पहाड़ों की सर्दी में बढ़ने लगी पंचायत चुनावों की गर्माहट, नेताओं ने शुरू की तैयारी; घर-घर पहुंच भांप रहे हैं जनता का मूड
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में पंचायत चुनावों की तैयारियां शुरू हो गई हैं। हालांकि चुनाव में अभी काफी समय है लेकिन राज्य चुनाव आयोग और स्थानीय नेताओं ने अभी से ही तैयारियां शुरू कर दी हैं। जनता का मिजाज भांपने के लिए नेता घर-घर जा रहे हैं। शिमला जिले में अभी तक 412 पंचायत हैं लेकिन 40 नई पंचायतों के गठन के लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं।
जागरण संवाददाता, शिमला। पहाड़ों के सर्द मौसम में अब पंचायत चुनावों की गर्माहट बढ़ने लगी है। हालांकि, पंचायत चुनावों के लिए भी काफी समय शेष हैं, लेकिन राज्य चुनाव आयोग के साथ-साथ स्थानीय नेताओं ने भी अभी से ही पंचायत के चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी है।
चुनाव से पहले जनता का मिजाज भांपने के लिए स्थानीय नेता घर-घर पहुंच रहे हैं। हालांकि, अभी चुनावी मैदान में उतरने की बात कोई नहीं कर रहा है, लेकिन फिर भी यह जानने का प्रयास पुरजोर हो रहे हैं कि जनता का मूड क्या है? पिछले पंचायत चुनावों में चुनावी रण में उतरे जिन नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था। उन नेताओं ने भी अभी से ही तैयारियां करना शुरू कर दिया है।
शिमला में कुल 412 पंचायत
शिमला जिला में अभी तक कुल 412 पंचायत है, लेकिन 40 नई पंचायतों के गठन के लिए जिला प्रशासन और पंचायतीराज विभाग के माध्यम से सरकार को प्रस्ताव भेजे गए है। अगर सरकार से इन पंचायतों के गठन को मंजूरी मिल जाती हैं तो फिर जिला में पंचायतों की संख्या 450 से पार हो जाएगी।
नई पंचायतों के गठन के बाद कई पंचायतों में वोटों का समीकरण भी बदल जाएगा। ऐसे में अभी से ही इन स्थानीय नेता वोटों के समीकरण बिठाने में लग गए है। शिमला के ग्रामीण क्षेत्रों में चाय की दुकानों, चौराहों, शादी एवं अन्य समारोह में भी पंचायत चुनावों की सरगर्मियां अब धीरे धीरे बढ़ने लगी है।
व्हाट्सएप ग्रुप भी हुए एक्टिव
शिमला जिला में ज्यादातर पंचायतों के अपने अपने व्हाट्सएप ग्रुप्स बने हैं। यह ग्रुप पिछले काफी समय से जहां कोई हलचल नहीं थी, तो वहीं अब यह ग्रुप अब एक्टिव हो गए हैं। इन ग्रुप्स में आरोप प्रत्यारोप का दौर भी तेज हो चुका है। पिछले 5 सालों में पंचायतों में कितने काम हुए है, कितने काम लटके हुए है। इन सभी मुद्दों पर पंचायत के व्हाट्सएप ग्रुप में चर्चा तेज हो गई है।
नई योजनाओं के लिए नई रणनीति बनाने की कोशिश
भले ही चुनाव को समय हैं, लेकिन चुनावी समर में उतरने के लिए मैदान बनाने का काम संभावित प्रत्याशियों ने शुरू कर दिया है। हालांकि इनमें से अधिकतर वे हैं, जो खुद नहीं तो पत्नी को चुनावी समर में उतारेंगे, लेकिन अपने लोगों का साथ तो जरुरी है। इसलिए पंचायत में जिन लोगों के लिए काम किए हैं। उसे गिनाने व भविष्य में उनके लिए क्या काम किए जाने हैं। इस पर घर-घर पहुंचकर चर्चा कर रहे हैं।
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