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    शिमला में बनेगा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोपवे, एफसीए की स्वीकृति मिली; दो साल की देरी से बढ़ गई लागत

    By Jagran News Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Wed, 15 Oct 2025 11:42 AM (IST)

    शिमला में 13.79 किलोमीटर लंबे रोपवे निर्माण की बाधा दूर हो गई है, वन मंत्रालय ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। यह दुनिया का दूसरा सबसे लंबा रोपवे होगा। तारादेवी-शिमला परियोजना को 23 अक्टूबर को मंत्रिमंडल की बैठक में रखा जाएगा। पहले टेंडर में एक ही कंपनी के भाग लेने के कारण, सरकार नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू करना चाहती है। 

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    शिमला से तारादेवी रोपवे को एफसीए की मंजूरी मिल गई है। प्रतीकात्मक फोटो


    13.79 किलोमीटर लंबे रोपवे निर्माण की महत्वपूर्ण बाधा पार
    23 अक्टूबर को मंत्रिमंडल बैठक में फिर रखा जाएगा मामला 

    राज्य ब्यूरो, शिमला। राजधानी शिमला में प्रस्तावित 13.79 किलोमीटर लंबे रोपवे निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा पार हो गई है। वन मंत्रालय ने वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) के तहत स्टेज-1 की सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है। यह रोपवे विश्व का दूसरा और देश का सबसे लंबा रोपवे होगा।

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    दक्षिण अमेरिका महाद्वीप में बोलीविया के ला पाज और एल आल्टो शहरों को जोड़ने वाला सबसे लंबा रोपवे 33.8 किलोमीटर है। 10 लाइन वाला रोपवे 2014 में बनकर तैयार हुआ है।

    दो साल से चल रहा कार्य 

    तारादेवी-शिमला परियोजना पर दो वर्ष से कार्य चल रहा है। इसे आगे बढ़ाने के लिए 23 अक्टूबर को होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में रखा जाएगा। हिमाचल प्रदेश रोपवे ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कारपोरेशन (आरटीडीसी) ने कैबिनेट के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है।

    नए सिरे से टेंडर की तैयारी

    परियोजना के लिए पहले टेंडर प्रक्रिया आयोजित की गई थी, जिसमें केवल एक ही कंपनी ने भाग लिया था। कंपनी का चयन कर लिया गया था, लेकिन सरकार अब नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू करना चाहती है। इसके लिए शार्ट टेंडर का विकल्प भी प्रस्तुत किया गया है।

    कैबिनेट लेगी निर्णय

    रोपवे के निर्माण के लिए ग्लोबल टेंडर की आवश्यकता होती है। यदि शार्ट टेंडर किया जाता है, तो भी प्रक्रिया में पांच से छह माह लगेंगे। कैबिनेट यह निर्णय लेगी कि नए सिरे से टेंडर किया जाए या पहले से चयनित कंपनी को कार्य सौंपा जाए।

    500 करोड़ रुपये बढ़ चुकी लागत

    परियोजना की लागत में भी वृद्धि हुई है। प्रारंभ में इसकी लागत 1734.40 करोड़ रुपये प्रस्तावित थी, लेकिन अब दो वर्ष की देरी के कारण यह बढ़कर 2296 करोड़ रुपये हो गई है। इससे राज्य सरकार की हिस्सेदारी भी बढ़ गई है। यदि कैबिनेट मंजूरी देती है, तो इसके बाद डीपीआर को संशोधित करके न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) को भेजा जाएगा।

    एनडीबी इस परियोजना में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी प्रदान करेगा। पहले सरकार को 346.80 करोड़ रुपये खर्च करने थे, लेकिन अब 459.2 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। एनडीबी इसके लिए ऋण प्रदान करेगा, जिससे राज्य सरकार को इसे केंद्र सरकार और एनडीबी के समक्ष फिर से उठाना पड़ेगा। 

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    13.79 किलोमीटर के लिए लगेंगे 12 से 15 मिनट 

    तारादेवी से शिमला के बीच बनने वाला 13.79 किलोमीटर रोपवे शिमला शहर के 15 स्टेशन को जोड़ेगा। निर्माण करने वाली कंपनी पांच वर्षों तक इसकी मरम्मत का कार्य भी देखेगी। रोपवे के माध्यम से लोग 12 से 15 मिनट में सफर तय कर सकेंगे।

    शिमला में प्रस्तावित विश्व का दूसरा और देश का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट रोपवे बनाने की दिशा में सरकार निरंतर आगे बढ़ रही हैं। वन मंत्रालय से एफसीए स्टेज-1 की स्वीकृति मिल गई है। इसके निर्माण से शिमला को पर्यावरण अनुकूल, आधुनिक और निर्बाध परिवहन व रोपवे नेटवर्क सेवा मिलेगी। परियोजना के लिए 6.1909 हेक्टेयर वन भूमि के उपयोग की सैद्धांतिक मंज़ूरी आधार पर दी गई है, जिसमें सभी पर्यावरणीय और संवैधानिक प्रावधानों का पालन किया जाएगा। रोपवे परियोजना के निर्माण से स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और पर्यटकों को नया अनुभव प्राप्त होगा। इससे यातायात का दबाव कम होगा, कार्बन उत्सर्जन घटेगा और पर्यावरणीय दृष्टि से स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा मिलेगा। केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय का स्वीकृति के लिए आभार।
    -मुकेश अग्निहोत्री, उपमुख्यमंत्री।