भारत और ब्रिटेन में FTA से चमकेगा हिमाचल का फार्मा उद्योग, किस तरह बचेंगे समय व लागत बता रहे BBN के उद्यमी
Himachal Pharma Industry भारत और ब्रिटेन के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से हिमाचल प्रदेश के फार्मा उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूती मिलने की उम्मीद है। इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार नियमों में ढील दी गई है जिससे दवा उद्योग को विशेष लाभ होगा। फार्मा विशेषज्ञों के अनुसार एफटीए से भारतीय कंपनियों को पंजीकरण और अनुमोदन में सुविधा मिलेगी

जागरण संवाददाता, सोलन। Himachal Pradesh Pharma Industry, भारत और ब्रिटेन में हुआ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग को अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूती देगा। ऐसी उम्मीद हिमाचल के उद्यमियों को जगी है। समझौते के तहत दोनों देशों ने कई क्षेत्रों में व्यापार को सुगम और सरल बनाने के लिए नियमों में ढील दी है, जिससे विशेष रूप से भारतीय दवा उद्योग को बड़ा लाभ होगा।
हिमाचल के फार्मा विशेषज्ञों और उद्योगपतियों का कहना है कि अब ब्रिटेन के दवा बाजार में ऐसे कई उत्पादों में भारतीय दवा उद्योग का प्रवेश भी होगा, जिसके लिए उद्यमी कई वर्षों से प्रयासरत थे। भारत से ब्रिटेन को दवाएं निर्यात होती रही हैं, लेकिन मुक्त व्यापार समझौते से अब कई उत्पादों के प्रवेश के रास्ते खुल गए हैं।
फार्मा विशेषज्ञों का कहना है कि एफटीए से भारतीय कंपनियों को तेजी से पंजीकरण और अनुमोदन की प्रक्रिया में भी सुविधा मिलेगी, जिससे उनका समय और लागत बचेगी।
उन्नत तकनीक और वैश्विक मानक अपनाने का अवसर मिलेगा
यह समझौता अनुसंधान और नवाचार क्षेत्र में भी सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा। इससे भारतीय कंपनियों को उन्नत तकनीकों और वैश्विक मानकों को अपनाने का अवसर मिलेगा। समझौते का असर सिर्फ फार्मा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आइटी, आटोमोबाइल, कपड़े और कृषि उत्पाद जैसे क्षेत्रों पर भी पड़ेगा।
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एफटीए लागू होने से दूर होंगी बाधाएं
विश्व स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता के कारण भारत की भागीदारी सीमित थी, जो अब असीमित होगी। प्रतियोगिता, तकनीकी शर्तों व व्यापार शुल्क के कारण भारतीय कंपनियां इन उत्पादों में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवा पा रही थीं लेकिन एफटीए के लागू होने से इन बाधाओं को काफी हद तक दूर किया गया है। अब भारतीय दवा कंपनियां उन क्षेत्रों में भी प्रवेश कर सकेंगी जहां अब तक वे प्रतिस्पर्धात्मक रूप से पिछड़ रही थीं।
-संजय शर्मा, प्रवक्ता, हिमाचल ड्रग मेन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन।
ब्रिटेन में भारतीय दवाओं के लिए नए द्वार खुले
एफटीए से ब्रिटेन में भारतीय दवाओं के लिए कई नए द्वार खुल गए हैं। इससे भारत को ब्रिटेन के स्वास्थ्य क्षेत्र में मजबूत भागीदारी निभाने का अवसर मिलेगा। भारतीय फार्मा उद्योग पहले से ही जेनेरिक दवाओं के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है, अब ब्रिटिश बाजार में भी अपनी पकड़ और मजबूत कर सकेगा। इससे न केवल भारत की फार्मा निर्यात आय में वृद्धि होगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की साख भी बढ़ेगी।
-सतीश सिंघल, चेयरमैन, हिमाचल ड्रग मेन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन।
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