उत्तराखंड सीमा पर बनने वाली किशाऊ परियोजना से हिमाचल ने क्यों खींचे हाथ, अपर यमुना बोर्ड की बैठक में क्या पक्ष रखा?
हिमाचल प्रदेश सरकार ने गृह मंत्रालय को स्पष्ट किया है कि वह टौंस नदी पर बनने वाली किशाऊ बांध परियोजना के लिए कोई खर्च नहीं देगी। सरकार ने तर्क दिया कि ...और पढ़ें

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने गृह मंत्रालय को स्पष्ट किया है कि टौंस नदी पर बनने वाली किशाऊ बांध एवं जलविद्युत परियोजना के लिए किसी भी प्रकार का खर्च वहन नहीं करेगी। इस परियोजना का पूरा वित्तीय भार भारत सरकार उठाए। 13 दिसंबर को दिल्ली में गृह सचिव की अध्यक्षता में आयोजित अपर यमुना बोर्ड की बैठक में राज्य सरकार ने पक्ष रखा।
विस्थापन का दिया तर्क
राज्य सरकार ने तर्क दिया कि सिरमौर जिले और उत्तराखंड में बनने वाली परियोजना से विस्थापन होगा, खेती योग्य भूमि जलमग्न होगी और सबसे अधिक प्रभाव लोगों के विस्थापन से होने वाले नुकसान पर पड़ेगा।
हिमाचल का खर्च वहन करने से इन्कार
इसलिए हिमाचल सरकार ने उत्तराखंड के साथ 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी 1536 करोड़ रुपये में से देने से साफ मना कर दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को 90 प्रतिशत के खर्च के साथ-साथ हिमाचल सरकार के खर्च को भी वहन करना चाहिए।
1536 करोड़ देने थे हिमाचल व उत्तराखंड को
इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार और हिमाचल-उत्तराखंड को 90:10 के अनुपात में खर्च उठाना था। दोनों राज्यों को कुल 1536 करोड़ के खर्च को आधा-आधा उठाना था। वर्ष 2018 के मूल्य सूचकांक के आधार पर डीपीआर तैयार की गई है, लेकिन अभी तक औपचारिकताएं धरातल पर नहीं उतरी हैं।
क्या बोले, सीएम के सचिव
बैठक में भाग लेकर लौटे मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर ने बताया कि प्रदेश सरकार ने अध्ययन के बाद पाया है कि इस परियोजना से हिमाचल को कई प्रकार का नुकसान होगा और इसके बदले कोई अधिक लाभ नहीं होगा।
पौंग व भाखड़ा विस्थापितों की समस्या का समाधान करे केंद्र
बैठक में प्रदेश सरकार की ओर से तीन बिंदुओं को प्रमुखता से रखा गया। पहला था कि बीबीएमबी का 2011 से पहले का बकाया एरियर दिलाया जाए। इसके अतिरिक्त करीब छह दशक से भाखड़ा व पौंग विस्थापितों का स्थायी समाधान नहीं किया गया है। केंद्र सरकार पहले इन विस्थापितों को बसाने का प्रबंध करे।
किशाऊ बांध परियोजना
किसाऊ बांध एवं जल विद्युत परियोजना टौंस नदी (यमुना की सहायक नदी) पर बनने वाली बहुउद्देशीय परियोजना है। यह उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर बनेगा। प्रारंभिक अनुमानित लागत लगभग 11,500 करोड़ थी। बांध की ऊंचाई 236 मीटर और लंबाई 680 मीटर होगी। भंडारण क्षमता 1324 मिलियन क्यूबिक मीटर होगी। चार पावर प्लांट से 660 मेगावाट (4×165 मेगावाट) विद्युत उत्पादन होगा। किशाऊ बांध से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को बिजली और हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश को सिंचाई और पेयजल के लिए पानी मिलेगा।

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