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    सोलन: शूलिनी विश्वविद्यालय की बड़ी कामयाबी, अब मशीन लर्निंग मॉडल से होगी ब्रेस्ट कैंसर की सटीक और सस्ती जांच

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 04:18 PM (IST)

    शूलिनी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मशीन लर्निंग मॉडल विकसित किया है जिससे ब्रेस्ट कैंसर की पहचान आसान और सटीक हो सकेगी। पांच साल के शोध के बाद तैयार इस मॉडल से बीमारी के शुरुआती लक्षणों का पता चल सकेगा और समय पर उपचार शुरू हो सकेगा। यह तकनीक 88 से 99.6 प्रतिशत तक सटीक है और जांच का खर्च भी कम होगा।

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    शूलिनी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने ब्रेस्ट कैंसर की आसान पहचान के लिए मशीन लर्निंग मॉडल विकसित किया (फोटो: जागरण)

    सुनील शर्मा, सोलन। अगर आपको ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण दिख रहे हैं तो घबराएं नहीं। शूलिनी विश्वविद्यालय सोलन के विज्ञानियों ने पांच वर्ष के शोध के बाद 'मशीन लर्निंग मॉडल' तैयार किया है। दावा है कि इससे ब्रेस्ट कैंसर की पहचान आसान होने के साथ 88 से 99.6 प्रतिशत सटीक होगी।

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    देश में पहली बार होगा जब मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का इस्तेमाल ब्रेस्ट कैंसर की जांच में होगा। इस तकनीक से समय पर बीमारी की पहचान हो सकेगी और उपचार भी शुरू हो सकेगा। इसकी पहचान साफ्टवेयर के माध्यम से होगी, जो एल्गोरिदम से बीमारी की पहचान करेगा।

    एल्गोरिदम एक क्रमबद्ध प्रक्रिया है, जो किसी समस्या को हल करने के लिए निर्देशों का सेट प्रदान करती है। विभिन्न क्षेत्रों में एल्गोरिदम का उपयोग किया जाता है, जैसे कि कंप्यूटर विज्ञान, गणित और डॉटा विश्लेषण।

    जल्द मोबाइल वर्जन पर भी लाया जाएगा यह मॉडल

    इस शोध का नेतृत्व कंप्यूटर साइंस विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गौरव गुप्ता ने किया। उनके साथ असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. भारती ठाकुर, रिसर्च स्कालर डॉ. शिवानी भारद्वाज और अंतरराष्ट्रीय छात्र अब्दुल्लाही मोहम्मद शामिल रहे। सभी ने उन्नत असेंबल मॉडल विकसित किया, जिसमें स्पोर्ट वेक्टर मशीन, लाजिस्टिक रिग्रेशन और के-नियरेस्ट नेबर्स जैसी तकनीक को मिलाया।

    अभी तक ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि के लिए सीटी स्कैन के बाद कई अतिरिक्त जांच और टेस्ट जरूरी होते हैं। इस तकनीक से सॉफ्टवेयर की मदद से मरीज खुद या चिकित्सक की मदद से सीटी स्कैन को कंप्यूटर से स्कैन करवा सकते हैं। रिपोर्ट भी जल्द मिलेगी। यह मॉडल कंप्यूटर सिस्टम पर कार्य करता है, लेकिन जल्द मोबाइल वर्जन पर भी लाया जाएगा।

    अब तक बीमारी की पहचान में ही आठ से 10 हजार रुपये खर्च होते हैं, इस मॉडल से यह खर्च एक हजार रुपये तक होगा। प्रो. गौरव गुप्ता ने बताया कि यह मॉडल इंग्लैंड (यूके) और अमेरिका (यूएस) के जरनल में पिछले वर्ष प्रकाशित हो चुका है। मार्च 2024 में उन्होंने मॉडल को पेटेंट के लिए अप्लाई कर दिया है। हालांकि इसे ग्रांट होने में कम से कम दो से तीन वर्ष का समय लग जाता है।

    एक लाख से अधिक सीटी स्कैन पर किया शोध

    इस प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2020 में हुई थी और 2025 में अंतिम रूप दिया। इस दौरान एक लाख से अधिक सीटी स्कैन पर टेस्ट किए और करीब 5,000 मामलों में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण भी पाए गए। रिपोर्ट की क्रास वेरिफिकेशन भी की गई।

    उत्तर प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित, हिमाचल में भी बढ़ रहे मामले

    इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के ब्रेस्ट कैंसर पर आंकड़े चौंकाने वाले हैं। ब्रेस्ट कैंसर से उत्तर प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित है। यहां वर्ष 2020 तक 28573 मामले सामने आ चुके हैं। महाराष्ट्र में 18174, बंगाल में 16155, तमिलनाडु में 14659, बिहार में 14388, कर्नाटक में 13427, मध्य प्रदेश में 11501, आंध्र प्रदेश में 11,174, गुजरात में 10631 और हिमाचल प्रदेश में 1342 हैं।

    शूलिनी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गौरव गुप्ता ने कहा कि यह तकनीक शहरों के साथ गांवों में भी राहत देगी। मॉडल बनाने में लगभग 50 हजार रुपये का खर्च आया है। यह साफ्टवेयर सब्सक्रिप्शन पर उपलब्ध होगा। इसके बाजार में आने से पूर्व के सारे प्रारंभिक ट्रायल हो चुके हैं, बाजार में उतारने में अभी एक वर्ष लग सकता है।

    शूलिनी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर पीके खोसला का कहना है कि यह नवाचार विश्वभर में कैंसर जांच की दिशा को बदल सकता है। यह सस्ता, तेज और भरोसेमंद समाधान आने वाले समय में लाखों जिंदगियां बचा सकता है।