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    आखिर किसकी लापरवाही से मची शिमला के कृष्णा नगर में तबाही? 11 साल पहले ही असुरक्षित घोषित किया जा चुका था इलाका

    शिमला के कृष्णा नगर क्षेत्र को साल 2012 में ही असुरक्षित घोषित कर दिया गया था। यह वही कृष्णा नगर है जहां बीते दिनों भूस्खलन से कई लोगों की जान चली गई। इसी के साथ कई भवनों और इमारतों को भी नुकसान पहुंचा। अब पता चला है कि वरिष्ठ भू-विज्ञानियों ने वर्ष 2012 से लेकर 2017-18 तक सौंपी गई रिपोर्ट में कृष्णा नगर क्षेत्र को असुरक्षित घोषित किया था।

    By Parkash BhardwajEdited By: Rajat MouryaUpdated: Sat, 19 Aug 2023 10:53 PM (IST)
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    11 साल पहले ही असुरक्षित घोषित किया जा चुका था कृष्णा नगर इलाका

    शिमला, राज्य ब्यूरो। Shimla Krishna Nagar Landslide उद्योग विभाग का खनन विंग प्रदेश सरकार को 2012 से चार रिपोर्ट दे चुका है कि भूस्खलन और अनियोजित निर्माण से तीव्र ढलानों पर बने भवन नुकसान का बड़ा कारण बनेंगे। खनन विभाग के सात भू-विज्ञानियों की टीम की ओर से सौंपी गई चार रिपोर्टों में कहा गया है कि सुरक्षित निर्माण के लिए जियोलाजिकल सर्वे रिपोर्ट को अनिवार्य किया जाना चाहिए। तभी प्रदेश में घटित घटनाओं में कमी आएगी।

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    खनन विंग के अधिकारियों ने पिछले दो माह से पेश आ रही भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों का भूगर्भीय निरीक्षण करके वैज्ञानिक सुझाव व भविष्य में निर्माण कार्यों के संबंध में रखी जाने वाली सावधानियों से अवगत करवाया है। ताकि भविष्य में प्रदेश को प्राकृतिक आपदा की स्थिति में होने वाले नुकसान को टाला जा सके।

    इस टीम के भू-विज्ञानियों पुनीत गुलेरिया, अतुल शर्मा, संजीव शर्मा, सुरेश भारद्वाज, अनिल राणा, गौरव शर्मा और सरित चंद्र ने हाल ही में सोलन, शिमला, कुल्लू, मंडी व कांगड़ा जिलों के प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करके स्थानीय प्रशासन को भू-विज्ञान से संबंधित व स्लोप स्टेबिलिटी को प्रभावित नहीं होने देने व भू-संरक्षण के संदर्भ में महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।

    2012 में कृष्णा नगर को किया था असुरक्षित घोषित

    खनन विंग के वरिष्ठ भू-विज्ञानियों ने वर्ष 2012 से लेकर 2017-18 तक सौंपी गई रिपोर्ट में शिमला शहर के कृष्णा नगर क्षेत्र को असुरक्षित घोषित किया था। रिज मैदान स्थित पदमदेव परिसर के भवन की भूमि में भू-गर्भीय सर्वेक्षण किया था। तिब्बती मार्किट को खाली करवाने के बारे में लिखा था। पीटरहाफ, लिफ्ट पार्किंग, संजौली और आईजीएमसी जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर होने वाले भारी भरकम निर्माण प्रस्तावित थे, वहां पर जियोलाजिकल रिपोर्ट दी थी।

    क्रशर एसोसिएशन आगे आए

    हाल ही में विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रदेश की क्रशर एसोसिएशन से विचार करके आग्रह किया है कि क्रशर मालिक अपने-अपने जिलों में क्रशर स्थल के आसपास क्षतिग्रस्त रास्तों, संपर्क सड़कों को खोलने के लिए प्रशासन के साथ मिलकर मशीनरी उपलब्ध करवाते हुए सहयोग दें। इस संबंध में क्रशर एसोसिएशन के पदाधिकारियों से आग्रह किया गया कि प्रभावित क्षेत्रों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए आगे आएं।