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    Shimla News: ग्रामसभा बैठकों में जाएगी सुक्‍खू सरकार, अब बिना पैसे बर्बाद किए होंगी समस्‍याएं हल; रोड मैप हुए तैयार

    Updated: Mon, 15 Jan 2024 04:57 PM (IST)

    Shimla News हिमाचल प्रदेश सरकार आपके द्वारा कार्यक्रम के तहत पहली बार मुख्यमंत्री मंत्री सीपीएस व विधायक सभी अधिकारियों के साथ ग्रामसभा की बैठकों में ...और पढ़ें

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    ग्रामसभा बैठकों में जाएगी हिमाचल प्रदेश सरकार

    राज्य ब्यूरो, शिमला। लोकसभा चुनाव से पूर्व ही गांव तक पहुंचने के लिए सुक्खू सरकार ने रोड मैप तैयार कर दिया है। सरकार आपके द्वारा कार्यक्रम के तहत पहली बार मुख्यमंत्री, मंत्री, सीपीएस व विधायक सभी अधिकारियों के साथ ग्रामसभा की बैठकों में शामिल होंगे और लोगों की समस्याओं का हल करेंगे।

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    राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान तीन चरणों की तैयार की गई रुपरेखा की जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व सरकार के जनमंच की तरह पैसों की बर्बादी न कर सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू नादौन विधानसभा क्षेत्र से करेंगे। इस दौरान जिला उपायुक्त से लेकर सभी विभागों के अधिकारी मौके पर मौजूद रखकर समस्याओं का निपटारा करेंगे।

    12 जिलों में ग्राम सभा में जाएंगे मंत्री

    जगत नेगी ने बताया कि कार्यक्रम में सरकार की एक साल की उपलब्धियों जिसमें ओपीएस, सुख आश्रय कोष, राजीव गांधी स्टार्टअप योजना सहित अन्यों को जनता के बीच रखेगी। एक सप्ताह में एक सप्ताह में 68 विधासभा क्षेत्र के एक-एक गांव में पहुंचेगी सरकार। 17 जनवरी को 12 जिलों में मंत्री ग्राम सभा में जाएंगे।

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    कार्यक्रम में पूर्व की भाजपा सरकार की तरह धाम नही होगी। दूसरे चरण में मंत्री और सीपीएस अधिकारियों के साथ पांच-पांच विधानसभा क्षेत्रों में ग्रामसभा में जाएंगे और उसके बाद तीसरे चरण में मंत्री, विधायक और अन्य प्रतिनिधि गांव के द्वारा जाकर समस्याओं का निपटारा करेंगे।

    आर्थिक स्थिति खराब हो हाहाकार बचे इसको देखने के लिए केंद्र बैठी है

    राजस्व बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि की प्रदेश में मानसून के दौरान हुए नुकसान के आकलन को तीन-तीन बार केंद्र से टीमें अई और करीब 10 हजार करोड़ का आकलन भेजा है। कोई विशेष पैकेज नहीं दिया एनडीआरएफ के तहत मात्र 633 करोड़ दिए। यही नहीं जहां भाजपा सरकारें हैं उत्तराखंड में वाटर सैस ले रहे हैं जबकि उनके सरकारी उपक्रम एसजेवीएन और एनटीपीसी को वाटर सैस देने इंकार कर कोर्ट में जाने को कह रहे हैं।

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    केंद्र की भाजपा सरकार ये देख रही है कि आर्थिक हालात खराब हों और हाहाकार मचे। इसलिए ही ऋण लेने की सीमा को भी कम कर दिया। बीबीएमबी की 4500 करोड़ की सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को लागू नहीं होने दे रही जो राशि हिमाचल को मिलनी है। जनता सब देख रही है।