चालदा महासू महाराज: 6 दिन 14 घंटे की यात्रा के बाद पश्मी में मंदिर पहुंचे देवता, रातभर इंतजार में खड़े रहे श्रद्धालु
उत्तराखंड के दसऊ गांव से 6 दिन 14 घंटे की पैदल यात्रा के बाद छत्रधारी श्री चालदा महासू महाराज पश्मी पहुंचे। हजारों भक्तों ने शिलाई में उनका स्वागत किय ...और पढ़ें

जिला सिरमौर के मश्मी में चालदा महासू महाराज का मंदिर। जागरण
जागरण संवाददाता, नाहन। हिमाचल प्रदेश में जिला सिरमौर के गिरिपार में संक्रांति के अवसर पर तड़के ठीक 4 बजे पश्मी गांव में छत्रधारी श्री चालदा महासू महाराज विधिवत रूप से मंदिर में विराजमान हो गए। उत्तराखंड के दसऊ गांव से 7 दिनों की कठिन और तपस्वी पैदल यात्रा पूर्ण कर छत्रधारी श्री चालदा महासू महाराज पश्मी पहुंचें।
रात लगभग 11 बजे हजारों भक्तों के साथ महाराज शिलाई व 2 बजे पश्मी में पहुंचे, पारंपरिक एवं धार्मिक मंत्र उच्चारण के बाद तड़के 4 बजे मंदिर में विराजमान हुए। जहां उनका अत्यंत श्रद्धा और सम्मान के साथ स्वागत किया गया।
पालकी गांव में पहुंचते ही श्रद्धालुओं की आंखें हुई नम
महाराज का छत्र और पालकी के दर्शन करते ही कई श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं। जब महाराज की पावन पालकी पश्मी गांव की सीमा में पहुंची, तो वातावरण में एक अद्भुत आध्यात्मिक स्पंदन महसूस किया गया। मंदिर प्रांगण में प्रवेश करते ही “जय महासू महाराज” के गगनभेदी जयघोष गूंज उठे।
6 दिन 14 घंटे में पूरी हुई देव यात्रा
उत्तराखंड के दसऊ गांव से 8 दिसंबर दोपहर 2 बजे प्रस्थान कर छत्रधारी श्री चालदा महासू महाराज 15 दिसंबर की सुबह पश्मी धाम पहुंचे। लगभग 6 दिन 14 घंटे में पूरी हुई इस देव यात्रा के दौरान करीब 70 किलोमीटर की दूरी तय की गई।
0.44 किलोमीटर प्रति घंटा रही औसत गति
यात्रा के दौरान विधि-विधान, बागड़ी और पारंपरिक अनुष्ठानों के कारण देवता की औसत गति लगभग 0.44 किलोमीटर प्रति घंटा रही, जबकि प्रतिदिन औसतन 10-11 किलोमीटर का मार्ग श्रद्धा और संयम के साथ तय किया गया। यह यात्रा लोकआस्था, परंपरा और धैर्य का जीवंत उदाहरण बनकर इतिहास में दर्ज हो गई।
तीन दिन पहले ही मंदिर पहुंचना शुरू हो गया था पूजा का सामान
इस पावन आगमन से पूर्व ही देव परंपराओं का अनुपम उदाहरण देखने को मिला। चालदा महासू महाराज से जुड़ा बेशकीमती देव-सामान छत्र, निशान, आभूषण और पूजन सामग्री तीन दिन पहले ही क्रमशः पश्मी पहुंचना शुरू हो गया था।
श्रद्धालु पूरी रात महाराज के इंतजार में खड़े रहे
ग्रामीणों का कहना है कि इन दिनों पूरे गांव में एक अलग ही सकारात्मक ऊर्जा और देव अनुभूति का संचार हो गया था। इस ऐतिहासिक यात्रा में महाराज की बरांश यात्रा पश्मी के वजीर दीवान सिंह राणा भी साथ रहे, उन्हें क्षेत्र में “बोलता महासू” के नाम से जाना जाता है। रविवार दोपहर द्राबिल गांव से करीब दो बजे आरंभ हुई यात्रा देर रात शिलाई पहुंची, जहां श्रद्धालु पूरी रात जागकर महाराज के स्वागत में खड़े रहे।
हिमाचल सरकार के मंत्री ने श्रद्धापूर्वक किया स्वागत
हिमाचल प्रदेश सरकार के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान भी रात्रि भर शिलाई में उपस्थित रहे और हिमाचल प्रदेश में महाराज के प्रवेश पर श्रद्धापूर्वक स्वागत किया।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।