हिमाचल में स्कूलों से हटेंगे सरप्लस टीचर, युक्तीकरण का प्रस्ताव जाएगा कैबिनेट में, समीक्षा बैठक में शिक्षा मंत्री के निर्देश
हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग अतिरिक्त शिक्षकों को हटाने की तैयारी में है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने समीक्षा बैठक में विषयवार शिक्षकों के युक्तिकरण के निर्देश दिए। जिन स्कूलों में कम छात्र हैं, वहां एक ही शिक्षक रहेगा। विभाग उर्दू और पंजाबी शिक्षकों की नियुक्ति करेगा। प्राकृतिक आपदा से शिक्षा विभाग को 126 करोड़ का नुकसान हुआ है।

शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते मंत्री रोहित ठाकुर। सौजन्य डीपीआर
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग एक बार फिर सरप्लस शिक्षकों को हटाने जा रहा है। शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए राज्य के वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में विषयवार शिक्षकों का युक्तीकरण किया जाएगा। ऐसे स्कूल जिनमें किसी विषय में 10 व इससे कम विद्यार्थी हैं, वहां पर केवल एक ही शिक्षक उस विषय का रहेगा।
प्रदेश में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां पर पहले विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा थी और अंग्रेजी, हिंदी, सहित कुछेक विषयों के 2-2 शिक्षकों के पद सृजित थे। इसके अनुसार अभी भी वहां शिक्षक कार्यरत हैं। विभाग ने ऐसे शिक्षकों को बदलने के निर्देश जारी किए हैं।
शिक्षा मंत्री ने समीक्षा बैठक में दिए निर्देश
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में वीरवार को राज्य सचिवालय में आयोजित समीक्षा बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में शिक्षा निदेशक को निर्देश दिए हैं कि वह इसके लिए आगामी प्रक्रिया शुरू करें।
निदेशक को पूरी रिपोर्ट तैयार करने को कहा
बैठक में टीजीटी शिक्षकों के युक्तीकरण की प्रक्रिया पर भी चर्चा की गई। बैठक में निदेशक स्कूल शिक्षा विभाग को कहा गया है कि वह इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार करें। इस मामले को विभाग दोबारा कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखेगा।
उर्दू और पंजाबी शिक्षकों की होगी नियुक्ति, प्राकृतिक आपदा पर चर्चा
बैठक में उर्दू के 10 व पंजाबी शिक्षकों के 11 पदों को भरने की मंजूरी दी गई है। बैठक में विभाग ने प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की रिपोर्ट रखी। इसमें बताया गया कि बरसात के मौसम में शिक्षा विभाग को कुल 126 करोड़ का नुकसान हुआ है। कुल 1411 स्कूल भवन प्रभावित हुए हैं।
नियमित निरीक्षण के निर्देश
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने सभी जिलों के उपनिदेशक शिक्षा को निर्देश दिए कि वह स्कूलों का नियमित रूप से निरीक्षण करें। इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार करें, ताकि बेहतर शिक्षण वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।
शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने मानव संसाधन और भौतिक संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के लिए विभिन्न स्तरों पर विद्यालयों के बीच संसाधनों के साझा उपयोग की संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
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उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा, निदेशक स्कूल शिक्षा आशीष कोहली, समग्र शिक्षा परियोजना निदेशक राजेश शर्मा व विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे। बैठक में सीबीएसई स्कूलों में शिक्षकों का अलग कैडर बनाने पर भी चर्चा की कर जल्द नियम बनाने के निर्देश दिए।
11 व 12 नवंबर को होगी प्रेजेंटेशन
सरकार ने स्कूल प्रवक्ताओं को कक्षा नवीं व 10वीं को पढ़ाने का काम भी सौंपा हुआ है। कुछ शिक्षक इस कार्य को करने से मुकर रहे हैं। 9 व 10 नवंबर को इसको लेकर सचिव शिक्षा की अध्यक्षता में बैठक होगी। इसमें सभी जिलों के उप निदेशकों को प्रेजेंटेशन देने को कहा गया है। इसमें उनके जिला में इसकी क्या स्थिति है इस पर चर्चा होगी।
डीपीई को 5 प्रतिशत एलडीआर कोटा
एसएमसी आधार पर नियुक्त प्रवक्ता व डीपीई को मिलेगा 5 प्रतिशत एलडीआर कोटा
स्कूलों में एसएमसी आधार पर नियुक्त प्रवक्ता व डीपीई को भी टीजीटी की तर्ज पर 5 प्रतिशत एलडीआर कोटा के तहत विभाग में मर्ज किया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने सचिव शिक्षा को इसके लिए भर्ती एवं पदोन्नती नियमों में बदलाव करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जल्द इस पर काम किया जाए ताकी ये शिक्षक भी विभाग में मर्ज हो सकें।
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9 हजार पद भरने की प्रक्रिया जारी : रोहित ठाकुर
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए अनेक परिवर्तनकारी पहल की हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। अब तक विभिन्न श्रेणियों के लगभग 7000 नियमित शिक्षकों की नियुक्तियां की जा चुकी हैं। इसके बाद 9000 से अधिक और पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है। इनमें 1170 टीजीटी, 1762 जेबीटी, 37 प्रवक्ता (पीडब्ल्यूडी), 69 सीएंडवी और 6292 एनटीटी शिक्षक शामिल हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भर्ती प्रक्रिया को शीघ्र पूरा किया जाए ताकि शैक्षणिक संस्थानों में रिक्त पदों को समय पर भरा जा सके।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा किए गए सुधारों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं और राज्य की गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने की रैंकिंग में सुधार हुआ है।

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