डॉक्टर राघव को बहाल करने के लिए पांवटा साहिब में बड़ा प्रदर्शन, सरकार के खिलाफ निकली रोष रैली; बाजार बंद
पांवटा साहिब में डॉक्टर राघव नरूला के निलंबन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें बाजार बंद रहा। प्रदर्शनकारियों ने डॉक्टर नरूला को बहाल करने की मांग क ...और पढ़ें
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डॉक्टर राघव को बहाल करने के लिए पांवटा साहिब में बड़ा प्रदर्शन। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, नाहन। हिमाचल प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा आधी अधूरी जांच के बाद आईजीएमसी के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राघव नरूला को सस्पेंड और टर्मिनेट किए जाने के खिलाफ शुक्रवार को पांवटा साहिब बाजार में बड़ा प्रदर्शन किया। साथ ही विरोध में पूरा पांवटा साहिब बजार पूरी तरह से बंद रखा गया।
पांवटा साहिब के लोगों ने प्रदेश सरकार से मांग की कि डॉक्टर नरूला को जल्द से जल्द बाहल किया जाए। इस विरोध प्रदर्शन में पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी भी शामिल हुए। रैली में शामिल लोगों ने कहा कि सरकार ने मारपीट मामले में एकतरफा कार्यवाही को लेकर डॉ नरूला की माता रजनी नरूला सहित विधायक और अन्य लोगों ने सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।
डॉ. राघव की माता रजनी नरूला ने मीडिया को दिए अपने बयान में बताया कि इस मामले को एकतरफा कार्रवाई हुई है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री द्वारा उनके बेटे को गुंडा कहने पर भी कड़ा ऐतराज जताया। विदित रहे कि आईजीएमसी शिमला में एक रेजिडेंट डॉक्टर और मरीज के बीच हुई मारपीट का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
इस मामले में प्रदेश सरकार ने त्वरित कार्यवाही करते हुए डॉक्टर राघव की सेवाएं बर्खास्त कर दी है। डॉक्टर की सेवाएं बर्खास्त करने से प्रदेश भर में अन्य डॉक्टर नाराज है और डॉ राघव के गृह क्षेत्र पांवटा साहिब में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। उनके समर्थन में न केवल सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन , बल्कि अब अन्य सामाजिक संगठन भी सामने आने लगे हैं।
डॉक्टर राघव के समर्थन में उनके गृह क्षेत्र पावटा साहिब में शुक्रवार को विरोध रैली भी निकल गई। विरोध रैली में स्थानीय डॉक्टर और विधायक सुखराम चौधरी और डॉ. राघव के परिवार के लोग शामिल हुए। विधायक सुखराम चौधरी ने कहा कि डॉ राघव के परिवार और पांवटा साहिब के लोगों ने इस संबंध में निष्पक्ष कार्यवाही की मांग की है।
यहां स्थानीय डॉक्टरों का कहना है कि सरकार द्वारा 3 दिन के भीतर एक तरफा कार्यवाही हैरानी में डालने वाला एक्शन है। डॉक्टर ने सवाल उठाए कि जब किसी डॉक्टर पर हमला होता है, तो कार्यवाही में सालों लग जाते हैं जबकि, डॉक्टर द्वारा की गई विरोध की कार्यवाही पर सिर्फ दो दिनों में एक्शन ले लिया गया।

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