बहुचर्चित कोटखाई दुष्कर्म एवं हत्या मामला: नीलू चरानी की अपील पर हाई कोर्ट में होगी अंतिम सुनवाई, उम्रकैद की है सजा
कोटखाई दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषी नीलू चरानी की अपील पर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में अंतिम सुनवाई होगी। 2017 में एक नाबालिग छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद नीलू चरानी को गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में अपील की है। इस मामले ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी थी।

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का शिमला स्थित परिसर। जागरण आर्काइव
विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में कोटखाई छात्रा दुष्कर्म एवं हत्या मामले में दोषी नीलू चरानी की अपील पर अंतिम सुनवाई 26 नवंबर को होगी। पिछली सुनवाई को कोर्ट ने राज्य सरकार को गृह सचिव के माध्यम से प्रतिवादी बनाने के आदेश दिए थे।
कोर्ट ने सरकार को नीलू का हिरासत प्रमाणपत्र पेश करने के आदेश भी दिए थे। इस मामले में शिमला स्थित सीबीआइ कोर्ट ने दोषी नीलू को उम्रकैद की सजा सुनाई है। प्रार्थी ने खुद को दोषी ठहराने और उम्रकैद की सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की है।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ के समक्ष इस अपील पर सुनवाई हुई।
चार जुलाई 2017 को दुष्कर्म के बाद गला घोंट कर दी थी हत्या
सीबीआइ की चार्जशीट के मुताबिक अनिल कुमार उर्फ नीलू ने चार जुलाई 2017 को छात्रा से दुष्कर्म के बाद गला घोंट कर हत्या कर दी थी। जांच में बात सामने आई थी छात्रा व दोषी के बीच थूकने को लेकर कहासुनी हुई थी और दोनों के बीच हाथापाई हुई थी। हालांकि स्थानीय पुलिस ने कथिततौर पर विज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर पांच लोगों को हिरासत में लिया था। 13 जुलाई 2017 को स्थानीय पुलिस ने इस बात की जानकारी पत्रकारवार्ता में दी थी।
हाई कोर्ट ने सीबीआई को सौंपा था मामला
हाई कोर्ट ने मामला सीबीआइ को सौंपने के बाद पुलिस द्वारा घोषित आरोपितों को छोड़ने को कहा था। जांच के दौरान पकड़े गए एक आरोपित सूरज की 19 जुलाई की रात को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। दो लोगों के बयानों के आधार पर पांच लोगों को हिरासत में लिया था लेकिन सीबीआइ जांच के दौरान दोनों अपने बयान से मुकर गए थे।
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पालीग्राफ टेस्ट में क्या निकला था
पकड़े गए आरोपितों के पालीग्राफ टेस्ट, नार्को एनालिसिस रिपोर्ट, ब्रेन इलेक्ट्रिकल ओसीलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग व कंप्रीहेंसिव फारेंसिक साइकोलाजिकल रिपोर्ट से भी पता चला था कि इन लोगों को गलत तरीके से हिरासत में लिया गया था। जांच के बाद सीबीआइ कोर्ट शिमला में ट्रायल हुआ और नीलू को ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
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