लाहौल-स्पीति की SP बनीं IPS इल्मा अफरोज, मुख्य सचिव ने जारी किए आदेश; कार्तिकेयन गोकुलचंद्रन होंगे भारमुक्त
हिमाचल सरकार ने आईपीएस इल्मा अफरोज को पुलिस अधीक्षक लाहौल स्पीति नियुक्त किया है। इस तबादले के आदेश के बाद पुलिस अधीक्षक कुल्लू कार्तिकेन गोकुल चंद्रन को अतिरिक्त कार्यभार से मुक्त कर जाएगा। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। पिछले सप्ताह ही हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इल्मा अफरोज को बद्दी पुलिस अधीक्षक लगाने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया था।

राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल सरकार ने आईपीएस एवं पुलिस अधीक्षक बद्दी इल्मा अफरोज को पुलिस अधीक्षक लाहौल स्पीति लगाया है। इन आदेशों के तहत पुलिस अधीक्षक कुल्लू कार्तिकेन गोकुल चंद्रन को अतिरिक्त कार्यभार से भारमुक्त करेंगे। इस संबंध में प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने आदेश जारी कर दिए है।
बीते सप्ताह ही हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने आईपीएस इल्मा अफरोज को बद्दी पुलिस अधीक्षक लगाने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया था और स्पष्ट कहा था कि ये सरकार का विशेषाधिकार है। इन आदेशों से पूर्व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इल्मा अफरोज को बद्दी से ट्रांसफर पर स्टे लगाया था। उधर एक एचपीएस अधिकारी एसडीपीओ भावानगर राज कुमार के एसडीपीओ कांगड़ा के तबादला आदेशों को रद्द कर दिया है।
स्थानीय विधायक से टकराव के बाद चर्चा में आईं
पुलिस अधीक्षक बद्दी इल्मा अफरोज स्थानीय विधायक राम कुमार चौधरी से टकराव बढ़ने के बाद चर्चा में आई थी। बीते वर्ष 6 नवंबर को मुख्यमंत्री के साथ जिला उपायुक्त और पुलिस अधीक्षकों की शिमला में बैठक से लौटने के बाद इल्मा लंबी छुट्टी पर चली गई थी।
इसके बाद सरकार ने बद्दी के एसपी विनोद कुमार को अतिरिक्त कार्यभार सौंपा था। प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों की वजह से सरकार इल्मा अफरोज को ट्रांसफर नहीं कर पा रही थी। जब करीब 40 दिन बाद ड्यूटी पर लौटी तो उन्होंने पुलिस मुख्यालय में कार्यभार संभाला था।
तब से वह पुलिस मुख्यालय में ही तैनात थी। सुच्चा सिंह नाम के व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इल्मा को एसपी बद्दी लगाने का आग्रह किया। मगर राज्य सरकार ने प्रदेश उच्च न्यायालय को बताया कि इल्मा ने खुद ही बद्दी से तबादला मांगा है। इसके बाद प्रदेश उच्च न्यायालय ने इल्मा की ट्रांसफर से स्टे हटा दिया।
हाईकोर्ट ने की थी ये टिप्पणी
बता दें कि न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यह सरकार का विशेषाधिकार है कि किसी कर्मचारी अथवा अधिकारी की तैनाती कब, कहां और कैसे करनी है।
कोर्ट ने कहा कि अदालत किसी अधिकारी की नियुक्ति से जुड़े सरकार के विशेषाधिकार में दखल नहीं दे सकती, बशर्ते सरकार की नीयत साफ और स्पष्ट होनी चाहिए।
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