नोटबंदी का असर : कामगारों को दे दी एक सप्ताह की छुट्टी
नोटबंदी का असर सामने आने लगा है। प्रदेश के जिला ऊना के औद्योगिक क्षेत्र गगरेट में कई उद्योगों ने उत्पादन बंद कर कामगारों को एक सप्ताह की छुट्टी पर भेज दिया है।
गगरेट [अजय ठाकुर] : नोटबंदी का असर धीरे-धीरे सामने आने लगा है। नकदी संकट से जूझ रहे लोगों की बाजार में कम आमद का सीधा असर उत्पादन पर दिखने लगा है। तैयार माल की कम मांग के चलते हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के औद्योगिक क्षेत्र गगरेट में कई उद्योगों ने उत्पादन बंद कर कामगारों को एक सप्ताह की छुट्टी पर भेज दिया है।
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उद्योगपति परेशानी में हैं कि अगर जल्द हालात न सुधरे तो वे कामगारों के वेतन का खर्च कैसे वहन करेंगे। कई उद्योगपति कामगारों को अस्थायी तौर पर बाहर का रास्ता भी दिखा सकते हैं। नोटबंदी के बाद बैंक से नकदी निकासी की सरकार द्वारा सीमा तय करने के बाद हालांकि सरकार ने ऑनलाइन पेमेंट व आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रोथ सेटलमेंट) जैसे कई विकल्प सुझाए हैं लेकिन जनता द्वारा 500 व 1000 रुपये के नोट बैंक में जमा करवाने के बाद अब सरकार द्वारा तय की गई सीमा के तहत भी बैंक से जनता नकदी प्राप्त नहीं कर पा रही है।
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इसका सीधा असर बाजार पर पड़ा है। लोगों की कम खरीदारी ने औद्योगिक इकाइयों को भी मंदी की ओर धकेल दिया है। गगरेट के कई उद्योग भी इसकी चपेट में आ गए हैं। इसके चलते एक ब्लेड निर्माता उद्योग ने उत्पादन बंद कर कामगारों को एक सप्ताह की छुट्टी पर भेज दिया। कमोवेश यही स्थिति यहां कई लघु इकाइयों की है। जो हालात बन रहे हैं, उससे यही लग रहा है कि गाड़ी को पटरी पर आने के लिए अभी छह-सात महीने और लग सकते हैं। जाहिर है कि उत्पादन बंद करने पर भी औद्योगिक इकाइयों को कई अन्य खर्च हर माह वहन करने होंगे। इनमें कामगारों का वेतन, बिजली का बिल व अन्य कई प्रकार के खर्च शामिल हैं।
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औद्योगिक संघ अम्ब के महामंत्री सुरेश शर्मा का कहना है कि नोटबंदी का उद्योगों पर असर हुआ है। कई उद्योगों को उत्पादन ठप करना पड़ा है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती तब तक उद्योगों को सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी व सीएसटी में छूट प्रदान की जाए। अन्यथा कई लघु औद्योगिक इकाइयां उजड़ने के कगार पर पहुंच जाएंगी।
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