपना काम काज भी।
कब सुबह होती है और कब शाम, पता ही नहीं चलता
कई महिलाओं को रोजगार का रास्ता दिख चुकीं अनीता देवी का कहना है कि वह सुबह पांच बजे उठ जाती हैं ताकि डोगरा रसोई की तैयारी की जा सके। उसके बाद सुबह 7-8 बजे उसे मशरूम की खेती भी देखनी है।
दोपहर को अचार बनाने का काम देखना है। फिर डोगरा रसोई और साथ ही साथ शाम के मशरूम की फसल को चुनना व पैकिंग करवाना होता है। इसलिए ही तो कहती हूं कि कब सुबह होती है और कब शाम हो जाती है, इस बारे में कुछ पता ही नहीं चलता। बस जिंदगी इसी तरह से चलती रहनी चाहिए ताकि अपने घर की खुशियां बढ़ सकें और दूसरों के घरों में भी खुशियां लाई जा सके।
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