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    आप विधायक मेहराज मलिक की बड़ी मुश्किलें, वकील निर्मल कोतवाल ने केस लड़ने से किया इनकार, जानें पूरा मामला

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 03:27 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाए गए आप विधायक मेहराज मलिक के वकील ने अदालत में केस लड़ने से इनकार कर दिया। वकील निर्मल कोतवाल ने कहा कि उन्हें पहले पता नहीं था कि मेहराज मलिक ने राष्ट्रविरोधी और अलगाववादियों के समर्थन में बयानबाजी की है। वायरल वीडियो में उन्हें भारत के खिलाफ और आतंकियों के समर्थन में बोलते हुए सुना गया है।

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    एडवोकेट निर्मल के कोतवाल ने कहा कि भारत की एकता और संप्रभुता पर समझौता नहीं किया जा सकता।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत बंदी बनाए गए आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक मेहराज मलिक के वकील ने अदालत में उनकी ओर से केस लड़ने से इंकार कर दिया है।

    वरिष्ठ एडवोकेट निर्मल के कोतवाल ने गुरूवार को खुद को मेहराज मलिक के मामले से अलग करने की पुष्टि करते हुए बताया कि मुझे पहले नहीं मालूम था कि उन्होंने कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी और अलगाववादियों के समर्थन में बयानबाजी की है। मेरी जिम्मेदारी सिर्फ अपने मुवक्किल के प्रति नहीं, बल्कि संविधान और देश के प्रति भी है।

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    डोडा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक मेहराज मलिक इन दिनों कठुआ जेल में बंद हैं। दैनिक जागरण के साथ एक संक्षिप्त बातचीत में उन्होंने कहा कि जब मैंने आप विधायक के मामले की पैरवी का निर्णय लिया था तो मुझे पता था कि वह पीएसए के तहत बंदी बनाए गए हैं, क्योंकि उन्होंने एक वरिष्ठ अधिकारी के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग किया है।

    उनके वीडियो लगातार वायरल हो रहे हैं जिनके बारे में मुझे पहले नहीं पता था। इंटरनेट मीडिया पर लगातार वायरल हो रहे मेहराज मलिक के वीडियो में कई जगह उन्हें यह देखा-सुना जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है।

    वह कथित तौर पर जुलाई 2016 में मारे गए आतंकी बुरहान वानी और पाकिस्तान स्थित आतंकी मसूद अजहर की भी तारीफ करते हुए नजर आते हैं।

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    एडवोकेट निर्मल काेतवाल ने कह कि विधायक के बयान अत्यंत गैर-जिम्मेदाराना और राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए हानिकारक हैं। भारत की एकता और संप्रभुता पर समझौता नहीं किया जा सकता। इसे कम करने वाला कोई भी काम या बयान किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है।

    एक वरिष्ठ वकील के तौर पर मेरी जिम्मेदारी सिर्फ अपने मुवक्किल के प्रति नहीं, बल्कि संविधान और देश के प्रति भी है। पेशेवर नैतिकता और राष्ट्रीय अखंडता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें इस मामले से अलग होने के लिए मजबूर किया।