हाटी समुदाय को आरक्षण पर CM सुक्खू का बड़ा बयान, कहा- अदालत में मजबूती से करेंगे पैरवी
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाटी समुदाय को आश्वासन दिया है कि उनकी सरकार अदालत में उनके आरक्षण के मामले की मजबूती से पैरवी करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद 12 घंटे के भीतर हाटी समुदाय को आरक्षण देने की अधिसूचना जारी कर दी है। सीएम सुक्खू ने सिरमौर जिले के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने की भी प्रतिबद्धता जताई।
पीटीआई, सिरमौर। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार हाटी समुदाय के मामले की अदालत में मजबूती से पैरवी करेगी।
सोमवार देर शाम सिरमौर जिले में पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रेणुका जी मेले की पहली सांस्कृतिक संध्या पर लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद 12 घंटे के भीतर हाटी समुदाय को आरक्षण देने की अधिसूचना जारी कर दी है।
अनुसूचित जनजाति में शामिल हाटी समुदाय
हिमाचल प्रदेश सरकार ने 1 जनवरी को हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की अधिसूचना जारी की थी। सीएम ने जोर देकर कहा कि सरकार समुदाय के साथ मजबूती से खड़ी है और राज्य सरकार सिरमौर जिले के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हिमाचल सरकार ने लोगों को राहत प्रदान करने के लिए राजस्व लोक अदालतों का आयोजन किया है, जिसके माध्यम से राज्य भर में 2 लाख से अधिक म्यूटेशन मामलों का निपटारा किया गया है, जिसमें अकेले सिरमौर जिले में 13,000 से अधिक मामले शामिल हैं।
सीएम सुक्खू ने जमकर बीजेपी को घेरा
बीजेपी की आलोचना करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली जयराम ठाकुर सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया, चुनावों को प्रभावित करने के लिए 5 हजार करोड़ रुपये मुफ्त बांटे।
उन्होंने कहा कि बिना किसी बजटीय प्रावधान के संस्थान खोले गए और संपन्न समूहों को सब्सिडी दी गई। सीएम ने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए सार्वजनिक धन को बर्बाद नहीं किया जा सकता।
सुक्खू ने कहा कि उनकी प्राथमिकता कल की चिंता किए बिना आज वंचितों को लाभ पहुंचाने वाले निर्णय लेना है। मेले के बारे में बात करते हुए सीएम ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेला न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतिनिधित्व करता है।
साल 2022 में आया था बिल
ज्ञात हो कि ट्रांसगिरी क्षेत्र में हाटी समुदाय के लोग 1967 से उत्तराखंड के जौनसार बाबर को जनजाति दर्जा मिलने के बाद से संघर्षरत थे। लगातार कई वर्षों तक संघर्ष के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने हाटी समुदाय की मांग को 14 सितंबर 2022 को अपनी मंजूरी दी थी।
उसके बाद केंद्र सरकार ने 16 दिसंबर 2022 को इस बिल को लोकसभा से पारित करवाया। उसके बाद यह बिल राज्यसभा से भी पारित हो गया।
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