सोलन: बद्दी में 108 एंबुलेंस कर्मी दंपत्ति के लिए बने फरिश्ता, हड़ताल से पहले बचाई जुड़वां बच्चों की जान
हिमाचल प्रदेश के बद्दी में, हड़ताल से पहले 108 एंबुलेंस के पायलट और फार्मासिस्ट ने मानवता की मिसाल पेश की। उन्होंने एक गर्भवती महिला की जान बचाई और एं ...और पढ़ें
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108 एंबुलेंस कर्मियों ने बचाई गर्भवती महिला की जान (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, सोलन। हिमाचल प्रदेश के बद्दी में डॉक्टरों की हड़ताल से ठीक पहले 108 एंबुलेंस के ड्राइवर और फार्मासिस्ट ने मानवता की मिसाल पेश की है। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत परेशानियों और आंदोलन की तैयारियों को दरकिनार करते हुए एक गर्भवती महिला की जान बचाई और एंबुलेंस में ही जुड़वां बच्चों की सफल डिलीवरी करवाई।
चंडीगढ़ GMCH-32 किया रेफर
घटना गुरुवार शाम की है, जब सभी कर्मचारी हड़ताल पर जाने की तैयारी में लगे थे। इसी दौरान बद्दी क्षेत्र के बिल्लांवाली निवासी सत्यवीर कुमार, जो की बदायूं (उत्तर प्रदेश) के निवासी हैं, ने 108 सेवा पर कॉल कर बताया कि उनकी 22 वर्षीय पत्नी क्रांति को अचानक तेज दर्द हो रहा है। अस्पताल में डॉक्टरों ने प्राथमिक जांच के बाद महिला की हालत को देखते हुए उसे चंडीगढ़ जीएमसीएच-32 रेफर कर दिया।
अस्पताल पहुंचने से पहले स्थिति गंभीर
जैसे ही एंबुलेंस बद्दी अस्पताल से आगे बढ़ी और करीब दो किलोमीटर का ही सफर तय हुआ था, तभी महिला की प्रसव पीड़ा बढ़ गई। महिला की चीख-पुकार सुनते ही दोनों स्वास्थ्य कर्मी सतर्क हो गए। उन्होंने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए एंबुलेंस को तुरंत हरियाणा सीमा क्षेत्र के नवानगर के पास रोका गया।
एंबुलेंस में स्वस्थ जुड़वां बच्चों का जन्म
सीमित संसाधनों और खस्ताहाल एंबुलेंस के बावजूद पायलट और फार्मासिस्ट ने साहस, सूझबूझ और धैर्य का परिचय दिया। उन्होंने महिला के परिजनों की मदद से मौके पर ही डिलीवरी करवाई। कुछ ही समय में महिला ने दो स्वस्थ जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। इसके बाद मां और नवजात बच्चों को सुरक्षित रूप से चंडीगढ़ अस्पताल पहुंचाया गया, जहां तीनों का उपचार चल रहा है और सभी पूरी तरह सुरक्षित हैं।
महिला के लिए फरिश्ता बने एंबुलेंस कर्मी
महिला के पति सत्यवीर कुमार ने 108 एंबुलेंस कर्मियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जिस समय सभी रास्ते मुश्किल लग रहे थे, उस समय ये दोनों उनके लिए फरिश्ता बनकर सामने आए। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने उनकी पत्नी की डिलीवरी की संभावित तारीख 15 फरवरी बताई थी, लेकिन अचानक हुई इस डिलीवरी में एंबुलेंस कर्मियों की तत्परता और इंसानियत ने उनकी जिंदगी बदल दी।

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