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    हॉकी वर्ल्डकप 2018: जब भारत ने पहली और आखिरी बार जीता विश्व कप

    By Lakshya SharmaEdited By:
    Updated: Thu, 22 Nov 2018 10:51 AM (IST)

    भारतीय टीम ने एक बेहद दिलचस्प फाइनल में चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को 2-1 से हराकर पहली बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया।

    हॉकी वर्ल्डकप 2018: जब भारत ने पहली और आखिरी बार जीता विश्व कप

    नई दिल्ली, जेएनएन। पहले हॉकी विश्व कप में तीसरे स्थान पर और फिर दूसरे विश्व कप में उप विजेता रहने वाली भारतीय टीम ने आखिरकार 1975 में मलेशिया में आयोजित तीसरे विश्व कप में अजित पाल सिंह की अगुआई में खिताब अपने नाम किया।

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    भारतीय टीम ने एक बेहद दिलचस्प फाइनल में चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को 2-1 से हराकर पहली बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। तब एक गोल से पिछड़ रही भारतीय टीम को सुरजीत सिंह ने मुकाबले में बराबरी दिलाई। इसके बाद अशोक ध्यानचंद ने निर्णायक गोल किया था। 

    दोनों टीमें दूसरी बार खिताबी मुकाबले में पहुंची थीं जिसे देखने के लिए करीब 40 हजार दर्शक स्टेडियम में पहुंचे थे। मलेशिया से विश्व चैंपियन बनकर वापस लौटी भारतीय टीम का देश में जबरदस्त स्वागत हुआ। 12 टीमों ने विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया जिसमें पोलैंड और घाना को पहली बार इस महा आयोजन में खेलने की पात्रता हासिल हुई।

    पूल-ए से पाकिस्तान और मलेशिया ने अंतिम चार के लिए क्वालीफाई किया। वहीं, 1973 के विश्व चैंपियन नीदरलैंड्स का प्रदर्शन उस आयोजन में बेहद खराब रहा, जो अपने पूल में सबसे नीचे रहा।

    पूल-बी में भारत के साथ पश्चिम जर्मनी ने सेमीफाइनल में जगह बनाई। भारत ने अपने पूल में इंग्लैंड, घाना और पश्चिम जर्मनी को हराया, जबकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसने ड्रॉ खेला और अर्जेटीना के हाथों उसे शिकस्त झेलनी पड़ी थी। इस पूल में भारत और पश्चिम जर्मनी ने सात-सात अंक हासिल किए, लेकिन गोल अंतर की वजह से भारत ने अपने पूल में शीर्ष स्थान हासिल किया। सेमीफाइनल में भारत ने मलेशिया को अतिरिक्त समय तक चले मुकाबले में 3-2 से शिकस्त दी।

    सेमीफाइनल में भारत के लिए हरचरन सिंह ने खेल के 79वें मिनट में निर्णायक गोल दागा था। एक अन्य सेमीफाइनल में पाकिस्तान ने पश्चिम जर्मनी को 5-1 से करारी मात देकर खिताबी मुकाबले में जगह बनाई थी। वहीं पश्चिम जर्मनी ने मलेशिया को 4-0 से हराकर तीसरा स्थान हासिल किया।

    कुआलालंपुर में खेले गए इस आयोजन के 42 मुकाबलों में कुल 175 गोल हुए जो पिछले दोनों विश्व कप से कहीं ज्यादा थे। नीदरलैंड्स के टीस क्रूज, पाकिस्तान के मंजूर-उल-हसन और पोलैंड के स्टीफन ओटुलाकोवोस्की ने टूर्नामेंट में सर्वाधिक सात-सात गोल किए।

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