वन्य प्राणियों का शिकार किया तो होगी जेल, वन विभाग ने कसी कमर
हिमाचल वन विभाग ने सर्दी के मौसम में वन्य जीवों को अवैध शिकार से बचाने के लिए कमर कस ली है शिकार करने वालों के खिलाफ एक जागरुकता कैंप का आयोजन भी किया जाएगा।
चिंतपूर्णी, नीरज पराशर। सर्दी के मौसम में वन्य जीवों को अवैध शिकार से बचाने के लिए वन विभाग ने तैयारी कर ली है। वन विभाग वन्य जीव संरक्षण से लेकर अवैध शिकार के खिलाफ मुहिम तेज करेगा। विभाग ने शिकार करने वालों के खिलाफ जागरूकता कैंप आयोजित करने की बात भी कही है।
दरअसल चिंतपूर्णी क्षेत्र का एक बड़ा भू- भाग वन्य क्षेत्र से ढका हुआ है। लोहारा से लेकर घंगरेट तक के क्षेत्र में कई वन्य प्रजातियां जंगल में बिचरती हैं। सर्दी का मौसम शुरू होते ही कई शिकारी इस क्षेत्र में सक्रिय हो जाते हैं। बताया जाता है कि शिकारी सबसे ज्यादा निशाना जंगली सुअरों को बनाते हैं। बंदूक के अलावा जाल या फंदे में फंसाकर भी इन प्राणियों की जान ली जाती है। वन्य जीवों का शिकार न हो, इसे लेकर विभाग गंभीर हो गया है। विभाग ग्रामीणों से भी आग्रह करेगा कि अवैध शिकार करने वालों की सूचना दी जाए ताकि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
सजा व जुर्माना हो सकता है : प्यार सिंह
विभाग के भरवाईं रेंज के अधिकारी प्यार सिंह ने कहा कि वन्य क्षेत्र में किसी भी प्रकार के जंगली जानवर का शिकार करना या उसे पकड़ना जुर्म है। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ जुर्माने व सजा का प्रावधान है। विभाग अवैध शिकार करने वालों पर पूरी तरह से नजर रखे हुए है।
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वन्य प्राणी अपराध गैर जमानती स्थानीय जंगलों में तेंदुए के अलावा हिरण (कक्कड़), जंगली सुअर, सायल (सेह), सांबर, जंगली मुर्गा, खरगोश, तीतर और मोर का शिकार निषेध है। किसी वन्य प्राणी को गोला-बारूद, आग्नेय शस्त्र, जाल या फंदे से मारने पर तीन वर्ष की कैद या 25 हजार रुपये तक जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं। वन्य प्राणी अपराध गैर जमानती है।
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