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    भटकाव की स्थिति में युवा पीढ़ी

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    Updated: Tue, 01 Oct 2013 01:02 AM (IST)

    रविंद्र पंवर, सोलन

    महिला अपराधों पर जहां एक ओर समाज सख्त कानूनों की मांग के साथ रोष स्वरूप धरने-प्रदर्शन व आंदोलन तक खड़े कर रहा है, वहीं सोलन जैसे शांत पहाड़ी क्षेत्र में महज 16 दिन के अंतराल में नाबालिग यौन शोषण के तीन मामलों ने पुलिस अधिकारियों को ही नहीं समाज के चिंतकों को भी चिंता में डाल दिया है। शहर की स्कूल व कॉलेज जाने वाली लड़कियों को बहला-फुसलाकर अगवा करना और उसके बाद यौनाचार के इन मामलों को लेकर स्वयं जांच कर रहे पुलिस अधिकारी पसोपेश में है। उनके सामने सवाल खड़ा हो गया है कि दुष्कर्म की इन वारदातों के पीछे आरोपी की कुत्सित मानसिकता के साथ पीड़ित लड़कियों के किशोरावस्था के भटकाव की स्थिति कहां तक जिम्मेदार है। जांच में सामने आए तथ्यों ने, जिन्हें उजागर नहीं किया जा सकता, जांच अधिकारियों को इस तरह के अपराधों की पृष्ठभूमि व दृष्टिकोण तक सोचने के लिए विवश किया है। कुल मिलाकर जो निष्कर्ष निकला उसमें अभिभावकों ने अपने बच्चों को आजादी तो दे दी, लेकिन उन पर अंकुश नहीं लगा पाए, उन्हें फैशन, मोबाइल व कंप्यूटर जैसी सुविधाओं से लैस कर दिया, लेकिन संस्कारित करने में कमी रह गई और सबसे बढ़कर समाज का आधुनिकीकरण तो हुआ, लेकिन प्राचीन परंपराएं कहीं पीछे रह गई। हालांकि इन सभी मामलों में नाबालिगों को अपनी हवस का शिकार बनाने वाले आरोपियों को पकड़कर पुलिस ने सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है, लेकिन इनमें जो खुलासे हुए, उनसे महिला अधिकारी भी हतप्रभ हैं।

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    लड़कियों को नहीं पता उनकी प्राथमिकता : डीएसपी श्वेता

    नाबालिगों से यौन शोषण के दो मामलों में जांच अधिकारी डीएसपी श्वेता ठाकुर कहती हैं 'ये हमारा समाज कहां जा रहा है, जिसमें लड़कियां लड़कियां सिर्फ भौतिकता के पीछे दौड़ रही है। उन्हें अपने जीवन की प्राथमिकताएं नहीं पता और यह जानते हुए भी कि आरोपी उनसे उम्र में बड़े हैं, वह किस आधार पर उनसे संबंध रखी रही हैं। एक मामले में तो पीड़ित के कालेज की दूसरी लड़की यह जानते हुए भी कि फलां व्यक्ति दुष्कर्म केस में वांटेड है, तब भी आरोपी से न केवल लगातार बात कर रही थी, बल्कि उसकी मदद करने का भरोसा भी दे रही थी। बकौल श्वेता इसका एक कारण माता-पिता की अपने बच्चों के प्रति संवादहीनता भी है, जिसमें परिजनों ने अपने बच्चों को ऐशो-आराम तो दे दिया, लेकिन उन्हें जीवन की प्राथमिकताओं के प्रति अवगत करवाना भूल गए। ऐसे में अब अभिभावकों के साथ अध्यापकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह छोटी बच्चियों का सही मार्गदर्शन करें और उन्हें समाज में हर अच्छे-बुरे का ज्ञान दें।'

    अधिक उम्र वालों के साथ मिली तीनों लड़कियां :

    सोलन में 11 मई को एक व्यक्ति ने स्थानीय कॉलेज में पढ़ने वाली एक लड़की को उसके एक सहपाठी की सहायता से फुसलाकर होटल में ले जाकर दुष्कर्म किया और रात को ही वापस भी छोड़ दिया। इसी तरह 18 सितंबर को शहर के समीपवर्ती गांव की एक 15 वर्षीय लड़की घर से स्कूल गई, लेकिन नहीं लौटी और परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने उसे धर्मपुर क्षेत्र में एक होटल के कमरे से युवक के साथ बरामद किया। अभी 26 सितंबर को फिर से एक ट्रक चालक शामती क्षेत्र से दसवीं की छात्रा को रात के समय उसी के घर से भगा ले गया और अपने एक साथी के साथ रात भर उसके साथ दुष्कर्म किया। तीनों ही मामलों में पुलिस ने अपहरण व दुष्कर्म के मामले दर्ज किए हैं, जो अपने साथ कई सवाल छोड़ गए कि आज हमारी युवा पीढ़ी किस ओर जा रही है। सबसे बड़ी चिंता का विषय यही था कि तीनों मामलों में 15-17 वर्ष की लड़कियों अपने से लगभग 10-12 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों के संपर्क में थी। इससे भी बड़ी बात कि इनके परिजनों को कभी इस बात की भनक भी नहीं लगी कि उनकी बेटियां कब-किससे मिलती हैं और किनसे उनकी मोबाइल पर बातें होती हैं।

    मानसिक अपरिपक्वता का लाभ उठाते हैं व्यस्क : डॉ. रवि

    आइजीएमसी शिमला में मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. रवि का कहना है कि मानसिक विकार वाले व्यस्क व युवा नाबालिगों की इसी मानसिक अपरिपक्वता का लाभ उठाकर कम उम्र लड़कियों को गुमराह करते हैं। यह उन लड़कियों के किशोरावस्था के भटकाव व असमंजसता की स्थिति का परिणाम है, जिन पर पाश्चात्य सभ्यता व ग्लैमर का अधिक प्रभाव है। उन्होंने छोटी उम्र की लड़कियों के साथ यौन शोषण जैसे मामलों पर चिंता जताते हुए कहा कि आज हमारे समाज में नैतिक, पारिवारिक, सामाजिक व सांस्कृतिक मूल्य समाप्ति की ओर हैं, जिसका किशोर वर्ग पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

    परिजनों को अधिक सजग होने की आवश्यकता : छाजटा

    पुलिस अधीक्षक सोलन रमेश छाजटा स्वयं यौन शोषण के इन मामलों के कड़वे सच से हैरान हैं और कहते हैं कि अब समय आ गया है, जब बच्चों के माता-पिता व उनके परिजन अधिक सजग होकर अपने बच्चों की सही काउंसलिंग करें। उन्हें अपनी लड़कियों को उनके भविष्य से संबंधित प्राथमिकताएं सही व स्पष्ट समझानी होगी और उनकी प्रत्येक गतिविधियों पर ध्यान रखकर सही मार्गदर्शन करना होगा।

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