Himachal: चायल की वादियों की सुंदरता पर ग्रहण लगने का खतरा, गंभीर पर्यावरणीय संकट से जूझ रहा पर्यटन स्थल
Himachal Tourist Place Chail चायल में देवदार के पेड़ सूखने की समस्या गहराती जा रही है जिससे हरियाली पर खतरा मंडरा रहा है। फाइटोफ्थोरा नामक बीमारी के कारण पेड़ सूख रहे हैं। वन विभाग बीमारी को रोकने की कोशिश कर रहा है लेकिन स्थिति नियंत्रण में नहीं आ रही है। समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो चायल अपनी प्राकृतिक पहचान खो सकता है।

राम प्रकाश भारद्वाज, कंडाघाट (सोलन)। Himachal Tourist Place Chail, विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल चायल में वर्षभर देशी-विदेशी पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य, हरे-भरे देवदार, बान, बुरांस और रमणीय स्थलों का आनंद लेने आते हैं। यह स्थान अब एक गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहा है। चायल और इसके आसपास की पंचायतों के कुछ क्षेत्रों में देवदार के पेड़ जड़ों और ऊपरी हिस्से से धीरे-धीरे सूखते जा रहे हैं।
यह समस्या काफी गहरा गई है। इन दिनों मानसून चरम पर है। ऐसे में ये पेड़ वन विभाग सहित अन्य पर्यावरण संस्थाओं के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। ये पेड़ कभी भी गिर सकते हैं। इससे हरियाली पर भी खतरा मंडरा रहा है।
नहीं काबू हो रही बीमारी
जानकारों के अनुसार पेड़ों में इस स्थिति का कारण फाइटोफ्थोरा नामक बीमारी है। स्थानीय वन विभाग के कर्मचारियों ने बीमारी को रोकने के लिए भरसक प्रयास किए हैं। इनमें ट्रेंच खोदना, कंटीली तार की बाड़ लगाना और सूखे पौधों की जगह नए पौधे लगाना है। इसके बावजूद यह बीमारी काबू में नहीं आ रही है।
चायल की हसीन वादियों की खूबसूरती पर ग्रहण लगने का खतरा
अब तक बड़ी संख्या में देवदार के पेड़ सूख चुके हैं। इससे चायल की हसीन वादियों की खूबसूरती पर ग्रहण लगने का खतरा बढ़ गया है। पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों पेड़ सूख चुके हैं। ऐसे पेड़ सूखने के बाद धीरे-धीरे गिरते जा रहे हैं। ऐसा क्रम रुका नहीं तो चायल की वादियां हसीन नहीं बचेंगी।
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हरियाली बचाने की मांग
स्थानीय निवासी प्रदीप शर्मा, राजेश कुमार, प्रदीप ठाकुर आदि ने प्रदेश सरकार से तत्काल कार्रवाई करने और हरियाली बचाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण विशेषज्ञों की टीम को क्षेत्र में भेजा जाना चाहिए ताकि इस बीमारी को समय रहते दूर किया जा सके। ऐसा करना बहुत जरूरी इसलिए हो गया है क्योंकि लंबे समय से यह क्रम स्थानीय स्तर के समाधानों से रुक नहीं पाया है।
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विभाग पूरी कोशिश कर रहा है लेकिन बीमारी का फैलाव थम नहीं रहा है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक पहचान खो सकता है।
-अनिल ठाकुर, रेंज अधिकारी, वन परिक्षेत्र चायल।
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