आयुर्वेद घोटाला: कर्मचारी के पत्र से मचा ऐसा हड़कंप की दिनभर होती रही चर्चा
medical equipment scandal चिकित्सा उपकरणों की खरीद फरोख्त में हुए घोटाले को लेकर एक कर्मचारी के पत्र ने सचिवालय में हड़कंप मचा दिया।
शिमला, राज्य ब्यूरो। आयुर्वेदिक विभाग में चिकित्सा उपकरणों की खरीद घोटाले में कर्मचारी के पत्र से सचिवालय में हड़कंप मच गया है। पत्र को लेकर सचिवालय में दिनभर चर्चाएं होती रही। सवाल उठ रहे हैं कि स्वास्थ्य एवं आयुर्वेदिक मंत्री विपिन परमार के कहने व कार्मिक विभाग के लिखने के बाद भी इस मामले की अब तक एफआइआर दर्ज नहीं करवाई जा रही है।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में वरिष्ठ सहायक राजेश कुमार कौशल ने विभाग के पूर्व निदेशक व अतिरिक्त मुख्य सचिव को लपेटे में लिया है। पत्र में चार्जशीट पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। सचिवालय के बड़े अधिकारी और पूर्व आयुर्वेदिक निदेशक से जान को खतरा बताया है। दैनिक जागरण के उठाए इस मामले में कई बड़ी मछलियों के शामिल होने की आशंका है। घोटाले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाने पर कई चौंकाने वाले तथ्य समाने आ सकते हैं।
मामले की जांच का जिम्मा विभागीय स्तर पर हो रहा है। जबकि चार्जशीट किए कर्मचारी ने पत्र में कबूला है कि घोटाला करवाया गया है। इसके लिए सचिवालय के बड़े अधिकारी और पूर्व आयुर्वेदिक निदेशक संजीव भटनागर घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं। वरिष्ठ सहायक राजेश जैम पोर्टल पर इस खरीद के डेजीग्नेटिड बायर घोषित थे। विभागीय जांच में इन्होंने कहा था कि पूर्व निदेशक ने बड़े अफसर के कहने पर घोटाला किया है।
कौशल ने ये लगाए हैं आरोप
- पूर्व निदेशक ने पहले रामपुर अस्पताल के खरीदे जाने वाले पंचकर्मा के सामान का सप्लाई ऑर्डर सीधे निदेशालय से जारी करने को कहा जो मैंने नहीं किया। यह खरीद जिला आयुर्वेद अधिकारी से होनी थी। जबकि पंचकर्मा उपकरण खरीद 579700 रुपये से संबंधित था और सीधे निदेशालय से आदेश देने को कहा। कांगड़ा के सुन्याली और हमीरपुर के लंबलू के लिए लाखों के पंचकर्मा उपकरण भी गलत तरके से खरीदने के इनवाइस तैयार करवाए गए।
- सचिवालय में बैठे अधिकारी के कहने पर निदेशक ने कुल्लू के पार्वती मेडिकल स्टोर को हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम के माध्यम से सुल्याली कांगड़ा और हमीरपुर के अस्पतालों के लिए हुई खरीद का सप्लाई ऑर्डर दिया। इसी तरह से 398.82 लाख की दवा खरीद के लिए पहले फाइल रुकवाई, उसके बाद फंड डायवर्ट करवाए गए। इसके बाद कमेटी को बदल दिया गया।
राजेश के लगाए आरोप झूठे हैं। आखिर गोपनीय पत्र सार्वजनिक कैसे हो गया? खुद को बचाने के लिए आरोप लगाए जा रहे हैं।
-संजय गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव आयुर्वेद।
घोटाले के संबंध में अधिकारियों पर आरोप लगाने से संबंधित मुख्यमंत्री को पत्र लिखे जाने के संबंध में मुझे अभी जानकारी नहीं है।
-श्रीकांत बाल्दी, मुख्य सचिव, हिमाचल।
तीन माह बाद भी चार्जशीट नही आयुर्वेद चिकित्सा उपकरण खरीद घोटाले में वरिष्ठ सहायक राजेश कुमार कौशल को तीन माह गुजर जाने के बाद भी चार्जशीट न करने पर सवाल उठ रहे हैं। सरकार ने विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान चार्जशीट करने के आदेश दिए थे। इस मामले में कार्मिक विभाग की ओर से चार्जशीट प्रपोजल विभाग के पास पड़ी है। अतिरिक्त मुख्य सचिव आयुर्वेद कार्यालय ने भी चार्जशीट प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा है।
दो चार्जशीट प्रस्ताव होने के बावजूद अब तक कर्मचारी को चार्जशीट नहीं किया जा सका है। चिकित्सा उपकरण खरीद मामले में तकनीकी कमेटी के तीन सदस्य चार्जशीट हो चुके हैं। आयुर्वेद विभाग के पूर्व निदेशक को भी चार्जशीट किया जा चुका है। सवाल उठ रहे हैं कि निचले स्तर के कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही।
एक दिन में ही क्लीनचिट डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के चिकित्सा उपकरणों की खरीद मामले में वरिष्ठ सहायक राजेश कुमार कौशल को 23 जून को दोपहर तीन बजे निलंबन आदेश थमाए गए थे। 24 जून को सायं पांच बजे निलंबन आदेश निरस्त कर दिए गए। सवाल है कि एक दिन के भीतर पूर्व निदेशक ने क्लीनचिट किस आधार पर दी।
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मैं परेशान हो चुका हूं कि मुझे चार्जशीट देने में इतना समय क्यों लगाया जा रहा है। चार्जशीट निदेशक की ओर से दी जानी चाहिए, लेकिन इस मामले में एसीएस कार्यालय की भूमिका संदिग्ध है। मेरा खून सूख रहा है और मैं मानसिक तौर पर बेहद परेशान हूं।
-राजेश कुमार कौशल, वरिष्ठ सहायक।
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