हिमाचल हाई कोर्ट में शिमला मेयर का कार्यकाल बढ़ाने के मामले में हुई सुनवाई, सरकार को दायर करना होगा जवाब
हिमाचल उच्च न्यायालय में शिमला के मेयर का कार्यकाल बढ़ाने के मामले में सुनवाई हुई। अदालत ने सरकार को इस मामले में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि मेयर का कार्यकाल क्यों बढ़ाया जाना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई जल्द ही होगी। इस मामले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

शिमला का नगर निगम कार्यालय परिसर। जागरण आर्काइव
विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में नगर निगम शिमला के महापौर के कार्यकाल को 5 वर्ष करने के सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को जवाब दायर करने के लिए अंतिम अवसर देते हुए अगली सुनवाई 27 नवंबर को निर्धारित की है।
इस मामले में प्रार्थी ने अंतरिम राहत के तौर पर अध्यादेश के अमल पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी, जिसे कोर्ट ने फिलहाल अस्वीकार कर दिया। नगर निगम शिमला के कुछ पार्षदों ने इस याचिका में पक्षकार बनाए जाने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था।
याचिकाकर्ता को उन्हें पक्षकार बनाए जाने पर कोई एतराज न होने पर कोर्ट ने इसे स्वीकारते हुए इन्हें पक्षकार बनाने के आदेश दिए।
14 नवंबर को खत्म हो रहा मेयर का कार्यकाल
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने सभी पक्षकारों को प्लीडिंग्स पूरी करने के आदेश दिए। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि नियमानुसार 14 नवंबर को मौजूदा मेयर का कार्यकाल खत्म हो रहा है, इसलिए उन्हें कार्य करने से रोका जाए।
आरक्षण संबंधी नियमों में कोई बदलाव नहीं किया
दलील दी गई थी कि सरकार ने कानून बदलने के अध्यादेश तो लाया परंतु मेयर पद के कार्यकाल के आरक्षण संबंधी नियमों में कोई बदलाव नहीं किया। जनहित याचिका के माध्यम से सरकार द्वारा इस बाबत लाए गए अध्यादेश को चुनौती दी गई है।
मेयर सहित इन्हें बनाया प्रतिवादी
अधिवक्ता अंजली सोनी वर्मा ने सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए राज्य सरकार के शहरी विभाग सहित राज्य निर्वाचन आयोग व महापौर सुरेंद्र चौहान को प्रतिवादी बनाया है।
व्यक्ति विशेष को गैरकानूनी तरीके से लाभ पहुंचाने का आरोप
याचिकाकर्ता का आरोप है कि प्रदेश सरकार ने एक व्यक्ति विशेष को गैरकानूनी लाभ पहुंचाने के इरादे से महापौर के कार्यकाल को 5 वर्ष करने का अध्यादेश लाया। प्रार्थी का कहना है कि अध्यादेश आपातकालीन परिस्थितियों में लाया जाता है।
महिला पार्षद को मिलनी थी नियुक्ति
मौजूदा मेयर के कार्यकाल की समाप्ति पर किसी पात्र महिला को मेयर पद के लिए चयनित होने का मौका दिया जाना चाहिए था। आरोप लगाया गया है कि सरकार ने महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन करने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है इसलिए इस अध्यादेश को रद्द किया जाना चाहिए।

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