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    Shimla News: BJP का सुक्‍खू पर निशाना, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्‍यप बोले- 'सेब विरोधी सरकार है कांग्रेस'

    By Jagran NewsEdited By: Himani Sharma
    Updated: Sun, 10 Sep 2023 02:29 PM (IST)

    Himachal Pradesh News भाजपा के पूर्व अध्‍यक्ष ने सुक्‍खू सरकार पर निशाना साधा है। उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस सेब विरोधी सरकार है। उन्होंने कहा कि सरकार स्पष्ट करें कि सेब में ऐसे कौन से केमिकल होते हैं जिसके कारण प्रदूषण फैलने का कार्य होता है। अगर यही मापदंड है तो सरकार के अनेकों उपक्रम भी इस दायरे में आते हैं जिनको इस प्रकार की भारी पेनाल्टी भरनी चाहिए।

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    पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्‍यप बोले- 'सेब विरोधी सरकार है कांग्रेस'

    शिमला, जागरण संवाददाता: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि कांग्रेस सरकार , सेब विरोधी सरकार है। उन्होंने कहा कि एक जगह सेब बागवान परेशान हैं और सरकार इनको और ज्यादा परेशान करने का काम कर रही है। जिस सेब बागवान ने अपने खराब सेब अस्थाई नाले में परवाह करने का कार्य किया, इस नकारात्मक सरकार ने उसकी को परदूषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से एक लाख का जुर्माना लगा दिया।

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    प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लगाए जाते हैं जुर्माना

    कश्‍यप ने कहा कि सरकार स्पष्ट करें कि सेब में ऐसे कौन से केमिकल होते हैं जिसके कारण प्रदूषण फैलने का कार्य होता है। अगर तुलना की जाए तो अनेकों प्रकार के खाद्य पदार्थ है जो खराब होने के बाद जगह-जगह फेक जाते हैं, तो क्या उनको भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा इसी प्रकार के जुर्माना लगाए जाते हैं। अगर यही मापदंड है तो सरकार के अनेकों उपक्रम भी इस दायरे में आते हैं जिनको इस प्रकार की भारी पेनाल्टी भरनी चाहिए।

    हिमाचल 6,000 करोड़ की सेब आर्थिकी पर संकट गहरा गया

    सुरेश कश्‍यप ने कहा की मौसम की मार से हिमाचल की 6,000 करोड़ की सेब आर्थिकी पर संकट गहरा गया है। बगीचों में पेड़ों से पत्ते झड़ गए हैं। जिसके चलते बागवानों को समय से पहले फसल तोड़नी पड़ रही है। आकार और रंग न सुधरने के कारण बागवानों को मंडियों में फसल के उचित दाम नहीं मिल रहे। हिमाचल में करीब साढ़े तीन लाख परिवार सेब आर्थिकी से जुड़े हैं।

    बगीचों में सेब की फसल बुरी तरह प्रभावित

    प्रदेश में 7,000 फीट से अधिक ऊंचाई वाले बगीचों में सेब की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। 15 सितंबर के बाद जहां फसल टूटनी थी, वहां क्वालिटी न बनने के कारण बागवानों को निर्धारित समय से करीब दो हफ्ते पहले फसल तोड़नी पड़ रही है। इस साल सीजन की शुरूआत से ही सेब की फसल मौसम की मार से प्रभावित है। सर्दियों में बर्फबारी कम होने के बाद असमय भारी बारिश से सेब की फसल को नुकसान हुआ है।

    सामान्य के मुकाबले करीब 35 फीसदी ही फसल

    इस साल प्रदेश में सामान्य के मुकाबले करीब 35 फीसदी ही फसल है। उस पर बीमारियों ने बागवानों की कमर तोड़ दी है। कश्यप का कहना है कि मौसम की मार से सेब की फसल को भारी नुकसान हुआ है। प्रदेश के लाखों लोगों की आर्थिकी संकट में आ गई है। सेब उत्पादन की लागत लगातार बढ़ रही है और पैदावार घट रही है। सरकार को समय रहते गंभीर और प्रभावशाली कदम उठाने होंगे।