Himachal News: पंचायतों में सरकारी धन का दुरुपयोग, 40 से 60 हजार के वाटर कूलर पर खर्च किए एक लाख रुपये
Water Cooler Scam Una हिमाचल प्रदेश के गगरेट क्षेत्र की पंचायतों में वाटर कूलर खरीद में वित्तीय अनियमितताओं के मामले सामने आए हैं। आरोप है कि पंचायतों ने बाजार मूल्य से अधिक दरों पर वाटर कूलर खरीदे और भुगतान के बावजूद सभी वाटर कूलर स्थापित नहीं किए गए। बड़ोह और अंबोटा पंचायतों में अनियमित भुगतान के मामले उजागर हुए हैं जिनकी जांच के आदेश दिए गए हैं।

अविनाश विद्रोही, गगरेट। Water Cooler Scam Una, भारत में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए पंचायतों को मजबूत करने पर बल दिया गया, लेकिन अब पंचायतों में भ्रष्टाचार भी चरमसीमा लांघ चुका है। इसी कड़ी में अब गगरेट विधानसभा क्षेत्र की कुछ पंचायतों की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न उठने लगे हैं। विकास खंड गगरेट की दो पंचायतों अंबोटा और बड़ोह में वित्तीय अनियमितताओं के मामले सामने आए हैं, जिसमें पंचायतों द्वारा 15वें वित्त आयोग के तहत वाटर कूलर स्थापित करने में भारी गड़बड़ी का आरोप लगा है।
ग्रामीणों को पीने के लिए ठंडा पानी उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से बाजार मूल्य से कहीं अधिक दरों पर वाटर कूलर खरीदे गए। जहां बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाले वाटर कूलर 40,000 से 60,000 रुपये में उपलब्ध हैं, वहीं पंचायतों ने प्रति वाटर कूलर लगभग एक लाख रुपये खर्च किए हैं। इतना ही नहीं, भुगतान के बावजूद आज तक सभी वाटर कूलर स्थापित नहीं किए जा सके हैं।
ग्राम पंचायत बड़ोह में 26 सितंबर, 2023 को पांच वाटर कूलर के लिए पांच लाख रुपये का भुगतान किया गया। इसके बावजूद जून 2025 में फिर से ₹8.49 रुपये लाख का भुगतान उसी कार्य के लिए किया गया, जिससे काम की पारदर्शिता पर प्रश्न उठते हैं। बड़ोह पंचायत में कुल सात वार्ड हैं जबकि भुगतान 13 वाटर कूलर के लिए किया गया। बड़ोह पंचायत में और भी चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां ₹72,000 रुपये का भुगतान एक फर्म को सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कर दिया गया, जबकि मौके पर अभी तक एक भी कैमरा नहीं लग पाया है।
अंबोटा पंचायत में 16 वाटर कूलर के लिए 16.64 लाख भुगतान
अंबोटा पंचायत में दो अक्टूबर, 2024 को छह वाटर कूलर लगाने के लिए ₹छह लाख की राशि दी गई थी और 7 जुलाई, 2025 को 10 वाटर कूलर लगाने के लिए ₹10,64,288 का भुगतान ऊना की एक फर्म को किया गया। बताया जा रहा है कि फर्म ने आज तक सभी वाटर कूलर नहीं लगाए हैं, बावजूद इसके उसे भुगतान कर दिया गया। पंचायतों में इस तरह की वित्तीय अनियमितताएं आगामी चुनावों से पहले न केवल सरकार की छवि को प्रभावित कर सकती हैं, बल्कि ग्रामीण विकास के नाम पर हो रहे गोलमाल पर भी गंभीर प्रश्न खड़े कर रही हैं। वित्तीय संकट से गुजर रहे प्रदेश में क्या विभाग में ऐसी कोई प्रक्रिया या तंत्र नहीं है जो इस प्रकार की खरीद पर नियंत्रण रख सके। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या ठोस कदम उठाता है।
सोलर लाइट में भी गोलमाल
वाटर कूलर के अलावा सोलर लाइट भी सवालों के घेरे में हैं। बाजार में अच्छी गुणवत्ता और गारंटी वाली सोलर लाइट करीब पांच से छह हजार में आसानी से उपलब्ध है, लेकिन पंचायतों द्वारा 15 हजार रुपये भुगतान किया जाता है। इस गड़बड़ी पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। उससे भी बड़ी बात यह है कि अधिकतर सोलर लाइट अब खराब हो चुकी हैं और उन्हें ठीक करने में पंचायत प्रधान और संबंधित कंपनियां गारंटी खत्म होने की दुहाई देती हैं।
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15वें वित्त आयोग के तहत वाटर कूलर स्थापित किए गए हैं। वाटर कूलर के रेट व अधूरे कार्यों के भुगतान पर सचिव कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए।
-धर्मपाल, पंचायत सचिव।
'यह मामला मीडिया के माध्यम से ध्यान में आया है और इसकी जांच की जाएगी। यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी।'
-सुरेंद्र जेटली, खंड विकास अधिकारी गगरेट।
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