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    गोबर नाली में बहाने वालों की खैर नहीं, देनी पड़ेगा भारी जुर्माना; सील की जाएंगी डेरियां, डेरी का पंजीकरण भी जरूरी

    Updated: Wed, 11 Jun 2025 02:03 PM (IST)

    जम्मू नगर निगम ने डेरी चलाने वालों को गोबर का निपटान स्वयं करने का निर्देश दिया है। गोबर नालियों में फेंकने पर जुर्माना और डेरी सील होगी। सभी डेरी का ...और पढ़ें

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    जम्मू नगर निगम के कैटल हॉल में रखे गए मवेशी

    जागरण संवाददाता, जम्मू। नगर निगम ने शहर में डेरी चलाने वालों को निर्देश दिए हैं कि वे गोबर का निपटान स्वयं के स्तर पर करें। थोड़ा भी गोबर नालियों, नालों अथवा खुले में नहीं फेंका जाना चाहिए, अन्यथा जुर्माना करने के साथ उनकी डेरी सील भी की जाएंगी। हरेक डेरी को पंजीकृत करवाना भी जरूरी है।

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    हालांकि निगम ने पहले ही डेरी संचालकों को नोटिस जारी कर इनका पंजीकरण करवाने के निर्देश दिए हुए हैं। पिछले माह दो डेरियों को सील भी किया गया। ऐसी ही डेरियों के खिलाफ निगम मुहिम को आगे बढ़ाने वाला है। डेरी वालों के आसपास रहने वालों से नालियों, नालों में गोबर व अन्य अपशिष्ट जाने की मिल रही शिकायतों के बाद नगर निगम डेरी वालों पर सख्ती करने जा रहा है।

    नगर निगम की हेल्थ विंग ने डेरी वालों से प्रति माह दो हजार रुपये यूजर चार्ज वसूलने के निर्देश देने के साथ सेनिटरी इंस्पेक्टरों को इन पर नजर रखने और कार्रवाई करने के लिए भी कहा है। डेरी से निकलने वाले गोबर के निपटान के लिए तंत्र स्थापित करना उनकी जिम्मेदारी है।

    गोबर बाहर गलियों, नालियों, नालों में नहीं गिरना चाहिए। इस गोबर से वे खाद, गोबर गैस आदि बना सकते हैं। इसके लिए कोई छोटी इकाई स्थापित करें अथवा पिट बनाकर गोबर से खाद, प्लांट लगाकर गैस बनाने की परंपरा को आगे बढ़ाएं। किसी भी सूरत में गोबर अपशिष्ट बाहर नहीं जाना चाहिए।

    जब तक तंत्र स्थापित नहीं हो जाता, वे इस अपशिष्ट को सुपरइवाजर, सेनिटरी इंस्पेक्टर के माध्यम से जम्मू नगर निगम को ही सौंपें ताकि इसका निपटान हो सके। शहर में चल रहीं 300 डेरियां, पंजीकृत 96 ही: जम्मू शहर में करीब 300 डेरियां चल रही हैं। इनमें इक्का-दुक्का मवेशी रखने वाले भी शामिल हैं। सिर्फ 96 डेरियां ही नियमों पर खरी उतर रही हैं।

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