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    Shimla Snowfall: नारकंडा में भारी बर्फबारी के चलते NH-5 पर थमे वाहनों के पहिए, लोगों को झेलनी पड़ी परेशानियां

    भारी बर्फबारी के चलते रामपुर से शिमला जाने वाली परिवहन निगम की बसों को वाया बसंतपुर-सुन्नी होकर भेजा गया। आरएम प्रेम कश्यप ने कहा है कि नारकंडा में हुई बर्फबारी से राष्ट्रीय राजमार्ग-5 बंद हो गया है। यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

    By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Mon, 30 Jan 2023 07:42 PM (IST)
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    आरएम प्रेम कश्यप ने कहा है कि नारकंडा में हुई बर्फबारी से राष्ट्रीय राजमार्ग-5 बंद हो गया है

    नारकंडा, संवाद सहयोगी। नारकंडा में रविवार रात से हुई बर्फबारी से एक फीट बर्फ की मोटी परत जम गई है। ताजा हिमपात होने से समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में आ गया है। बर्फबारी के चलते नारकंडा में राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहनों के पहिए थमे हुए हैं।

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    भारी बर्फबारी के चलते रामपुर से शिमला जाने वाली परिवहन निगम की बसों को वाया बसंतपुर-सुन्नी होकर भेजा गया। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर लाफुघाटी, मतियाना, शिलारू, नारकंडा और ओडी की ओर विभाग ने बर्फ हटाने का काम युद्धस्तर पर शुरू कर दिया है।

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    बर्फबारी के चलते राष्ट्रीय राजमार्ग-5 बंद

    आरएम प्रेम कश्यप ने कहा है कि नारकंडा में हुई बर्फबारी से राष्ट्रीय राजमार्ग-5 बंद हो गया है। ऐसे में किन्नौर और रामपुर से शिमला की तरफ जाने वाले बसों को सुन्नी होकर भेजा जा रहा है। पर्यटक नगरी नारकंडा में पर्यटकों की आवाजाही भी अब बढ़ सकती है। रास्तों में आवाजाही प्रभावित होने की वजह से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

    हटाई जा रही है बर्फ

    एनएच नारकंडा के एसडीओ कनव बरोजा ने बताया कि रास्ते से बर्फ हटाने का काम तेजी से किया जा रहा है। । उन्होंने कहा बर्फ हटाने का काम युद्वस्तर पर शुरू कर दिया है। दो जेसीबी मशीनों की सहायता से विभाग के कर्मी एनएच पांच पर बर्फ हटाने में जुटे हुए हैं। वहीं फिसलन वाली जगहों पर रेत डाली जा रही है। जल्द ही एनएच पांच यातायात के लिए बहाल कर दिया जाएगा।

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    बारिश से किसानों का फायदा

    बता दें कि, घाटी में भारी बर्फबारी के साथ-साथ बारिश भी हो रही है। यह बारिश बागवान और किसानों के लिए वरदान साबित हुई है। बीते लंबे समय से बारिश न होने से किसान-बागवान भी निराश थे। बारिश से बागवान भी गदगद हुए हैं। मौसम न बरसने से सेब के पौधों में केंकर रोग का भी खतरा पैदा हो रहा था, बगीचों में भी सूखे के कारण कोई कार्य नहीं हो पा रहे थे। ऐसे में यह बारिश किसी वरदान से कम नहीं है।