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    Himachal School: उधार के अध्यापकों से चल रहे 127 स्कूल, दो साल नहीं हो पाई भर्ती; क्यों लटका है मामला?

    Updated: Mon, 24 Feb 2025 08:45 AM (IST)

    Himachal News हिमाचल प्रदेश में 127 स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी नियमित शिक्षक नहीं है। सरकार ने इन स्कूलों में एक-एक शिक्षक तैनात करने की तैयारी की है। इससे बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है। इसके अलावा सरकार ने 10 से कम छात्र संख्या वाले 1094 स्कूलों को बंद कर दिया है और 78 स्कूलों को मर्ज करने जा रही है।

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    हिमाचल के 127 स्कूलों में नहीं हैं नियमित टीचर (सांकेतिक तस्वीर)

    अनिल ठाकुर, शिमला। सरकार प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के दावे करती है, लेकिन प्रदेश के 127 स्कूल ऐसे हैं जहां पर एक भी शिक्षक नहीं है। यहां पर अन्य स्कूलों से अध्यापक डेपुटेशन पर बुलाकर शिक्षा की लौ जलाई जा रही है।

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    इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है। इसके कई कारण हैं। दो साल में 2800 शिक्षकों की भर्ती पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। हालांकि अब प्रदेश सरकार ने नई योजना के तहत बिना शिक्षकों वाले स्कूलों में एक-एक शिक्षक तैनात करने की तैयारी की है।

    127 स्कूलों में नहीं हैं नियमित शिक्षक

    सरकार ने दो वर्ष में कई सख्त निर्णय लिए हैं। जीरो दाखिले व 10 से कम छात्र संख्या वाले 1094 स्कूलों को बंद किया है। शिक्षकों का युक्तीकरण किया है। वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर यानी असर) में सरकार के इन निर्णय के सकारात्मक नतीजे आए हैं। लेकिन 127 स्कूल ऐसे हैं जिनमें नियमित शिक्षक ही नहीं हैं।

    सरकार ने दो वर्ष पहले स्कूलों में 2800 पदों को सीधी भर्ती से भरने की मंजूरी दी थी, लेकिन कर्मचारी चयन आयोग के भंग होने के चलते मामला लटकता रहा।

    फिर प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने राज्य लोक सेवा आयोग से पदों को भरने की गुहार लगाई, लेकिन आयोग ने यह कहकर प्रस्ताव ठुकरा दिया कि उनके पास पहले से काफी भर्तियों की प्रक्रिया चली है। फिर स्कूल शिक्षा बोर्ड को प्रस्ताव भेजा, वहां से भी इन्कार कर दिया।

    युक्तीकरण का भी नहीं हुआ असर, नहीं जाना चाहते शिक्षक

    प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने युक्तीकरण की प्रक्रिया पिछले साल शुरू की। इसका मकसद यही था कि बिना शिक्षकों के इन स्कूलों को शिक्षक मिल सकें। बावजूद इसके 127 स्कूलों के हिस्से शिक्षक नहीं आया। ये स्कूल दूरदराज क्षेत्रों में हैं, इसलिए यहां शिक्षक जाना ही नहीं चाहते।

    इस साल 78 स्कूल होंगे मर्ज

    सरकार ने 10 से कम छात्र संख्या वाले 1094 स्कूलों को पिछले साल मर्ज किया था। सरकार इस साल 78 स्कूलों को मर्ज करने जा रही है। बीते शुक्रवार को 27 स्कूलों को मर्ज कर इसकी शुरुआत कर दी है। 21 कालेजों को भी मर्ज किया जा रहा है।

    वित्त विभाग ने कहा, खुद एसओपी बनाए विभाग

    शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल मर्ज करने के प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजे जा रहे हैं। वित्त विभाग ने शिक्षा विभाग को पत्र जारी कर कहा है कि खुद एसओपी बनाएं और उसमें यह तय किया जाए कि स्कूल कैसे मर्ज व बंद करने हैं। ताकि बार-बार मंजूरी लेने की जरूरत न पड़े।

    वित्त विभाग की चिट्टी आने के बाद बनाए नियम

    सरकार ने निर्णय लिया है कि प्राइमरी स्कूलों में छात्रों की संख्या 10 होने पर एक और 10 से 20 छात्र होने पर दो शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे। पहली अप्रैल से इस योजना को सिरे चढ़ाया जा रहा है। विभाग नई भर्ती प्रक्रिया आरंभ करने जा रहा है।

    जनजातीय क्षेत्र में पहली से 12वीं तक यदि किसी स्कूल में छात्र संख्या 15 से कम है तो वह स्कूल बंद होगा। अन्य क्षेत्रों के लिए यह संख्या 25 है। प्राइमरी के लिए सामान्य क्षेत्रों के लिए 10 छात्र संख्या तय की है जबकि जनजातीय क्षेत्रों के लिए पांच है।

    2800 पदों को भरने की फाइल आयोग को भेज दी है। दिव्यांग श्रेणी के 181 जेबीटी की नियुक्ति पहली अप्रैल से पहले हो जाएगी। पीजीटी के 500 पदों पर भी नियुक्ति होगी। कला अध्यापकों का रिजल्ट घोषित करने की मंजूरी दे दी है। विभाग को जल्द एक हजार शिक्षक मिलेंगे। सरकार की प्राथमिकता है कि जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं वहां पर पहले नियमित शिक्षक भेजे जाएं।

    - रोहित ठाकुर, शिक्षा मंत्री।

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