खुशवंत सिंह लिटफेस्ट: 'दे विल शूट यू मैडम' पुस्तक पर चर्चा, ऑपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा गांधी पर क्या बोले पी चिदंबरम?
खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में, पी चिदंबरम ने नीरजा चौधरी की किताब 'दे विल शूट यू मैडम' पर बात करते हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार को एक गलती बताया। उन्होंने इंदिरा गांधी के कुछ फैसलों की आलोचना की, लेकिन उन्हें एक मजबूत नेता भी माना। चिदंबरम ने किताब की लेखिका की प्रशंसा की और कहा कि यह इंदिरा गांधी को समझने में सहायक है।

खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में संवाद करते पूर्व मंत्री पी चिदंबरम। जागरण
मनमोहन वशिष्ठ, सोलन। पूर्व गृहमंत्री एवं कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि उन्हें नहीं पता कि पंजाब में भिंडरांवाले को तैयार करने के पीछे इंदिरा गांधी की भूमिका थी। यह संवाद कसौली में जारी खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में शनिवार को पत्रकार हरिंद्र बवेजा की पुस्तक 'दे विल शूट यू मैडम' पर चर्चा के दौरान हुआ।
दरअसल बवेजा ने कहा कि इंदिरा गांधी ने पंजाब में अकालियों की ताकत को कम करने के लिए भिंडरांवाले को तैयार किया था, जिस पर चिदंबरम ने अनभिज्ञता प्रकट की।
इंदिरा ने इसके लिए प्राण भी गंवाए
चिदंबरम का कहना था कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के लिए केवल इंदिरा गांधी को दोषी ठहराना सही नहीं है, क्योंकि उस कार्रवाई में सेना, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल थे। इस पर बवेजा ने कहा कि बतौर पीएम उनकी अनुमति के बिना यह हो नहीं सकता था। चिदंबरम ने जवाब दिया कि इसके लिए इंदिरा गांधी ने अपने प्राण भी गंवाएं।
हत्यारों में से एक के बेटे को सांसद बनाया
बवेजा ने कहा कि इंदिरा गांधी के हत्यारों में से एक के बेटे को सांसद बनाया गया है, इस पर चिदंबरम बोले कि कांग्रेस ने डाॅ. मनमोहन सिंह को लगातार 10 वर्ष के लिए पीएम भी बनाया। बवेजा ने कहा कि राहुल गांधी भी गोल्डन मंदिर जाते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि 1984 की घटना के लिए गांधी परिवार को माफी नहीं मिली है।
बवेजा की आत्मकथा में पत्रकारिता जीवन के अनुभव
हरिंदर बवेजा की आत्मकथा में चार दशकों से अधिक के पत्रकारिता जीवन के अनुभव हैं। इसमें उन्होंने भारत और दुनिया के कई संघर्षग्रस्त क्षेत्रों से की गई अपनी साहसी रिपोर्टिंग का वर्णन किया है।
कश्मीर में राजनीतिक एंगेजमेंट की कमी
इसके अलावा पाकिस्तान, आतंकवाद, कश्मीर समस्या व आपरेशन ब्लू स्टार के बाद दिल्ली में हुए दंगे जैसे संश्लिष्ट मुद्दे चर्चा में रहे। इस दौरान देश के नेताओं की कश्मीर, पंजाब व मणिपुर के प्रति दृष्टिकोण पर भी चर्चा हुई। बवेजा का कहना था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी कश्मीर में राजनीतिक एंगेजमेंट की कमी है। उनका दावा था कि जम्मू-कश्मीर में बढ़ते पर्यटकों की संख्या वहां की शांति का वास्तविक संकेत नहीं है।
कश्मीरियों को नकारात्मक छवि में दिखाने की आवश्यकता नहीं
आपरेशन सिंदूर जैसे प्रयासों से हल नहीं निकलने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ कश्मीरियों में गुस्सा देखने को मिला और उन्होंने इसके विरोध में तिरंगा यात्रा भी निकाली। शायद यह पहला मौका रहा, जब कश्मीरी आतंकवाद के खिलाफ खुलकर सामने आए। कश्मीरियों को नकारात्मक छवि में दिखाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि बड़ी संख्या में लोग यह समझते हैं कि पाकिस्तान की सेनाओं ने वर्षों से उन्हें अपने हितों के लिए इस्तेमाल किया है।
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दुलत की किताब 'स्पाई क्रानिकल ' पर चर्चा
एक अन्य सत्र में पूर्व रा प्रमुख एएस दुलत की किताब 'स्पाई क्रानिकल ' पर चर्चा में दुलत ने कहा कि देश के पास जम्मू-कश्मीर के मसले से निपटने के लिए कोई ठोस नीति या दृष्टिकोण कभी नहीं रहा। दिल्ली को जुड़ने की जरूरत है।
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