हिमाचल में पदोन्नति के बाद ज्वाइन नहीं करने वाले शिक्षकों को लगेगा झटका, शिक्षा विभाग ने लिया बड़ा फैसला
हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग ने पदोन्नति के बाद ज्वाइन न करने वाले शिक्षकों पर सख्ती दिखाई है। ऐसे शिक्षकों को अब तीन साल तक पदोन्नति नहीं मिलेगी। विभाग ने यह फैसला शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति गंभीर बनाने के लिए लिया है। उचित कारण होने पर छूट मिल सकती है।

पदोन्नति के बाद भी ज्वाइन न करने वाले शिक्षकों पर विभाग कार्रवाई करेगा। प्रतीकात्मक फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने शिक्षा विभाग में प्रदेश सरकार की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं, भर्ती प्रक्रियाओं और अवसंरचना कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। शिमला स्थित राज्य सचिवालय में सोमवार को आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने निर्देश दिए कि सभी स्वीकृत पदों को तुरंत हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग और हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग को भेजा जाए, ताकि भर्ती प्रक्रिया में देरी न हो और स्कूलों में खाली पद शीघ्र भरे जा सकें।
उन्होंने टीजीटी, जेबीटी, पंजाबी और ऊर्दू शिक्षकों तथा खेल छात्रावासों में डीपीई और कोच की भर्ती के लंबित मामलों पर नियमित रूप से निगरानी करने को कहा ताकि समय पर नियुक्तियां सुनिश्चित की जा सकें।
रोहित ठाकुर ने सभी स्तरों पर शिक्षकों की उपलब्धता और शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के निर्देश दिए ताकि विद्यार्थियों को किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े।
पदोन्नति रद कर योग्य शिक्षक को मौका मिलेगा
उन्होंने 9वीं और 10वीं कक्षाओं में पीजीटी की नियुक्तियों की भी समीक्षा की और उप-निदेशकों को विभिन्न स्कूलों में शिक्षकों द्वारा सफल उदाहरण और नवाचारपूर्ण शिक्षण पद्धतियों को साझा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जो पीजीटी अपनी पदोन्नति पोस्टिंग में समय पर ज्वाइनिंग नहीं दे रहे हैं, उनकी पदोन्नति रद कर अगले योग्य उम्मीदवार को मौका दिया जाए।
प्राथमिक स्कूल खोलने की औपचारिकताएं शीघ्र पूरी करने का निर्देश
रोहित ठाकुर ने नए प्राथमिक विद्यालय खोलने की औपचारिकताएं शीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया ताकि प्रस्ताव मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके। उन्होंने कोटखाई और पांवटा साहिब में केंद्रीय विद्यालय स्थापित करने के लिए भी प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए।
1320 शिक्षण संस्थान हुए क्षतिग्रस्त
शिक्षा मंत्री ने हाल ही में प्राकृतिक आपदाओं से स्कूलों को हुए नुकसान पर चिंता व्यक्त की और मरम्मत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि 1320 से अधिक शिक्षण संस्थान क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनको लगभग 122 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि पीडीएनए फंड का सही उपयोग किया जाए और 75 प्रतिशत से अधिक नुकसान वाले संस्थानों को प्राथमिकता दी जाए।
स्कूल निरीक्षण प्रक्रिया की समीक्षा करते हुए शिक्षा मंत्री ने उप-निदेशकों को लक्ष्य बढ़ाने के निर्देश दिए ताकि शिक्षा मानकों और जवाबदेही में सुधार हो सके।
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परमार विद्यार्थी ऋण योजना की समीक्षा की
उन्होंने डा. वाईएस परमार विद्यार्थी ऋण योजना की समीक्षा भी की और अधिकारियों को सभी पात्र छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए 1 प्रतिशत ब्याज दर पर शिक्षा ऋण उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। बैठक में 2023 से अब तक शिक्षा विभाग की उपलब्धियों, सुधारों और पहलों पर विस्तृत प्रस्तुति भी दी गई। बैठक में अतिरिक्त शिक्षा सचिव शुभकरण सिंह, परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा राजेश शर्मा, निदेशक, स्कूल शिक्षा आशीष कोहली और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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