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    केंद्र की बैसाखियों पर नहीं रहेगा हिमाचल! बिगड़ती अर्थव्यवस्था में सुधार का काम तेज; जल्द पटरी पर दौड़ेगी विकास की रेल

    Updated: Thu, 10 Apr 2025 05:06 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कदम उठाए हैं। संसाधन सृजन समिति की बैठक में वित्तीय स्थिति में सुधार के उपायों पर चर्चा हुई। खर्च कम करने घाटे के बोर्ड और निगमों को मर्ज करने किराये के भवनों को सरकारी भवनों में शिफ्ट करने जैसे सुझाव दिए गए। केंद्र से मिलने वाली राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी) ग्रांट हर साल कम हो रही है।

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    सुक्खू सरकार जुटाएंंगे आय के अतिरिक्त संसाधन। फाइल फोटो

    अनिल ठाकुर, शिमला। राज्य की बिगड़ती अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए अब काम तेज हो गया है। केंद्र की बैसाखियों के सहारे चलने के बजाए हिमाचल को आय के अतिरिक्त संसाधन जुटाने होंगे, तभी विकास की रेल पटरी पर दौड़ेगी। इस पर अब काम शुरू हो गया है। सचिव वित्त अभिषेक जैन की अध्यक्षता में गठित संसाधन सृजन समिति (रिसोर्स मोबिलाइजेशन कमेटी) की बैठक आयोजित हुई।

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    बैठक में वित्त व योजना विभाग सहित अन्य विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार को लेकर मंथन किया गया। सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार की जिन परियोजनाओं में हिस्सेदारी (इक्विटी शेयर) उसमें से कुछ अंश को एक निश्चित अवधि के लिए वापिस लिया जा सकता है। उसके बाद पुन: उक्त धनराशि को परियोजनाओं को वापिस लौटा दी जाए ऐसा प्रविधान किया जा सकता है।

    राज्य की वित्तीय हालत खराब

    बैठक में ऐसा सुझाव भी अधिकारियों ने दिया है। इसके अलावा अपने खर्चे कम करने, घाटे के बोर्ड व निगमों को मर्ज करने, किराये के भवनों में चल रहे कार्यालयों को सरकारी भवनों में शिफ्ट करने जैसे मसलों पर चर्चा हुई है।

    बीबीएमबी से मिलने वाले एरियर की राशि, एनपीएस की हिस्सेदारी, आपदा राहत का केंद्र से बजट लेना जैसे मामलों पर भी चर्चा की गई। राज्य सरकार ने बजट में उपकर लगाने संबंधी जो निर्णय लिए हैं उस पर भी चर्चा हुई।

    शीघ्रता से इस तरह के उपकर लगाने संबंधी अधिसूचना जारी की जाए ताकि सरकार को वित्तीय लाभ प्राप्त हो सके। बैठक में प्रदेश में मौजूद विभिन्न बैंकों में विभागीय योजनाओं का जो पैसा पड़ा हुआ है और खर्च नहीं हुआ उस पर भी चर्चा की गई।

    अधिकारियों ने बैठक में तर्क दिया कि योजनाओं को तय समय के भीतर पूरा किया जाए ताकि इसकी लागत न बढ़े। लागत बढ़ने से सरकार को अतिरिक्त बजट खर्च करना पड़ता है। इसलिए यह जरूरी है कि जब सारी औपचारिकता पूरी हो जाए तभी योजना का काम शुरू किया जाए।

    केंद्र सरकार से मिलने वाली राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी) ग्रांट हर साल कम हो रही है। इसके चलते राज्य की वित्तीय हालत बिगड़ रही है।

    मंत्रिमंडल उप समिति दे चुकी है अपनी रिपोर्ट

    संसाधन सृजन समिति की दो अलग-अलग समितियां गठित की गई है। मंत्रिमंडलीय उप समिति उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में बनी हुई है। यह अपनी रिपोर्ट मंत्रिमंडल को दे चुकी है। इस समिति ने सुझाव दिया था कि खर्च कम करने, व्यर्थ के खर्चों पर लगाम लगाने, सरकारी विभागों में गाड़ियों की संख्या को दस फीसदी कम करने की सिफारिश की थी।

    इसके अलावा घाटे के बोर्ड और निगमों का मर्ज करने पर जल्द फैसला लेने की अनुशंसा की थी। किराए के भवनों में चल रहे कार्यालय को खाली पड़े सरकारी भवनों में शिफ्ट करने की भी अनुशंसा की थी। मुख्यमंत्री अब इस रिपोर्ट पर आगामी निर्णय लेंगे। माना जा रहा है कि जल्द ही इसको लेकर बैठक होगी व समिति की सिफारिशों को लागू किया जाएगा। दूसरी कमेटी सचिव वित्त की अध्यक्षता में बनी है।

    इस साल राजस्व प्राप्तियां ये होंगी

    वित्त विभाग के अनुसार वित्तीय वर्ष 2025-26 में राजस्व प्राप्तियां 42343 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। कुल राजस्व व्यय 48733 करोड़ रुपये अनुमानित है। इस प्रकार कुल राजस्व घाटा 6090 करोड़ अनुमानित है। राजकोषीय घाटा 10338 करोड़ अनुमानित है, यह प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद का 4.04 प्रतिशत है।

    साल दर साल कम होती गई आरडीजी ग्रांट

    वित्तीय वर्ष आरडीजी ग्रांट

    2021-22 10949 करोड़

    2022-23 9377 करोड़

    2023-24 8058 करोड़

    2024-25 6258 करोड़

    2025-26 3357 करोड़

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