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    'लॉटरी अभिशाप, इसलिए मैंने और वीरभद्र ने लगाया था प्रतिबंध', पूर्व CM ने प्रेम कुमार धूमल ने सुक्खू सरकार पर बोला हमला

    Updated: Sun, 03 Aug 2025 10:29 AM (IST)

    भाजपा नेता प्रेम कुमार धूमल ने प्रदेश सरकार द्वारा लॉटरी शुरू करने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि पहले उन्होंने और वीरभद्र सिंह ने इस पर प्रतिबंध लगाया था क्योंकि यह एक अभिशाप है और इसकी आदत लग सकती है। धूमल ने कहा कि 1999 में भाजपा सरकार ने लॉटरी सिस्टम बंद कर दिया था ताकि प्रदेश को बर्बादी से बचाया जा सके।

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    पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने हिमाचल में लॉटरी का किया विरोध।

    जागरण संवाददाता, शिमला। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने कहा है कि लॉटरी एक अभिशाप है, इसकी आदत न पड़ जाए इसलिए इस पर मैंने और वीरभद्र सिंह ने प्रतिबंध लगाया था। उन्होंने प्रदेश सरकार की चार दिवसीय मंत्रिमंडल बैठक में लॉटरी पर निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

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    इस निर्णय से हिमाचल मात्र बर्बादी की ओर बढ़ेगा। पूर्व मुख्यमंत्री धूमल ने यहां जारी बयान में कहा, 30 वर्ष पहले 17 अप्रैल, 1996 को हाईकोर्ट ने प्रदेश में चल रही सिंगल डिजिट लॉटरी की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था। इसके उपरांत जब मैं 1998 में मुख्यमंत्री बना तो अगले वर्ष 1999 में भाजपा सरकार ने निर्णय लिया कि प्रदेश में पूरा लॉटरी सिस्टम बंद कर दिया जाएगा।

    यह निर्णय पूरे प्रदेश को बर्बादी से बचाने की दूरगामी सोच थी। उन्होंने कहा, उस समय प्रदेश की सभी श्रेणियों के कर्मचारियों, पेंशनरों, मजदूरों एवं युवाओं ने बड़ी संख्या में लॉटरी खरीदनी शुरू कर दी थी। इसके कारण कर्मचारियों का वेतन, युवाओं की बचत, पेंशनरों की पेंशन और मजदूरों का पैसा दांव पर लग गया था। कई परिवार एवं घर तबाह हो गए थे।

    लॉटरी की आदत जनता को न लग जाए, इसलिए जनहित में लॉटरी को बंद किया था। प्रेम कुमार धूमल ने कहा, वर्ष 2004 में कांग्रेस की सरकार ने लॉटरी को फिर शुरू किया और उसके उपरांत तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने लॉटरी पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। शायद पूर्व मुख्यमंत्री को भी समझ आ गया था कि लॉटरी एक अभिशाप है।

    उन्होंने कहा कि उस समय प्रदेश को मात्र इससे लगभग चार से पांच करोड़ की आमदनी हुआ करती थी। वर्तमान समय में प्रदेश में 2,31,180 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिसमें से 1,60,000 पक्के कर्मचारी हैं। नौ से 10 लाख बेरोजगार हैं, जिनको इस लॉटरी प्रथा से बड़ा खतरा है, जिससे इनका जीवन दांव पर लग सकता है। उन्होंने इस निर्णय का विरोध कर सिस्टम को लागू न करने की मांग उठाई है।