हिमाचल के 7 स्टार वाइल्ड फ्लावर हाल होटल का संचालन इस नामी कंपनी को सौंपेगी सरकार, मंत्रिमंडल ने दी स्वीकृति
शिमला के मशोबरा में स्थित वाइल्ड फ्लावर हाल होटल का संचालन अब निजी कंपनी को सौंपा जाएगा। सरकार ने होटल इंडस्ट्री से जुड़ी एक प्रतिष्ठित कंपनी को यह कार्य सौंपने का फैसला किया है, जिसके लिए वैश्विक निविदा जारी की जाएगी। वर्तमान में, ओबेराय समूह की ईस्ट इंडिया कंपनी होटल का संचालन कर रही है, जो सरकार को मासिक भुगतान करती है।

शिमला के मशोबरा स्थित वाइल्ड फ्लावर होटल। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश के सेवन स्टार होटल का संचालन सरकार अब निजी कंपनी को सौंपेगी। शिमला जिले के मशोबरा में स्थित वाइल्ड फ्लावर हाल होटल के संचालन का कार्य सरकार होटल इंडस्ट्री से जुड़ी एक प्रतिष्ठित कंपनी को सौंपने जा रही है। 
इसके लिए वैश्विक निविदा जारी करने की स्वीकृति मंत्रिमंडल की बैठक में दी गई। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में इस मुद्दे पर गहन चर्चा के बाद निर्णय लिया गया। 
लंबी लड़ाई के बाद अपने अधीन लिया है यह होटल
राज्य सरकार ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद इस होटल को अपने अधीन किया है। वर्तमान में होटल का संचालन ओबेराय समूह के स्वामित्व वाली ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा किया जा रहा है, जो सरकार को प्रति माह 1.78 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही है।
छह महीने यही कंपनी करेगी संचालन
आगामी छह महीनों तक यह कंपनी होटल का संचालन जारी रखेगी, जबकि इस दौरान सरकार टेंडर की प्रक्रिया को पूरा करेगी। ईस्ट इंडिया कंपनी के पास होटल का संचालन फरवरी 2026 तक का है।
ग्लोबल टेंडर बुलाएगी सरकार
कैबिनेट में इस विषय पर चर्चा करते हुए उद्योग और संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने कहा कि हिमाचल सरकार होटल के दीर्घकालिक संचालन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेशकों को आकर्षित करना चाहती है, इसलिए ग्लोबल टेंडर करने का निर्णय लिया गया है।
मशोबरा में स्थित है सुंदर होटल
यह होटल शिमला से 13 किलोमीटर दूर मशोबरा की पहाड़ियों में स्थित है और समुद्र तल से आठ हजार फीट की ऊंचाई पर बना है। यह ब्रिटिशकालीन स्थापत्य और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
लार्ड किचनर का निवास था यह भवन
मूल रूप से यह भवन लार्ड किचनर का निवास था, जिसे बाद में होटल में परिवर्तित किया गया। वाइल्ड फ्लावर हाल में 85 कमरे हैं, जिनमें न्यूनतम किराया 30,400 रुपये और अधिकतम 2.60 लाख रुपये है। सरकार को दी जाने वाली राशि कमरों की औसत बुकिंग के आधार पर निर्धारित की गई है।
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यह है मामला
इस मामले की जड़ें 1993 में जाती हैं, जब होटल में आग लगी थी। इसे फिर से फाइव स्टार होटल के रूप में विकसित करने के लिए सरकार ने ईस्ट इंडिया होटल्स के साथ करार किया था। कंपनी को चार साल में होटल का निर्माण पूरा करना था, अन्यथा उसे प्रति वर्ष दो करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करना था। हालांकि, कंपनी छह वर्ष में होटल का काम पूरा नहीं कर पाई, जिसके कारण सरकार ने 2002 में करार रद कर दिया। इस मामले में न्यायालय में सुनवाई जारी है, और ओबेराय समूह ने 18 प्रतिशत की दर से 125 करोड़ रुपये जमा किए हैं, लेकिन पिछली बकाया राशि अभी तय नहीं हो पाई है।

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