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    Vikramaditya Singh: कौन हैं विक्रमादित्य सिंह... मंत्री पद से इस्तीफा देकर बढ़ाई सुक्खू की टेंशन

    By Monu Kumar JhaEdited By: Monu Kumar Jha
    Updated: Wed, 28 Feb 2024 11:55 AM (IST)

    लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सुक्खू सरकार को एक बड़ा झटका दिया। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देते हुए कहा कि वीरभद्र सिंह के नाम पर चुनाव लड़ा। मतदान से एक दिन पूर्व भी उनके नाम का विज्ञापन छपा। उन्होंने कहा-युवा व नौजवान साथियों की बदौलत सरकार बनी लेकिन हमने उनके वायदों को पूरा नहीं किया। जानिए कांग्रेस की सरकार से इस्तीफा देने वाले विक्रमादित्य सिंह के बारे में।

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    Himachal News: कौन हैं विक्रमादित्य सिंह जिन्होंने सुक्खू सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा।

    डिजिटल डेस्क, शिमला। हिमाचल प्रदेश राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को मिली जीत के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर संकट (crisis on sukhu government) बढ़ता जा रहा है। राज्य सरकार में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) अचानक से अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जिससे कांग्रेस की सरकार जाने का खतरा और बढ़ गया है। विक्रमादित्य ने कहा कि मेरे लिए पद महत्वपूर्ण नहीं है।

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    विधायकों की आवाज दबाने की कोशिश हुई। अपनी ही सरकार की पोल खोलते हुए उन्होंने कहा कि युवा व नौजवान साथियों ने सरकार बनाने में सहयोग दिया। पार्टी हाई कमान ने जिम्मेदारी दी। क्या हमने उनके वायदों को पूरा किया। समय पर वादा पूरा करना जिम्मेदारी हैं।

    कौन हैं विक्रमादित्य सिंह

    विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) के बेटे हैं। जो वर्तमान में शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य हैं। वह सुक्खू सरकार में पीडब्लूडी मंत्री थे। जबकि उनकी मां प्रतिभा सिंह, मंडी लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं।

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    राम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में की थी शिरकत

    विक्रमादित्य सिंह ने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से पढ़ाई की है। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से अध्ययन किया है। बता दें विक्रमादित्य सिंह अयोध्या में राम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए थे। 

    इससे पहले बुधवार को भाजपा के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर (Jairam Thakur) ने कहा कि चुनाव परिणाम सामने आने के बाद सुक्खू सरकार ने शासन करने का नैतिक अधिकार खो दिया। उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात कर सदन में बजट के लिए डिवीजन ऑफ वोट की मांग की है।

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