वैदिक संस्कारों व कर्मकांड पर होगा अनुसंधान, दी जा रही है वेद व संस्कृत की शिक्षा
डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम के वेदांताचार्य महंत सुग्रीवानंद महाराज की ओर से 60 बच्चों को निशुल्क वेद व संस्कृत दी जा रही है।
ऊना, राजेश शर्मा। जिले में प्राचीन संस्कृति के संरक्षण व उत्थान के लिए समर्पित क्षेत्र के डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम के वेदांताचार्य महंत सुग्रीवानंद महाराज की ओर से 60 बच्चों को निशुल्क वेद व संस्कृत की शिक्षा दिलाई जा रही है। आने वाले समय में यहां वैदिक संस्कारों व कर्मकांड में अनुसंधान शुरू होगा।वर्तमान में यहां वेदों पर आधारित शिक्षा दी जा रही है और कुछ विद्यार्थी शास्त्री की उपाधि के लिए अध्ययन कर रहे हैं।
उत्तरी भारत के प्रसिद्ध इस डेरे में वैदिक अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया है। यहां ऐसे धार्मिक ग्रंथों का संकलन किया गया है जो देश की प्राचीन संस्कृति और पद्धति पर आधारित हैं। डेरे में वैदिक संस्कृति पर अनुसंधान करने वालों को निशुल्क अध्ययन की सुविधा दी जा रही है।
क्या है उम्मीद
डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम में भारत की प्राचीन संस्कृति के संरक्षण के मकसद से जो अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया है उसमें विद्वानों को धर्म और संस्कृति पर आधारित किसी भी अनुसंधान के लिए सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी। इससे पहले बनारस और काशी में भी ऐसे कई स्थान थे जहां वेदों के अलावा प्रमुख धार्मिक ग्रंथ रखे गए थे। इस डेरे में संस्कृत के विद्वान प्रो. शिव कुमार की देखरेख में धार्मिक ग्रंथों पर आधारित पुस्तकालय स्थापित किया गया है।
डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम में जो भी विद्यार्थी वेद व शास्त्रों पर आधारित अध्ययन कर रहे हैं उन्हें देश के विभिन्न महापुरुषों द्वारा लिखित धार्मिक ग्रंथ उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। यहां देश के हर स्थान से हिंदू धर्म व संस्कृति पर आधारित ग्रंथों का संकलन किया गया है। डेरे का खुद का भी करीब पौने दो सौ साल का इतिहास है।
जो भी संत व महात्मा इस डेरे के महंत रहे हैं उन्होंने इस अवधि में धार्मिक ग्रंथों का संकलन किया है। इनके बारे में कथा और कहानियों में ही सुना जाता रहा है। अब भी यह परंपरा चल रही है। वेदांताचार्य महंत सुग्रीवानंद महाराज ने प्रत्येक ग्रंथ को आश्रम में जुटाने के लिए हरसंभव प्रयास किया है।
क्या है मकसद
डेरा बाबा रुद्रानंद के वेदांताचार्य महंत सुग्रीवानंद महाराज देश में धर्म और संस्कृति के प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उनका मानना है कि अगर इस क्षेत्र में कोई अपने पुराने इतिहास और संस्कृति के बारे में अध्ययन व अनुसंधान करना है तो वह डेरे में निशुल्क सेवा प्राप्त कर सकता है। भविष्य में यहां देश या विश्व को हिंदू धर्म पर आधारिक वैदिक अनुसंधान केंद्र बने ऐसी मेरी कामना है।
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